Sheel Shukla : ज़ी न्यूज़ से एक सवाल… आपको को कैसा लग रहा है जब आप अपनी बेइज्जती खुद ही कर रहे हैं? आजकल ज़ी न्यूज़ पर राम मंदिर निर्माण के सन्दर्भ में एक कार्यक्रम चल रहा है “ग्रेट डिबेट शो”. इसमें आम जनता के साथ कुछ राम मंदिर समर्थित राजनेता एवं कुछ राम मंदिर विरोधी राजनेता के साथ साथ प्रतीकात्मक तौर कोई व्यक्ति श्री रामचंद्र भगवान कोई सीता तो कोई हनुमान बनकर बैठा है। करोड़ों लोगो की श्रद्धा के ये भगवन बोलते भी हैं।
जब कोई राम मंदिर विरोधी नेता मंदिर निर्माण का विरोध करता है तो ये भगवन श्री राम याचना एवं शिकायत भरे स्वर में कहते हैं कि आप लोग तो अच्छे घरों में रहते हैं और मैं तो अभी तक टाट पट्टी की चादरों में ही बैठा हूँ। जब राम जी की बात को कोई विरोधी नेता जैसे ही दरकिनार करता है तब तक सीता जी अपना त्याग बताने लगती हैं और मंदिर क्यों बने, इसका तर्क भी देती हैं।
इतने बड़े राष्ट्रीय समाचार चैनल ज़ी न्यूज़ को क्या इतनी भी समझ नहीं है कि वो क्या कर रहे हैं? अरे भगवान राम को इससे क्या कि आप उनकी मूर्ति को टाट पट्टी में रख कर पूजा करें या फिर आलीशान भव्य मंदिर में। ये कितने शर्म की बात है कि क्या हमारे भगवन खुद आकर अपना मंदिर मांगेंगे? या भगवान राम की आड़ में मंदिर समर्थक भगवान राम के नाम पर मंदिर बनाने की याचना करेंगे ?
ज़ी न्यूज़! मत लाइए भगवन राम, सीता, हनुमान को इस लड़ाई में, मंदिर बने या न बने… इससे हमारे भगवन पर कोई असर नहीं है… वो सर्व व्यापी हैं, सर्व शक्तिमान हैं। मंदिर तो सिर्फ हमारी आस्था का प्रतीक है। मंदिर बने अच्छी बात है, लेकिन भगवन श्री राम सीता एवं हनुमान की भावनात्मक नीलामी बंद हो। ये करोड़ो हिन्दुओ की शान के खिलाफ है!
दैनिक समाचार पत्र विजडम इंडिया के संपादक शील शुक्ला की एफबी वॉल से.