पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए गठित मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन, भत्ते और प्रमोशन कर्मचारियों को न देना पड़े इसके लिए महाराष्ट्र में समाचार प्रबंधन कंपनिया तरह-तरह से दांव खेल रही हैं। कुछ कम्पनियों में परमानेंट कर्मचारियों को ठेका पर लाया जा रहा है वहीँ जबरी रिजाइन लिखवाकर छुट्टी भी की जा रही है। ताजा मामला मुम्बई के श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशन्स में सामने आया है जहाँ कंपनी प्रबंधन ने अपने 442 कर्मचारियों का नाम हटा दिया है। यानी ये कर्मचारी काम भले इस कंपनी में करें लेकिन वे मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और भत्ता नहीं पा सकेंगे। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने आरटीआई के जरिये ये खुलासा किया है।
शशिकांत सिंह ने मुम्बई के श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशन्स के बारे में कुछ जानकारी मांगी थी। इस आरटीआई में खुलासा हुआ कि मजीठिया वेज बोर्ड मामले में जो पहली स्टेटस रिपोर्ट माननीय सुप्रीमकोर्ट में सौपी गयी थी उसमें श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशन्स के मुम्बई के कुल कर्मचारियों की संख्या 649 थी। ये रिपोर्ट माननीय सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को 27 जुलाई 2015 को श्रम आयुक्त कार्यालय ने भेजी थी। इसी बीच इस कंपनी द्वारा कर्मचारियों की नयी सूची श्रम आयुक्त कार्यालय को दी गयी है।
श्रम आयुक्त कार्यालय ने आरटीआई के जरिये मांगी गयी सूचना में शशिकांत सिंह को 25 जून 2016 को दिए पत्र में श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशन्स के कर्मचारियों की कुल संख्या सिर्फ 207 बताई है जिसमें प्रशासनिक विभाग में 78, फैक्ट्री में 67 और वर्किंग जर्नलिस्ट कैटगरी में सिर्फ 62 कर्मचारियों को बताया गया है। यानि 442 कर्मचारियों का नाम दूसरी सूची से गायब कर दिया गया। सरकारी कामगार अधिकारी स्मिता पी साल्वे द्वारा इस कंपनी के मुम्बई में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या के बारे में ये जानकारी दी गयी है जो कंपनी प्रबंधन ने श्रम आयुक्त कार्यालय को उपलब्ध कराई है।
वैसे आपको बता दूँ कि पिछले साल इसी कंपनी के एक संपादक ने प्रबंधन के इशारे पर अपने अधिकाँश कर्मचारियों से सादे कागज़ पर साइन करा लिया था और ये कागज़ प्रबंधन को दे दिया था। यही नहीं, इसी कंपनी की एक सहायक कंपनी के कुछ कर्मचारियों से रिजाइन लिखवाकर उनको नयी कंपनी में अस्थाई तौर पर ज्वाइन करा दिया गया था। 442 कर्मचारियों का नाम सूची से क्यों हटाया गया, ये काफी संदेह पैदा करता है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्टिविस्ट
मुंबई
9322411335