सांप्रदायिक दंगों के आईने में वर्ष 2013
तमाम सामाजिक और सरकारी प्रयासों के बावजूद देश में सांप्रदायिक तनाव और उससे उपजे दंगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पूरे देश में सांप्रदायिक दंगों के कारण मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है। जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है, यह राज्य औैर सभी मामलों में भले ही पिछड़ता जा रहा हो लेकिन दंगों के मामले में आज यह देश में सबसे टॉप पर है।
वर्ष 2013 में पूरे देश में 823 सांप्रदायिक दंगे हुए जिसमें 133 लोगों की जानें गईं, वहीं 2269 लोग घायल हुए। गृह मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो इसमें 247 दंगों के साथ उत्तर प्रदेश टॉप पर है, जिसमें 77 लोगों की जानें गईं और 360 लोग घायल हुए। इसके बाद 88 दंगों में 12 लोगों की मौत, 352 घायलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर काबिज है। तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां 84 दंगों में 11 मौतें और 256 लोग घायल हुए। चौथे स्थान पर कर्नाटक रहा जहां कुल 73 दंगे हुए जिसमें एक की मौत और 235 घायल हुए। इसी तरह गुजरात में 68 दंगें हुए जिसमें 10 की मौत और 184 घायल हुए। बिहार में 63 दंगों में सात की मौत और 283 घायल हुए। केरल में कुल 41 दंगे, एक की मौत और 65 लोग घायल हुए। तमिलनाडु में 36 दंगे, तीन मौतें और 85 लोग घायल हुए। पश्चिम बंगाल में 24 दंगों में एक की मौत और 80 लोग घायल हुए।
अन्य राज्यों में, आंध्र प्रदेश में 15 दंगों में 65 लोग घायल हुए, झारखंड में 12 दंगों में दो की मौत और 35 घायल हुए, जम्मू कश्मीर में चार दंगे हुए जिसमें तीन की मौत और 61 घायल हुए, ओडिशा में तीन दंगों में एक की मौत हुई, घायलों की सूची उपलब्ध नहीं है। उत्तराखंड में तीन दंगे हुए जिसमें दो की मौत और कोई घायल नहीं हुआ। पंजाब में दो दंगे हुए जिसमें तीन लोग घायल हुए। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दो दंगे हुए जिसमें तीन के घायल होने की सूचना है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार पुलिस और कानून व्यवस्था संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य का विषय है ऐसे में संबंधित राज्य सरकारों पर ही वहां के लोगों की जान माल की रक्षा की जिम्मेदारी होती है। पुलिस भी राज्य के अधीन ही है। ऐसे में राज्य ही वहां की कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे मामले में केंद्र की जिम्मेदारी तब सामने आती है जब गंभीर परिस्थिति में कोई राज्य अतिरिक्त पुलिस बल की मांग करता है, या यों कहें कि राज्य पुलिस से स्थिति जब नहीं संभल पाती तो केंद्रीय पुलिस बल की मांग संबंधित राज्य करते हैं। ऐसे में उन्हें अद्र्घसैनिक बलों की टुकडिय़ां मुहैया करार्ई जाती है। वर्तमान समय में गृह मंत्रालय के रिकार्ड बताते हैं कि अभी देश में कानून व्यवस्था की स्थिति शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है।
भारत सरकार का गृह मंत्रालय देश भर में असामाजिक गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए विभिन्न गुप्तचर एजेंसियों से फीडबैक लेता है। ये एजेंसियां असामाजिक तत्वों पर कड़ी निगरानी रखती हैं जिसमें धुर कट्टरपंथी, धर्मों के ठेकेदार और अतिवादी ताकतें आदि शामिल हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सांप्रदायिक दंगों पर सरकार की निगरानी रहेगी तब ही देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रखने के साथ शांति कायम रखी जा सकती है।
एमवाई सिद्दीकी, पूर्व प्रवक्ता विधि व न्याय एवं रेल मंत्रालय, भारत सरकार। प्रस्तुत लेख का अंग्रेज़ी से अनुवाद पत्रकार शाशिकान्त सुशांत द्वार किया गया है।