अशोक कुमार पांडेय-
हम बहुत साधारण सी यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे- गोरखपुर विश्वविद्यालय। फ़ीस नॉमिनल थी। हॉस्टल में सुविधाएँ बहुत कम थीं। ज़्यादातर विद्यार्थी साइकल से आते थे। लेकिन 1990 के दशक में मेरी क्लास का कमज़ोर से कमज़ोर विद्यार्थी गलगोटिया के इन छात्रों से हज़ार गुना होशियार और पढ़ा-लिखा था।
लाखों की फ़ीस और दिखावे के बीच ऐसे निजी संस्थानों में पढ़ाई का स्तर बेहद घटिया है। नष्ट कर दिया गया है शिक्षा को। इसीलिए कल का वीडियो हँसने से ज़्यादा चिंता पैदा करने वाला है। इवेट के नाम पर कैसे युवाओं की ज़िंदगी बर्बाद की जा रही है!
राजेश साहू-
इन बालकों ने पूरी गलगोटिया यूनिवर्सिटी की ऐसी-तैसी करवा दी।
एक हमारी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी है, यहां प्रदर्शन में शामिल हर युवा आजादी के पहले की क्रांति से बात शुरू करता है और हंगलू सर के खिलाफ तक की क्रांति गा देता है। प्रदर्शन सीखना हो तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी आइए भाई साब।
संजय यादव-
इन सब प्राइवेट यूनिवर्सिटी की इमारतें ही सिर्फ पांच सितारा हैं, एजुकेशन आज भी दो कौड़ी की है यहां. इन सबसे बेहतर आज भी हमारे फैज़ाबाद की लोहिया यूनिवर्सिटी और इसके छात्र हैं.
मयंक शर्मा-
ये मोदी राज में पैदा हुई सबसे सस्ती और पढ़ी-लिखी लेबर है जो भाजपा की रैली में भीड़ बनकर उभर सकती है। इनकी दिहाड़ी 300-700 नहीं देनी पड़ती बल्कि बस 50 रुपए के रोड साइड पिज़्ज़ा से ही बात बन जाती है। पर सिद्ध हो गया Galgotia is inferior to whattsapp amongst universities.
अंशु कुमार-
गलगोटिया यूनिवर्सिटी वालों ने कल अनजाने में देश पर बहुत बड़ा एहसान कर दिया.उन्होंने देश में हुए बुद्धि घोटाले को मीडिया के सामने उजागर कर दिया.
देश का युवा कितना विचारवान और जागरूक नागरिक बन चुका है ये बताने के लिए पूरा देश गलगोटिया वालों का ऋणी रहेगा. धन्यवाद…
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