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सियासत

चिन्मयानंद से प्रज्वल रेवन्ना तक, मूर्धन्य पत्रकार भी चुप हैं!

सुप्रिया श्रीनेत-

ह यह पूर्व PM देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना है, कर्नाटका की हासन सीट से JDS का सांसद. इस चुनाव में यह मोदी की BJP और JDS के हासन से साझा उम्मीदवार हैं.

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यह मोदी के वृहद् परिवार हिस्सा हैं, मुश्किल से 2 हफ़्ते पहले नरेंद्र मोदी इसके साथ ना सिर्फ़ मंच साझा कर रहे थे बल्कि इसके लिये प्रचार करके वोट भी माँग रहे थे, उसकी खूब प्रशंसा भी कर रहे थे.

आज कर्नाटका का वह नेता देश से फरार है, उसके जघन्य अपराधों के बारे में सुनकर ही दिल दहल जाता है. सैकड़ों महिलाओं का जीवन जिसने तहस-नहस कर डाला उस दरिंदे के समर्थन में मोदी हैं.

इनके हज़ारों अश्लील पोर्न वीडियो वायरल हैं. वायरल वीडियो में यह हर उम्र की महिलाओं का शारीरिक शोषण करते हुए देखे जा सकते हैं. ऐसी भयानक रिकॉर्डिंग हैं जिसने कर्नाटका में तहलका मचा दिया है.

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घर में काम करने वाली महिलाओं से लेकर पार्टी कार्यकर्ता, महिला सांसद, ज़िला पंचायत सदस्य, हाई प्रोफाइल महिलाएं हैं जिनका जबरन यौन शोषण करते हुए रिकॉर्डिंग हैं.

मोदी को इस दरिंदे के बारे में सब पता था. उनको इसकी दरिन्दगी की पूरी जानकारी थी.

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दिसंबर 2023 में BJP के ही एक नेता देवराजेगौड़ा ने BJP के शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश अध्यक्ष को प्रज्वल रेवन्ना के यौन विचलन और पेन ड्राइव के बारे में जानकारी दी और उसे गठबंधन का उम्मीदवार बनाने का विरोध किया.

11 जनवरी, 2024 को, देवराजेगौड़ा, जिन्होंने प्रज्वल के खिलाफ BJP आलाकमान को लिखा था, उन्होंने एक प्रेस वार्ता करके भी प्रज्वल रेवन्ना की यौन विकृति और हासन की हजारों महिलाओं के शोषण के बारे में बोला था. BJP ने फिर भी अनदेखी की.

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हाल ही में फरवरी-मार्च में, जब अमित शाह मैसूर आए, तब पूर्व BJP विधायक प्रीतम गौड़ा, पूर्व विधायक एटी रामास्वामी और कार्यकर्ताओं ने प्रज्वल रेवन्ना की उम्मीदवारी का विरोध कर सारे साक्ष्य भी दिखाए थे.

अमित शाह और नरेंद्र मोदी को इस पूरे यौन हिंसा और अनैतिक कृत्यों की जानकारी थी जिसके बावजूद भी उन्होंने प्रज्वल रेवन्ना को हासन से उम्मीदवार बनाया.

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कर्नाटका की महिला आयोग ने इसका स्वत: संज्ञान लेकर SP को नोटिस जारी किया और CM से इस भयावह घटना में SIT गठित करने को कहा.

कर्नाटका की सरकार ने इस मामले की SIT जांच शुरू कर दी, पर इसी बीच प्रज्वल रेवन्ना जर्मनी भाग गया है. SIT इसके प्रत्यर्पण की तैयारी कर रही है ताकि भारत वापिस लाकर इस मामले की जांच पूरी की जा सके.

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लेकिन महिला सम्मान, नारी शक्ति और बेटी बचाओ की फ़र्ज़ी बात करने वाले नरेंद्र मोदी क्या इस बात का जवाब दे सकते हैं कि सब कुछ जानते हुए भी उन्होंने इतने गंदे घिनौने आदमी को अपना संयुक्त उम्मीदवार क्यों बनाया?

हर बार महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध करने वालों को ही वह संरक्षण क्यों देते हैं? घिन आती है औरत के साथ ऐसे कुकृत्य करने वालों से और उससे ज़्यादा घिन आती हैं ऐसे दरिंदों को बचा कर उन्हें संरक्षण, समर्थन और प्रोत्साहन देने वालों से.

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हर बार की तरह इस बार भी मोदी चुप रहेंगे, महिला बाल विकास मंत्री स्मृती ईरानी मौनव्रत रखे हैं और महिला आयोग की रेखा शर्मा को हर बार की तरह BJP या घटक दल देख कर साँप सूँघ गया है.

मूर्धन्य पत्रकार भी चुप हैं

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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. उन्नाव के कुलदीप सिंह सेंगर को भी आख़री दम तक BJP बचाती रही. यही चिन्मयानंद के साथ भी हुआ. यही नहीं इनके सोनभद्र के विधायक राम दुलार गोंड के ऊपर POCSO का मुक़दमा चल रहा था जिसके लिए वो दोषी पाए गए लेकिन उस दौरान भी उसको टिकट दिया. यही हाल बृजभूषण शरण सिंह का है. उनके ख़िलाफ़ जघन्य यौन शोषण के आरोपों के बावजूद बेटियों को प्रताड़ित किया और आरोपी को अपनी गोदी में बिठाकर रखा. और आज अभी तक उनके टिकट पर फ़ैसला नहीं हो पाया है. चाहे वो उत्तराखंड की अंकिता भंडारी हो या गुजरात की बिल्किस बानो, हर बार औरत के साथ ग़लत करने वालों के ही पक्ष में नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार और भारतीय जनता पार्टी क्यों नज़र आती है? हर बार दरिंदों के साथ खड़े रहने की क्या मजबूरी है?

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