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सियासत

न्यूजक्लिक के एडिटर को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में जल्दबाजी क्यों दिखाई? : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को हिरासत में लेने के बाद बिना वकील को बताए सीधा मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने को लेकर आपत्ति जताई है. जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने इस बात पर भी हैरानी जताई है कि पुरकायस्थ के वकील को रिमांड आवेदन देने से पहले ही रिमांड का आदेश जारी कर दिया गया.

हिरासत के तरीकों पर सवालों की झड़ी लगाते हुए पीठ ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत एक मामले में पुरकायस्थ की गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

बता दें कि न्यूजक्लिक के माध्यम से राष्ट्र-विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए कथित चीनी फंडिंग मामले में अक्तूबर में गिरफ्तारी के बाद से पुरकायस्थ हिरासत में हैं.

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सुनवाई के दौरान पुरकायस्थ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें 3 अक्तूबर, 2023 की शाम को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें अगले दिन सुबह 6 बजे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था. सिब्बल ने अदालत को बताया कि अतिरिक्त लोक अभियोजक के साथ लीगल एड वकील ही मौजूद थे. पुरकायस्थ के वकील को सूचित नहीं किया गया. पुरकायस्थ ने इस पर आपत्ति जताई तो जांच अधिकारी ने फोन के माध्यम से उनकी वकील से बात कराई और रिमांड आवेदन व्हाट्सएप पर वकील को भेजा गया. जिस पर पीठ ने एएसजी एसवी राजू से पूछा, पुरकायस्थ के वकील को सूचित क्यों नहीं नहीं किया गया. सुबह 6 बजे उसे पेश करने की जल्दबाजी क्या थी जबकि उन्हें पिछले दिन शाम 5.45 बजे गिरफ्तार किया गया था. आपके पास पूरा दिन था.

पीठ ने कहा, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के लिए आवश्यक है कि रिमांड आदेश पारित होने पर पुरकायस्थ का वकील उपस्थित रहे. एएसजी राजू ने पीठ को तर्क देकर समझाने का प्रयास किया लेकिन पीठ ने मानने से इनकार कर दिया. लंबी बहस के बाद आखिरकार पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पीठ पुरकायस्थ की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दिल्ली पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया गया था. सह-अभियुक्त और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती ने भी अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था लेकिन ईडी का सरकारी गवाह बनने के बाद उन्हें अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी गई थी.

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