सौमित्र रॉय –
शुरुआत अमेठी से। राहुल गांधी का अमेठी के बजाय रायबरेली से लड़ना गोदी मीडिया को चुभ गया है।
अगर राहुल अमेठी से लड़ते तो पूरा गोदी मीडिया उस अकेली सीट पर जमा होकर पीपली लाइव करता। बीजेपी की पिच होती और राहुल फंस जाते। राहुल ने ऐसा नहीं किया।
लेकिन अमित शाह तो कहीं नहीं फंसे। फिर भी उन्होंने अपनी गांधीनगर सीट पर 16 उम्मीदवारों को डरा–धमकाकर नाम वापसी करवाई। इस नेक काम में उनकी गुजरात पुलिस का भी हाथ रहा।
उधर, यूपी पुलिस एक गरीब, निर्दलीय, दलित प्रत्याशी के पीछे पड़ी है। नाम है छेद्दू। वे भारत के उस कानून का पालन कर रहे हैं, जिसमे कोई भी चुनाव लड़ सकता है। दलित विरोधी सामंती सत्ता यह नहीं चाहती।
तो बीजेपी और गोदी मीडिया क्या चाहते हैं?
- चुनाव सिर्फ बीजेपी को ही लड़ना चाहिए। कोई और लड़े तो उस सीट को सूरत, इंदौर या खजुराहो बना देंगे।
- इस काम के लिए गुंडों की फौज के पीछे मदद के लिए पुलिस रहेगी।
- फिर भी नहीं माने तो पुराने मामले में संगीन धाराएं लगा देंगे।
- उसके बाद भी नहीं माने तो मुमकिन है जान पर बन आए।
बीजेपी यह भी चाहती है कि विपक्ष के आला नेता उसकी पिच पर खेलें, उसके इशारे पर चुनाव लड़ें।
ये सारे प्लान संविधान और लोकतंत्र की प्रक्रिया के खिलाफ हैं। आजमाए इसलिए जा रहे हैं, क्योंकि इस बार सत्ता की गर्दन फंसी हुई है।
लेकिन, अगर ऐसे अलोकतांत्रिक ताकतों की तीसरी बार सत्ता में वापसी हो गई तो भारत को रूस, उत्तर कोरिया बनने में देर नहीं लगेगी।
संविधान और न्याय को ताले में बंद करना होगा। ये सिविल वॉर की स्थिति होगी।
बीजेपी 2024 के चुनाव में इसका साफ इशारा कर रही है और इस प्रयोग के अगुवा खुद प्रधानसेवक हैं।
आपको अपने वोट से तय करना है कि देश अराजकता के अंधेरे में गुम होगा या न्याय और कानून की रोशनी में।