के. सत्येन्द्र-
वर्दी के गुमान में चूर गोरखपुर के एक थानेदार ने आज मर्यादा और अनुशासनहीनता की सारी हदें पार कर दी। अब तक आम जनता को अपनी धौंस और रुआब दिखाने वाली पुलिस ने अब अदालतों में न्यायाधीशों पर भी अपना रौब ग़ालिब करना शुरू कर दिया है।
सिविल कोर्ट गोरखपुर में आज काफी गहमागहमी का माहौल रहा। कचहरी परिसर के सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि थाना एम्स के थानेदार साहब आज एक मुल्जिम की रिमांड लेने ACJM-प्रथम के न्यायालय में पहुँचे थे। न्यायाधीश महोदय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए दिशा निर्देश के तहत इंस्पेक्टर साहब से पूछना शुरू कर दिया कि जब सारी धाराओं में सात साल से नीचे की सजा है तो गिरफ्तार करने की क्या जरूरत है?
इतना सुनकर इंस्पेक्टर साहब आपे से बाहर हो गए। जज महोदय से बदतमीजी भरे अंदाज में बात करने लगे। यहां तक जज महोदय की भरी अदालत में चोर भ्रष्टाचारी सब बक दिया। जज साहब ने इंस्पेक्टर को कस्टडी में लेने का हुक्म दिया तो इंस्पेक्टर साहब कस्टडी लेने वाले को ललकारते हुए अड़ गए।
मामला बढ़ा तो नजदीकी थाने की पुलिस आयी और इंस्पेक्टर साहब को वहाँ से निकाल ले गयी। पता चला है कि इंस्पेक्टर के बर्ताव से आहत जज साहब ने मुल्जिम के रिमांड आवेदन वाली फ़ाइल को जिला जज की कोर्ट में भेज दिया और इंस्पेक्टर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के लिए हाइकोर्ट को पत्र लिख दिया है।
दूसरी तरफ थानेदार साहब ऐसी किसी भी घटना के होने से इन्कार कर रहे हैं और पुलिस महकमे के अधिकारी आचार संहिता का हवाला देते हुए इंस्पेक्टर के खिलाफ त्वरित कार्यवाही न कर पाने का अफसोस जता रहे हैं और पल्ला झाड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
देखें यह पत्र…
सुशील दुबे-
ये हैं के सतेंद्र पत्रकार, मेरे प्रिय छोटे भाई. सिस्टम से लहूलुहान. कई कोरोना वैक्सीन हलक तक घुसेड़े हुये. घर परिवार सड़क पर.. लेकिन अब कुछ चैन मिला कोर्ट कचहरी से तो अपना पोर्टल “सिस्टम” नाम से डाल लिये.
कल इन्होंने पुलिस की एम्स चौकी गोरखपुर के इंचार्ज पर एक स्टोरी की, उस दरोगा ने भरी कोर्ट में एसीजेएम से गजब बदसलूकी की.
यहां तक की जज को कोर्ट अरेस्ट का ऑर्डर देना पड़ा, लेकिन वो भाग निकला. तो मेरा फ़र्ज है की मैं इनको शाबासी दूँ.