सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अपने पत्रकारों व कर्मचारियों से मजदूरों जैसा व्यवहार कर हक मारने वाले दैनिक भास्कर प्रबंधन को इंदौर संस्करण के दो पत्रकारों ने धूल चटा दी थी. इन्हीं दो पत्रकारों के प्रयासों के चलते ही लेबर कोर्ट ने दैनिक भास्कर समूह द्वारा अपनी डीबी पावर कंपनी को 7 हजार करोड़ में अडानी ग्रुप को बेचने पर रोक लगा दी थी.
अन्य मीडिया संस्थानों की तरह दैनिक भास्कर अखबार के अनेक कर्मचारी भी मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपने बकाया वेतन के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. इसमें इंदौर संस्करण के पत्रकार भी शामिल हैं. मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन नहीं देने पर इंदौर संस्करण के पत्रकार तरुण भागवत और अरविंद तिवारी ने समूह की हर एक आर्थिक गतिविधि पर नजर बनाए रखी. दोनों पत्रकारों को पता चला कि भास्कर समूह, डीबी पावर को 7 हजार करोड़ रुपये में अडानी समूह को बेचने की तैयारी कर रहा है. डील भी पक्की होने की पुख्ता खबर थी.
इसी दौरान मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन न दिए जाने को लेकर पत्रकार भागवत और तिवारी ने लेबर कोर्ट से यह डील रद्द करने का आग्रह किया. इसमें सफलता मिली और लेबर कोर्ट ने भास्कर समूह द्वारा अडानी ग्रुप को पावर कंपनी बेचने की डील पर रोक लगा दी.
मामले में पत्रकारों ने स्वयं पैरवी करते हुए भास्कर समूह के न सिर्फ मालिकों पर हाई कोर्ट को गुमराह करने व शपथ-पत्र पर झूठे कथन प्रस्तुत करने की शिकायत की बल्कि इसके लिए प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की गुहार भी लगाई. इन पत्रकारों की माने तो दैनिक भास्कर समूह के कर्ताधर्ताओं का यह कृत्य आईपीसी के तहत दण्डनीय अपराध है. इसमें दोष सिद्ध होने पर 7 साल तक की जेल और कड़ा आर्थिक जुर्माना दोनों हो सकता है.
बताते चलें कि साल 2022 में इस तरह की खबरें आई थीं कि अडानी ग्रुप का हुआ डीबी पावर, लेकिन अधिग्रहण की समय सीमा बढ़ने के बावजूद भी अडानी ग्रुप डीबी पावर को अधिग्रहित नहीं कर सका था. अडानी पावर और DB पावर के बीच 7017 करोड़ रुपए का डील होने वाला था. डील पूरी करने की डेडलाइन पहले 31 अक्टूबर तक थी. इसे पहले नवंबर, फिर 31 दिसंबर और फिर 15 जनवरी तक बढ़ानी पड़ी. लेकिन अंत इसे कैंसिल ही करना पड़ा. DB Power मध्य प्रदेश के दैनिक भास्कर ग्रुप की सब्सिडियरी कंपनी है.
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