गिरीश मालवीय-
चेतन शर्मा के स्टिंग के पीछे बहुत बड़ा खेल है यदि आप समझना चाहते है तो ये पोस्ट पढ़ लीजिए…
सबसे पहली बात ये समझ लीजिए कि आपको जो दिखाया जाता है वो कुछ भी अकस्मात नही होता सब डिजाईन किया जाता है।
भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है और हम अच्छी तरह से जानते है कि दुनिया की सबसे अमीर खेल संस्था में शुमार बीसीसीआई में चल रही राजनीति, देश की पॉलिटिक्स से भी जटिल है।
बीजेपी की सरकार देश के अधिकांश राज्यों में है लेकिन उसके बावजूद बीसीसीआई पर आज भी केन्द्र में बैठी मोदी सरकार की पकड़ ढीली है और इसी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए ये सारा खेल रचा गया है ये पॉवर गेम है।
स्टिंग की सारी रिपोर्टिंग को ध्यान से देखिए…
रोहित फोन पर आधे घंटे बात करता है, हार्दिक मेरे सोफे पर सोता है, विराट कोहली और रोहित शर्मा में ईगो क्लैश है दरअसल ये सब फालतू बाते हैं जो मिर्च मसाला डालने के लिऐ जोड़ी गई हैं।
इस पूरे स्टिंग का मुख्य मुद्दा है कि भारतीय क्रिकेटर खुद को फिट रखने के लिए इंजेक्शन लेते हैं, खिलाड़ी 80 से 85 प्रतिशत फिट होने के बावजूद प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में जल्द वापसी के लिए इंजेक्शन लेते हैं।
यानी फिटनेस के लिए, टीम में अपनी जगह बनाने के लिए खिलाड़ी दवाओ का, ड्रग्स का सहारा लेते हैं।
लेकिन आप ही सोचिए कि यदि इंजेक्शन के जरिए फिटनेस प्रूव की जा सकती है तो इंजेक्शन के जरिए किसी मैच में पॉवर पैक परफार्मेंस भी तो दी जा सकती हैं।
ये ही बात इस स्टिंग से पूरी तरह से मिसिंग है। मुद्दा फिटनेस साबित करने के लिए इंजेक्शन लेने को बनाया जा रहा है लेकिन इसके पीछे असली मुद्दे को छिपाया जा रहा है।
असली बात है डोपिंग की। 2019 तक BCCI ही देश का ऐसा इकलौता खेल संगठन था जो सरकारी नियमो के दायरे में नहीं आता उसका दावा रहा था कि वह स्वायत्त ईकाई है, कोई राष्ट्रीय खेल महासंघ नहीं और सरकार से फंडिंग नहीं लेता। और इसी बहाने से वो खिलाड़ियों के डोप टेस्ट से इनकार करता आया था।
जबकि भारत सरकार का खेल मंत्रालय खिलाड़ियों के डोप टेस्टिंग पर अड़ा हुआ था वह राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी नाडा से खिलाड़ियों के डोप टेस्ट करवाना चाहता था बीसीसीआई पर नाडा के दायरे में आने के लिए दबाव बनाने के मक़सद से कई खेल रचे गए और ये स्टिंग भी उसी की एक अहम कड़ी है।
2019 में सरकार ने BCCI की नकेल कस दी और दक्षिण अफ्रीका-ए और महिला टीमों के दौरों को मंजूरी रोक दी उसी वक्त मुंबई के क्रिकेटर पृथ्वी शॉ के डोप टेस्ट में फेल होने के कारण निलंबन की घटना भी सामने आई थी खेल मंत्रालय लगातार कहता आया है कि BCCI को नाडा के अंतर्गत आना होगा और उपरोक्त बात का सहारा लेकर BCCI पर दबाव डालकर यह बात मनवा ली गयी…..
खेल सचिव राधेश्याम जुलानिया ने एक ब्यान जारी कर के कहा कि राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) कभी भी और कहीं भी, जहां चाहे क्रिकेटरों का परीक्षण कर सकती है।
लेकिन ट्विस्ट अभी बाकी था सरकार बीसीसीआई की ताकत को कम कर के आंक रही थी बीसीसीआई ने नाडा को ही फेल करवा दिया उसने दबाव डालकर वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) से भारत में स्थित नेशनल डोप टेस्टिंग लेबोरेटरी (NDTL) की मान्यता को ही छह महीने के लिए निलंबित करवा दिया वाडा ने यह कार्यवाही राष्ट्रीय डोप टेस्टिंग लेबोरेटरी को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने के कारण की
जेसे तेसे मामला सेटल हुआ और एक बार फिर से दबाव बनाया गया लेकीन खेल मंत्रालय की लाख कोशिश के बाद भी आज 2022 में भी नाडा में पंजीकृत पुरुष भारतीय क्रिकेटरों की सूची में मात्र 3 ही शामिल हुए है
कुछ महीने पहले नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) की तरफ से 5 भारतीय क्रिकेटर्स के नाम पर नोटिस भेजा गया है. नाडा ने यह नोटिस इन क्रिकेटर्स को समय पर व्हेयर अबाउट फॉर्म नहीं भरे जाने के कारण भेजे गए हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि साल में चार बार खिलाड़ियों को व्हेयर अबाउट फॉर्म भरना होता है. अगर तीन बार खिलाड़ी इस फॉर्म को भरने से चूक जाते हैं तो उनका टेस्ट मिस मान लिया जाता है. इसके बाद खिलाड़ी को हियरिंग पैन के सामने पेश होकर जवाब देना पड़ता है.
यानी अब तक बीसीसीआई अपने खिलाडिय़ों को नाडा की पकड़ में आने से साफ़ बचा ले जा रही थी लेकीन इस चेतन शर्मा के इस स्टिंग के सामने आने के बाद ये मामला फिर से उछलेगा और मजबूरन बीसीसीआई को सरकार की बात मानना पड़ेगी
खेल की दुनिया से जुड़े जितने भी लोग है वह अच्छी तरह से समझते है कि किस तरह से डोपिंग का इस्तेमाल कर बड़े खेल अधिकारी या नेता किसी खिलाड़ी का भविष्य बर्बाद कर सकते है ये सारी बाते कुश्ती में बहुत आम है
ये है असली इनसाइड स्टोरी ऑफ़ चेतन शर्मा स्टिंग।