सेक्सुअल हरासमेंट मामले में सहारा मीडिया को बड़ा झटका… मनोज मनु, गौतम सरकार और रमेश अवस्थी हैं बड़े पदों पर आसीन…
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने सेक्सुअल हरासमेंट के केस में शुक्रवार 10.1.2017 को ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है… सेक्सुअल हरासमेंट के एक मामले में सहारा मीडिया के मनोज मनु, गौतम सरकार और रमेश अवस्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं… इन पर आरोप है कि ये लोग अपनी घिनौनी करतूत छिपाने के लिए पीड़ित महिला को लगातार धमकाते रहे… साथ ही पुलिस को भी मैनेज करते रहे…
पीड़ित महिला अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के प्रकरण को लेकर सहारा मीडिया के उच्च पदों पर बैठे मोस्ट सीनियर अधिकारियों से मिलती रही और न्याय की गुहार लगाती रही लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी. नोएडा स्थित सहारा समूह के न्यूज चैनल कैंपस में अपने साथ हुए अभद्र व्यवहार के खिलाफ महिला इंसाफ के लिए सहारा मीडिया के एचआर से लेकर महिला आयोग और पुलिस हर दरवाज़ा खटखटाती रही. मगर किसी ने इस मामले में जांच तक करना मुनासिब नहीं समझा. यहाँ तक कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने को राजी नहीं थी…. तब महिला अंततः कोर्ट पहुँची.. कोर्ट ने जब महिला की आपबीती सुनी तो फ़ौरन 156 के तहत एफआईआर दर्ज करने और जांच के आदेश दिए.
घटना 2016 के जून महीने की है. तब उस समय के सहारा मीडिया के एमपी चैनल हेड रहे और बाद में नेशनल हेड बने मनोज मनु ने कैंपस में सीढ़ियों पर महिला के साथ अभद्र व्यवहार किया. ऐतराज़ दर्ज कराने पर उसे इतने जोर से पकड़ा कि उसकी बांहों पर नील निशान पड़ गए… हालाँकि मनोज मनु ज्वायनिंग के बाद से ही महिला के पीछे हाथ धो कर पड़ गए थे… महिला के ऑब्जेक्शन पर उसे तरह तरह की धमकियां देते थे… महिला ने इस बात की शिकायत गौतम सरकार और रमेश अवस्थी से भी की थी लेकिन उनका कहना था कि मीडिया में काम करना है तो ये सब तो बर्दाश्त करना ही पड़ेगा … मनोज मनु जो भी बोल रहा है उसकी डिमांड पूरी कर दो…
मनोज मनु द्वारा महिला के साथ हो रहे उस गंदे व्यवहार के गवाह उस समय के कुछ अन्य सीनियर्स और साथ में काम करने वाले कुछ साथी भी थे… जब उन्होंने मनोज मनु की हरकतों पर ऐतराज़ जताया तो गौतम सरकार और मनोज मनु ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया था… पीड़ित महिला ने दिल्ली महिला आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग में इस बात की लिखित शिकायत की… महिला दिल्ली में रहती थी और उसे बार-बार धमकी दी रही थी लिहाज़ा महिला ने दिल्ली पुलिस को कंप्लेन भी. तुरंत एफआईआर दर्ज करने की गुहारिश की. मगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की… महिला को टाल मटोल करती रही… लेकिन कोर्ट ने सहारा की दबंगई व महिला के दर्द को समझा और एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए.
ABHAY RAJ YADAV
February 13, 2017 at 7:53 pm
ये विडम्बना है कि सहारा मीडिया इस समय मठाधीशों का अड्डा बन गया है। चैनल में लाखों रुपए की बड़ी-बड़ी पगार उठाने वालों की संख्या सैकड़ों में है लेकिन टीआरपी के नाम पर चैनल जीरो है। जब कभी प्रबंधन चेंज होता है तो अधीनस्थों पर चाबुक चलाकर टीआरपी बढ़ाने का जिम्मा सौंपकर खुद का काबिल दिखाने की कोशिश की जाती है। खुद की कोई योजना नहीं होती है। अधीनस्थों के बल पर वे राज करते हैं। अगर सहारा से एक लाख से ज्यादा सैलरी पाने वाले निकाल दिए जाए तो संस्थान दिन दूनी और रात चौगुनी प्रगति कर लेगा। नालायक गौतम सरकार और अंधों में काना राजा मनोज मनु जैसे लोग जैसे सहारा का खून चूस रहे है। प्रबुद्ध राज जैसे निकम्मे इस संस्थान पर बोझ हैं। भगवान मैनेजमेंट को सदबुद्धि दे।