नैनीताल। एक दौर में अपने चाल, चरित्र, चेहरे और अनुशासन पर गुमान करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने भी अब कांग्रेस की राह पकड़ ली है। उत्तराखंड में पिछले दिनों हुए तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव के बाद पंचायत चुनाव में मिली करारी शिकस्त ने भाजपा के अंदरुनी अनुशासन को बेपर्दा कर दिया है। भाजपा के भीतर चल रही गुटबाजी अब सड़कों पर भी आ गई है। पार्टी के नए दौर के कार्यकर्ता अब पुराने नेताओं का लिहाज करने को कतई तैयार नहीं हैं। पंचायत चुनाव की समीक्षा बैठकों में भाजपा के भीतर जमकर सर फुटव्वल हो रही है। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पार्टी के पुराने नेताओं और विधायकों पर खुलकर हमला बोला है। कार्यकर्ता अपनी पार्टी के विधायकों के खिलाफ उनकी मौजूदगी में ही मुर्दाबाद के नारे बुलंद करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं।
नैनीताल जिले के पंचायत चुनाव की समीक्षा को लेकर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और समीक्षा प्रभारी केदार जोशी ने हल्द्वानी और नैनीताल में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। बैठक के दौरान दोनों जगह जमकर हंगामा बरपा। हल्द्वानी की बैठक में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व केबिनेट मंत्री और कालाढूंगी से विधायक बंशीधर भगत को सीधे निशाने पर लिया। उनके साथ बदसलूकी की। विधायक मुर्दाबाद के नारे बुलंद किए। हंगामे के चलते कई बार बैठक रोकनी पड़ी। पंचायत चुनाव लड़े कार्यकर्ता और उनके समर्थकों का आरोप था कि कि पार्टी के बड़े नेताओं की वजह से उन्हें चुनाव में हार का मुँह देखना पड़ा है। इसके लिए कार्यकर्ताओं ने विधायक बंशीधर भगत को सीधे जिम्मेदार ठहराया। मामला यहीं नहीं थमा। शनिवार को भारतीय युवा जनता मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने कालाढूंगी में अपनी ही पार्टी के विधायक और प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार बंशीधर भगत का बाकायदा सार्वजनिक तौर पर पुतला भी जला दिया।
नैनीताल की बैठक में भीमताल से भाजपा विधायक दान सिंह भंडारी कार्यकर्ताओं के निशाने पर रहे। यहाँ तो मामला इस कदर गरमाया कि गुस्साए कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपनी ही पार्टी के विधायक और सयाने नेताओं पर उन्हें हराने के गंभीर आरोप लगाए।
पंचायत चुनाव में भाजपा नैनीताल के जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव महज एक वोट से हार गई थी। पार्टी जिले के आठ ब्लॉक प्रमुखों में से दो खुद और एक जगह समर्थित को ही जीता पाई। ऊधम सिंह नगर जिले में भाजपा के ग्यारह जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीत कर आए। इसके बावजूद पार्टी वहां जिला पंचायत के अध्यक्ष के लिए अपने उम्मीदवार का नामांकन तक नहीं करा पाई। भाजपा के नई पीढ़ी के कार्यकर्ता पार्टी की इस हालत के लिए वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदार बता रहे हैं। पार्टी के बड़े नेताओं को जबाब देते नहीं बन रहा है। भाजपा के भीतर पैदा हुई इस अंतर्कलह से भाजपा परेशान है और कांग्रेस गदगद।
लेखक प्रयाग पाण्डे उत्तराखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार हैं।