नई दिल्ली। ‘नवलकिशोर हिंदी की सैद्धांतिक आलोचना में अपने मौलिक अवदान के लिए महत्त्वपूर्ण बने रहेंगे।’ सुप्रसिद्ध कथाकार और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय ने उक्त विचार विश्व पुस्तक मेले में पुस्तक का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किये। राय ने प्रो नवलकिशोर की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘प्रेमचन्द की प्रगतिशीलता’ का प्रथम अनावरण किया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद जैसे लेखक के बहाने प्रगतिशील विचार पर यह पुस्तक निश्चय ही प्रेरक और पथ -प्रदर्शक सिद्ध होगी।
मेले में प्रकाशन संस्थान के स्टाल पर हुए इस आयोजन में बनास जन के संपादक पल्लव ने प्रो नवलकिशोर की इस पुस्तक का परिचय दिया और कहा कि इकतालीस साल बाद इनकी नयी पुस्तक का आना हिंदी आलोचना के लिए एक शुभ घटना है। उन्होंने कहा कि ‘मानववाद और साहित्य’ तथा ‘आधुनिक हिंदी उपन्यास और मानवीय अर्थवत्ता’ जैसी किताबों के लेखक की यह कृति नयी पीढ़ी में कालजयी कथाकार प्रेमचंद के महत्त्व की पुनर्स्थापना करेगी।
पुस्तक के प्रकाशक हरिश्चंद्र शर्मा ने बताया कि वे पाठकों की मांग पर प्रो नवलकिशोर की दो पुरानी और अनुपलब्ध पुस्तकों के पुनर्नवा संस्करण भी प्रकाशित कर रहे हैं। आयोजन में परिकथा के संपादक शंकर, कथाकार हरियश राय, आलोचक वीरेंद्र यादव, आलोचक जानकीप्रसाद शर्मा, कथाकार – पत्रकार हरीश पाठक, कथाकार राकेश तिवारी सहित बड़ी संख्या में लेखक और पाठक उपस्थित थे। ज्ञातव्य है कि हिंदी के वरिष्ठ आलोचक प्रो नवलकिशोर जी की इस पुस्तक के पुस्तकालय और जन संस्करण एक साथ प्रकाशित हुए हैं।
रिपोर्ट एवं चित्र – शिव
द्वारा प्रकाशन संस्थान
दरियागंज, दिल्ली