बात हजम नहीं हो रही है दोस्तों। लाश घर में आने वाली हो और घर में समारोह का माहौल चल रहा हो, तो गहरे सवाल उठने तो स्वाभाविक ही हैं। सुब्रत राय को तो मीडिया के लोक जानते ही हैं। ठीक-अच्छे तरीके से। सहारा इंडिया के मुखिया, जो तिहाड़ जेल में साढ़े तेरह महीने से बंद हैं। उनकी ऐयाश-हरकतों से भी पत्रकार खूब परिचित होंगे कि किस तरह वे सिने-फिल्मी हेराइनों पर पैसा लुटाते थे।
पिछले पांच दिनों से सुब्रत राय और सहारा इंडिया के अफसरों की करतूतों के चलते इस कम्पनी के लाखों-लाख निवेशकों ने विद्रोह करते हुए सहारा के कोआपरेटिव बैंक में हंगामा खड़ा कर रखा है। मकसद है, अपने खून-पसीना का पैसा वसूलना। सहारा के कर्मचारियों ने तो छह मास से वेतन न मिलने के चलते आत्महत्याओं का सहारा अपना लिया है।
लेकिन हैरत की बात है कि इसी सहारा के आला अफसरों में जश्न का माहौल है। आज देर शाम जब मैं सहारा इंडिया के एक सबसे बड़े और फिलहाल जेल की मोहलत पाये ओपी श्रीवास्तव के घर के सामने गुजरा तो उजड़े-बर्बाद चमन वाली इस कम्पनी के इस निदेशक का घर चकाचौंध था। लगता ही नहीं था कि सहारा इंडिया का मुखिया जेल में बंद है, निवेशकों को पैसा नहीं अदा हो रहा है और कर्मचारियों ने आत्महत्या करना शुरू कर दिया है।
वैसे यह भी हो सकता है कि सुब्रत राय की शायद स्थाई जेल-बंदी पर मर्सिया लिखने के लिए ओपी श्रीवास्तव ने अपने घर लेखकों-कवियों को आमंत्रित किया हो। और उनके स्वागत के लिए ही यह सारी चकाचौंध तैयार की गयी हो। या फिर सुब्रत राय की जेल में एक साल जेल-बंदी का वर्षगांठ मना रहे हों ओपी श्रीवास्तव।
कुछ भी हो, ओपी श्रीवास्तव के घर की फोटो मैंने खींच लीं, ताकि सभी पाठकों के बीच इन हरकतों का खुलासा कर दूं।
कुमार सौवीर के एफबी वॉल से