लखनऊ : कुछ रोज पहले लखनऊ के सभी प्रमुख अखबारों ने पहले पन्ने पर फुल पेज का एक विज्ञापन छापा। विज्ञापन खेल से सम्बन्धित था और ऊपर ही मुख्यमंत्री के साथ खेल मंत्री नारद राय की फोटो छपी थी। विज्ञापन छपते ही लखनऊ में हडकंप मचा कि नारद राय खेल मंत्री कब बन गये। यह महत्वपूर्ण आयोजन था और सीएम का पसंदीदा विषय भी। इतने बड़े आयोजन में पहले पन्ने पर इतनी बड़ी चूक ने बता दिया कि यूपी के अफसर इतने काबिल हैं कि उन्हें नहीं पता कि यूपी का खेल मंत्री कौन है।
इस विज्ञापन को छपवाने के लिए बड़े अफसरों ने बहुत दिमाग लगाया। मगर यह दिमाग कुछ ज्यादा ही लग गया। अफसरों ने रणनीति बनाई थी कि यह विज्ञापन उस प्राइवेट कंपनी की तरफ से छपवाया जाय जो कंपनी इस अन्तर्राष्ट्रीय स्टेडियम को बनाने जा रही है। इसके पीछे रणनीति यह थी कि इसमें मुख्यमंत्री का फोटो लग जायेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के तहत सरकारी विभाग सीएम का फोटो नहीं लगा सकते। चूंकि यह विज्ञापन लगभग 30 लाख रुपये का होता। लिहाजा कंपनी के अफसरों को भी कह दिया गया था कि इस विज्ञापन का पैसा एडजेस्ट कर लिया जायेगा। इस विज्ञापन को रिलीज करने की जिम्मेदारी यंग एडवरटाइजर को दी गयी। इस कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने विज्ञापन तैयार किया और सूचना विभाग के अफसरों को दिखा दिया।
हरी झंडी मिलने के बाद सभी अखबारों में ये विज्ञापन छप गया। लम्बे समय बाद मुख्यमंत्री अपने निवास पर इस कार्यक्रम का एमओयू हस्ताक्षर कर रहे थे। वहां बैठे लोग कानाफूसी कर रहे थे कि जो कंपनी चार सौ करोड़ का स्टेडियम बनाने जा रही है उसे यह भी नहीं पता कि खेल मंत्री कौन है। तो समझा जा सकता है कि काम कैसे होगा। इस विज्ञापन के छपने के बाद इस बात की होड़ लग गयी कि ठीकरा दूसरे के सिर पर फोड़ दिया जाय। लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों ने कहा कि न तो उन्हें यह विज्ञापन छपने से पहले दिखाया गया और न ही उन्हें यह पता कि यह विज्ञापन किसने छपवाया। निदेशक खेल आर.पी.सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं पता ये विज्ञापन किसने छपावाया। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से जो विज्ञापन छपा है उसमें खेल मंत्री का नाम सही है।
सारी कवायद एक नई कंपनी को रातों-रात फायदा पहुंचाने के लिए की गई थी। ओरिजिन्स कंपनी को पिछले कुछ महीनों में ही आउटडोर का करोड़ों रुपये का काम दिया गया। नोएडा, ग्रेटर नोएडा में ओरिजिन्स कंपनी ने पिछले कुछ महीनों में ही करोड़ों रुपये के होर्डिंग्स और एलईडी लगाई। लखनऊ के बड़े अफसरों ने नोएडा विकास प्राधिकरण के अफसरों से ओरिजिन्स को काम देने की सिफारिश की। वहां लगे होर्डिग्स के बिलों को सत्यापन लखनऊ सूचना विभाग के अफसरों ने किया। आउटडोर के बाद इस कंपनी के कर्ताधर्ताओं को समझाया गया कि वह पेपर एड का भी काम शुरू कर दें क्योंकि इसमें भी काफी आमदनी है।
सूचना विभाग हर महीने लाखों, करोड़ों रुपये के विज्ञापन जारी करता है। जिस कंपनी को यह विज्ञापन जारी करने के लिए दिए जाते हैं उसे 15 प्रतिशत कमीशन मिलता है। यह राशि हर महीने लाखों में पहुंचती है। कई कंपनी के लोग अफसरों को लुभाते रहते हैं कि अगर उन्हें काम मिल जाये तो वह आधी पार्टनरशिप बिना लिखत पढ़त के अफसरों को दे देंगे। जाहिर है यह पैसे का ऐसा कारोबार है जिसमें लोग लालच में आ ही जाते हैं। ओरिजिन्स कंपनी के मालिक को भी यह बात समझ में आ गयी। उन्होंने आनन-फानन में यंग एडवरटाइजर कंपनी को खरीदा। सूचना विभाग के अफसर तो मानो दोनो हाथों से इस कंपनी पर पैसा लुटाने को तैयार बैठे थे। सब नियमों को तोडक़र इस कंपनी को सूचीबद्ध किया गया। इस कंपनी की अनुभवहीनता का ही परिणाम था कि सीएम के साथ गलत खेल मंत्री की फोटो छापकर पूरी सरकार की फजीहत करा दी।
लेखक संजय शर्मा लखनऊ से प्रकाशित हिंदी सांध्य दैनिक 4पीएम के संस्थापक और संपादक हैं.