रंगनाथ सिंह-
New York Times की Pegasus पर स्टोरी सच है तो दुनियाभर की सरकारों के पास ऐसी तकनीक आ चुकी है कि वो जिसका चाहे उसका स्मार्टफोन कंट्रोल करके उसकी अंतरंग जासूसी कर सकते हैं। सरकार के बाद यह तकनीक सबसे अमीर लोगों के पास पहुँचेगी। दुनिया एक साइंस-फिक्शन फिल्म में बदलती जा रही है।
हाँ, वो लोग पेगासस का दाम सुनकर चिन्तित न हों जिनके पास मेड-इन-चाइना फोन है। उनके फोन को हैक या रिमोट-कंट्रोल करने के लिए शायद इतना महँगा स्पाईवेयर न खरीदना पड़े। वैसे भी तीन साल पहले गार्डियन ने स्टोरी की थी कि चीन सरकार के प्रोपगैण्डा लेखों को छापने वालों में NYT भी शामिल था।
जितेंद्र कुमार-
“जिसे मैं ढूँढा गली-गली, वो मेरे घर के पीछे मिली!”
पेगासस मामले में देश में हंगामा मचा था. विपक्षी नेताओं का ही नहीं नहीं बल्कि लगभग सभी गणमान्य लोगों के फ़ोन टेप हो रहे थे. पेगासस बार-बार सफ़ाई दे रहा था कि हम सिर्फ़ सरकार से डील करते हैं, लेकिन सरकार इससे इंकार कर रही थी. आज इंडियन एक्सप्रेस ने न्यूयार्क टाइम्स के हवाले से खबर की है कि इन सारी कारनामे के सूत्रधार साक्षात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही हैं! जब शीर्ष पर बैठा इंसान ही ऐसा हो तो देश को गर्त में जाने से कौन रोक सकता है?
गिरीश मालवीय-
न्यूयॉर्क टाइम्स कह रहा है कि मोदी सरकार ने पांच साल पहले 2017 मे 15 हजार करोड़ रुपये का जो रक्षा सौदा इस्राइल से किया था, उसमें पेगासस स्पाईवेयर की खरीद भी शामिल थी। अखबार ने अपनी सालभर लंबी चली जांच के बाद यह खुलासा किया है।
ऐसे खुलासे के बाद एक देश के रूप में हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। दूसरी तरफ बेशर्म मोदी सरकार को अपनी घटिया हरकतों पर गर्व होता दिखाई देता हैं।
पेगासस एक ऐसा स्पायवेयर है, जो इसे संचालित करने वालों को दूर से ही किसी स्मार्टफोन को हैक करने के साथ ही उसके माइक्रोफोन और कैमरा सहित, इसके कंटेंट और इस्तेमाल तक पहुंच देता है.
इस तरह के सॉफ्टवेयर आतंकवाद का मुकाबला करने के एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन भारत में मोदी सरकार ने इससे विपक्ष के नेताओ, पत्रकारो, मानव अधिकार कार्यकर्ताओ, आएएस अफसरों, जजों, और भाजपा में मोदी के सहयोगियों की जासूसी करवा रही है।
1972 में अमेरिका में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के कार्यालयों पर जासूसी कराने की कोशिश की थी, जिसे वॉटरगेट स्कैंडल के नाम से जाना जाता है. इसके कारण बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
आज तो हम इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि मोदी सरकार इस इस्तीफा देना तो दूर रहा इस कृत्य पर माफी भी मांगेंगी।