यशवंत सिंह-
अंग्रेजों का राज ऐसा ही था न. आपको पता तक नहीं चलेगा, आप पर मुकदमा हो जाएगा. आपको एफआईआर की कापी नहीं मिलेगी. आप को बिना कोर्ट गए ही दोषी मान लिया जाएगा. फिर आपको थाने में बुलाकर रगड़ दिया जाएगा. आप के सामान की जब्ती कर ली जाएगी और बिना कोई रसीद दिए आपको थाने से भगा दिया जाएगा. आप रोते कलपते रहिए. शिकायत दर शिकायत करते रहिए. बहुत ज्यादा शिकायत कर दी तो वे जांच करके आपको ही दोषी बताने लगेंगे कि आप अनावश्यक दबाव बना रहे हैं अफसरों पर.
धन्य है दिल्ली पुलिस. धन्य है इनके जांचकर्ता अधिकारी. पीड़ित से किसी को बात करने की फुर्सत ही नहीं. ये नहीं बताया कि फोन जब्ती की रसीद क्यों नहीं दी. ये नहीं बताया कि जांच में शामिल होने आए व्यक्ति को मारने पीटने की धमकी क्यों दी गई. अभद्रता और उत्पीड़न क्यों किया गया. एसीपी संजीव कुमार और इंस्पेक्टर सूरज पाल को बचाने में दिल्ली पुलिस का पूरा महकमा लग गया है.
ज्ञात हो कि मेरे पर हुए पुलिसिया अत्याचार के खिलाफ ये शिकायत छत्तीसगढ़ के चर्चित किसान नेता राजाराम त्रिपाठी ने की है. उनके पास आज फोन भी पहुंचा. उन्होंने जांच से संतुष्ट होने से इनकार कर दिया और दुबारा जांच करने के लिए प्वाइंट्स बताए हैं. राजाराम त्रिपाठी जी बीस नवंबर को दिल्ली आ रहे हैं. वे खुद निजी तौर पर पेश होकर बयान देंगे और बताएंगे कि इस मामले की सच्चाई क्या है.
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