मजीठिया वेज बोर्ड देने में महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े समाचार पत्र समूह ने गड़बड़ी-धोखाधड़ी की!

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यशोभूमि (हिंदी), पुण्यनगरी (मराठी), मुंबई चौफेर (मराठी), आपलं वार्ताहर (मराठी), कर्नाटक मल्ला (कन्नड़) का प्रकाशन करने वाले तथा अपने आपको महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा समाचार पत्र समूह बताने वाले संस्थान अंबिका ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशनुसार मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन गणना करते समय गड़बड़ी की है. कंपनी द्वारा वेज बोर्ड के मुद्दे पर उदासीनता दिखाने पर लंबे समय तक इंतजार करने के बाद पत्रकारों ने कामगार आयुक्त के यहां शिकायत दर्ज कराई थी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार वेतन दिलवाने का आग्रह किया था। जिस पर आयुक्त ने अंबिका ग्रुप से इस बारे में जबाब मांगा था। अंबिका ग्रुप ने 30 अक्टूबर को कामगार आयुक्त के यहां पत्र देकर आश्वस्त किया था कि वह इसी माह से कोर्ट के निर्देशानुसार निर्धारित वेतन देने लगेंगे और एरियर का भी भुगतान इसी वर्ष कर देंगे।

परन्तु इस माह जब कंपनी ने वेतन दिया तो कर्मचारी ठगे रह गए। क्योंकि अधिकांश कर्मचारियों के इन हैंड वेतन में 200 से 600 रुपए तक ज्यादा आए थे, जबकि ग्रास सेलरी पूर्ववत थी। कर्मचारियों जब अपनी सेलरी स्लीप देखी तो इस राज से पर्दा हटा। दरसअसल कंपनी ने इस माह से डीए और बेसिक को अलग-अलग कर दिया है, जबकि पहले ये दोनों एक ही में जोड़कर दिखाए जाते थे। कंपनी की द्वारा बेसिक कम किए जाने से पीएफ के रूप में कटने वाली राशि भी कम हो गई है और इस तरह से कंपनी का पीएफ शेयर भी कम हो गया। परन्तु कंपनी ने सबसे बड़ी धोखाधड़ी बेसिक सेलरी एवं उसके अनुसार ग्रास सेलरी के निर्धारण में किया है। कंपनी ने अपने अधिकांश कर्मचारियों की बेसिक सेलरी 7000 या उसके आस-पास दिखाई है। इतना ही नहीं सेलरी कैलकुलेशन में इतनी गड़बड़ियां की गई है कि ज्यादा बेसिक वाले की ग्रास सेलरी कम बेसिक वाले से कम है।

वहीं वेतन निर्धारण में न्यूनतम वेतन के अलावा वेज बोर्ड के किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया है। यहां बता दें कि वेज बोर्ड के अनुसार 7000 रुपये बेसिक सबसे छोटे पद पर कार्यरत पत्रकार की होनी चाहिए और वो भी उस कंपनी के लिए जिसका वार्षिक टर्न ओवर 1 करोड़ से कम हो। अंबिका ग्रुप द्वारा प्रतिदिन 10 लाख से ज्यादा प्रतियां बेचने वाली, प्रदेश भर में दर्जन भर प्रिंटिंग प्रेस की मालिकाना हक रखने वाली, प्रदेश की टाप की वितरण कंपनी का संचालन करने वाली तथा 1000 से भी ज्यादा कर्मचारियों की क्षमता वाली इस कंपनी का वार्षिक टर्न ओवर कम से कम कितना होगा,  इसकी कल्पना एक अनपढ़ व्यक्ति भी कर सकता है। लेकिन महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े समाचार पत्र समूह ने टर्नओवर एक करोड़ से भी कम होने का दावा किया है।  कंपनी के इस फरेब से गुस्साएं कर्मचारियों ने अपने हक के लिए एक बार फिर कामगार आयुक्त को पत्र लिखकर पारदर्शी तरीके से तथा वास्तविक टर्न ओवर के हिसाब से वेतन निर्धारण एवं भुगतान कराने की मांग की है।

शशिकांत सिंह की रिपोर्ट.



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Comments on “मजीठिया वेज बोर्ड देने में महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े समाचार पत्र समूह ने गड़बड़ी-धोखाधड़ी की!

  • Kashinath Matale says:

    please post the salary slip after implementation of Majithia Wage Board for any group any employee, for calculation
    Thanks!

    Reply
  • भास्कर प्रबंधन भी अपना वास्तविक टर्न ओवर छिपा रहा है। देश का नंबर वन अखबार होने का दावा करने वाले अखबार के कर्मचारियों का वेतन दिहाड़ी मजदूरों से भी कम है।

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