भोपाल : बीटीएस न्यूज़ में कर्मचारियों को सैलरी मांगने पर टर्मिनेट कर दिया जा रहा है। लगभग 85 कर्मचारी 3 महीने की सैलरी के लिए दरदर भटक रहे हैं। BTS न्यूज़ के ग्रुप मैनेजिंग एडिटर नीरद निश्छल हैं। इन पर आरोप है कि ये सेलरी मांगने वालों को धमका रहे हैं।
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‘नेशन लाइव’ चैनल वाले काम कराने के बाद नहीं देते सेलरी, कई पत्रकार पहुंचे थाने
नीचे दिया गया मेल अंजली सिंह ने नेशन लाइव चैनल के प्रबंधन को थी, पर वहां से कोई जवाब नहीं आया. इस चैनल के कर्ताधर्ता इशिका सिंह और अजय शाह नामक दो प्राणी बताए जाते हैं. आजकल के वक्त में दर्जनों फर्जी चैनल चल रहे हैं. झूठ और आडंबर के दम पर चलाए जा रहे …
पत्रकार राहुल जैमन समेत कई मीडियाकर्मियों की सेलरी दाबे बैठा है जयपुर का ‘खास खबर’
पत्रकार राहुल जैमन ने सूचित किया है कि वे 9 महीने पहले तक खास खबर, लाजपत मार्ग, सी स्कीम, जयपुर में एक कंटेंट राइटर के तौर पर काम करते थे। उन्होंने 1 मई, 2016 को ज्वॉइन किया था। जनवरी, 2017 से आफिस में करीब-करीब सभी कर्मचारियों को सैलेरी के लिए परेशानी आने लगी।
‘प्रतिनिधि’ न्यूज चैनल में सेलरी के लिए बवाल, एडिटर इन चीफ घिरे, पुलिस आई (देखें वीडियो)
‘प्रतिनिधि’ न्यूज चैनल वैसे तो दिन भर उपदेश देता रहता है, नैतिकता पिलाता रहता है, सिस्टम ठीक करने के लिए कमर कसे दिखता रहता है लेकिन बात जब खुद के चैनल के भीतर शोषण की आती है तो यहां भी हाल बाकियों जैसा ही दिखता है. खबर है कि इस चैनल के इंप्लाई कई महीने से बिना सेलरी काम कर रहे हैं. एक रोज उनका धैर्य जवाब दे गया. कहा जा रहा है कि चैनल के एडिटर इन चीफ जब बिना सैलरी दिए सामान लेकर जा रहे थे तो कर्मचारियों ने उन्हें रोक लिया और खुद के बकाया पैसे की बात की.
रिपोर्टरों का पैसा खा गया यह चैनल!
सेवा में,
सम्मानित चैनल हेड / सीनियर्स / रिपोर्ट्स / स्टाफ
नेशनल वायस चैनल
आप और हम लोगों ने नेशनल वायस न्यूज़ चैनल को बड़ी मेहनत से आगे बढ़ाया और कम समय में मेहनत के बलबूते पर आगे तक लेकर गए और उस मेहनत की मलाई किसी ओर को समर्पित की गई। हमने दिन रात मेहनत कर लगभग दो साल तक चैनल को अपने खून पसीने से सींचा मगर हमारे सीनियर्स, चैनल के उच्चाधिकारियों ने हमारी मेहनत की मलाई खूब अच्छे से खाया और अपना पेट भरा। साथ ही उनका भी भरा जो उनके चाटुकार थे। मैंने अपनी मेहनत से चैनल को खूब काम करके दिया। खुद भूखा रहा। मगर चैनल को भूखा नहीं रहने दिया। उसका पेट भरता रहा। अपने करियर को देखते हुए घर में झूठा दिलासा देता रहा कि मैं एक अच्छे चैनल में काम कर रहा हूँ। मुझे अच्छा मेहनताना मिलता है। दिल टूट गया जब मेरे पिताजी ने एक दिन कहा कि अपनी कमाई से कुछ घर भी लेकर आया कर। मगर उन्हें कहाँ पता था कि मेरी मेहनत की कमाई तो चैनल के बड़े लोगों में बंट रही है।
नेशनल वॉइस न्यूज़ चैनल पर टिहरी रिपोर्टर का 43800 रुपये बकाया!
उत्तराखंड के जनपद टिहरी गढ़वाल के नेशनल वॉइस के रिपोर्टर को नहीं मिला सितम्बर 2016 से स्टोरी का कोई भी पैसा… सितम्बर 2016 से जून 2017 तक 43800 रुपये बकाया… काफी समय से नेशनल वॉइस के bureau chief प्रखर प्रकाश मिश्रा के आश्वासन के बाद भी उत्तराखंड के सभी रिपोर्टर नेशनल वौइस चैनल में कार्य करते रहे… लेकिन कुछ समय पहले bureau chief प्रखर प्रकाश मिश्रा जी को उनके पद से हटा दिया गया है…
गुटका किंग के अखबार में 7 अगस्त तक सेलरी न मिलने का क्या है राज?
खबर आ रही है कि इंदौर में सबसे अधिक धनी अपने आपको मानने वाले एक अखबार दबंग दुनिया में 7 अगस्त तक कर्मचारियों को सेलरी नसीब नहीं हुई है। यानी 1 या 2 तारीख को वेतन देने वाले इस लखपति अखबार में इतने दिनों तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। वैसे रक्षाबंधन पर्व पर कर्मचारियों के हाथों में वेतन नहीं आने से कई मायूस दिखाई दिए। इधर ईमेल से मिली खबरों के अनुसार यह बात सामने आ रही है कि अखबार में इनकम टैक्स का डंडा चला है इस कारण 7 अगस्त तक कर्मचारियों के अकाउंट में वेतन नहीं पहुंचा है।
इंडिया वॉयस चैनल और जनसंदेश अखबार में सेलरी नहीं मिल रही
इंडिया वॉयस न्यूज चैनल में, जो यूपी और उत्तराखंड की खबरें प्रसारित करता है, पिछले 2 महीने से ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों की सेलरी नहीं मिली है. हालात ये हैं कि कर्मचारियों के पास घर का किराया देने तक के पैसे नहीं है… यहां तक की 2017 विधानसभा चुनाव के बाद कई स्टॉफ को बाहर का रास्ता दिखाया गया, उनकी भी सेलरी अभी तक नहीं दी गई है…
न्यूज नेशन के मालिकों-प्रबंधकों! अप्रेजल फार्म तो पहले ही भरवा लिए, बढ़ी हुई सेलरी कब तक दोगे?
न्यूज नेशन की चिंदी चोरी… एक तरफ तो पत्रकार दुनिया में हो रहे अन्याय की आवाज उठाते हैं वहीं दूसरी ओर खुद पर हो रहे अन्याय को चुपचाप सह लेते हैं। इसके उदाहरण तो कई हैं मगर आज यह बात मीडिया के एक बहुत बड़े संस्थान से जुड़ी है। बात हो रही है न्यूज़ नेशन न्यूज़ चैनल की। प्रबंधन के 2 चैनल (न्यूज नेशन, न्यूजस्टेट) हैं। न्यूज नेशन टॉप 5 का चैनल है और न्यूज स्टेट यूपी-उत्तराखंड में काफी समय से पहले पायदान पर काबिज है। साथ ही तीसरे चैनल (न्यूजस्टेट MP-CG) की तैयारियां भी जोरों पर हैं। इससे साफ है कि संस्थान के पास पैसों की कमी नहीं है।
‘चक दे’ में काम कराते हैं लेकिन सेलरी नहीं देते
मेरा नाम रणजीत कौर है और मैंने ‘चक दे’ में 8 जून 2016 को ज्वाइन किया था, बतौर न्यूज़ एंकर इन पंजाबी. स्टार्टिंग में बड़ी बड़ी बातें की गयी थीं. पर था कुछ नहीं. नाईट ड्यूटी थी और सिक्योरिटी के नाम पर कुछ नहीं था. एक छोटी सी बिल्डिंग में इसका ऑफिस है, फरीदाबाद में. वहीं कॉल सेंटर चलते हैं. वहीं न्यूज़ चैनल भी है. इस चैनल का मालिक एनआरआई है.
Re-open the case against Dr. B. N. Goswami and Chabi Bardhan
atrocity, conspiracy, harassment, robbery of my salary… Misuse of government property and Power
To,
The Commissioner of Police,
Near Pune Station, Pune 411001
Subject: Re-open the case against Dr. B. N. Goswami (retired director of IITM, Pune) and Chabi Bardhan for atrocity, conspiracy, harassment, robbery of my salary, Misuse of government property and Power
Respected sir,
सहारा मीडिया में सेलरी संकट से त्रस्त कर्मियों ने शुरू किया मेन गेट पर धरना-प्रदर्शन (देखें वीडियोज)
सहारा मीडिया के नोएडा स्थित मुख्य आफिस के गेट पर सहारा कर्मियों ने सेलरी के लिए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. कई महीने की सेलरी दबाए बैठे सहारा प्रबंधन ने अपने कर्मियों को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया है. इससे परेशान कई कर्मचारी अब गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू कर चुके हैं. दूसरे मीडिया हाउसेज इस आंदोलन को इसलिए कवर नहीं कर रहे क्योंकि चोर चोर मौसेरे भाई के तहत वे एक दूसरे के घर में चलने वाले उठापटक को इग्नोर करते हैं. धरना प्रदर्शन सात जनवरी से चल रहा है. धरने में करीब 25 कर्मचारी खुल कर हिस्सा ले रहे हैं.
चैनल वन प्रबंधन ने सेलरी मांगने पर अपने मीडियाकर्मी की जमकर पिटाई की
चैनल वन नामक न्यूज चैनल से सूचना है कि यहां कार्यरत मीडियाकर्मी आयुष तिवारी ने जब दो महीने की रुकी हुई सेलरी की मांग की तो प्रबंधन ने बुरी तरह पिटाई करवा दी. Channel One का संचालन पिता-पुत्र जहीर अहमद और काशिफ अहमद करते हैं. इन दोनों पर पहले भी कई तरह के गंभीर आरोप लग चुके हैं. जानकारी के अनुसार करीब 2 महीनों से रुकी सेलरी की मांग करने पर चैनल प्रबंधन ने अचानक आयुष तिवारी को सभी दस्तावेज़ किसी नए कर्मचारी को सौंपने के लिए कह दिया.
हरियाणा में अमर उजाला ने मारा सर्वेयरों का वेतन!
नमस्कार सर
मैं अपना नाम पहचान छिपा कर यह पत्र लिख रहा हूं. मैं रोहतक हरियाणा का रहने वाला हूं. मैंने कई महीनों से अमर उजाला रोहतक का सर्वे ज्वाइन कर रखा था लेकिन पिछले तीन महीनों से सर्वे बंद है. वजह है कि अमर उजाला ने आखिरी दो महीनों का हमारा आधा आधा वेतन नहीं दिया. दरअसल अमर उजाला में सर्वेयर की सैलरी 7500 है, बिना किसी छुट्टी के. लेकिन अचानक से सितंबर महीने में हमारी सैलरी ये कहकर पूरी नहीं दी गई कि बाद में देंगे.
‘ओके इंडिया’ न्यूज चैनल नहीं दे रहा अपने पत्रकारों को पैसा
‘ओके इण्डिया’ नामक न्यूज चैनल कर रहा पत्रकारों का शोषण. आठ महीनों से नहीं दिए न्यूज का पेमेंट. अपने आपको नेशनल न्यूज चैनल बताने वाला ओके इण्डिया न्यूज चैनल फरवरी से आनएयर हो गया था और तभी से न्यूज पत्रकारों से ली जा रही थी. पहली मीटिंग में जोगिन्द्र दलाल जो मालिक हैं, ने 200 …
यूनीवार्ता में बिना सेलरी के काम करते हैं मीडियाकर्मी!
एक ऐसा संस्थान जहां लोग पैसे कमाने के लिए नहीं जाते. दिल्ली में एक मीडिया संस्थान ऐसा है जहां कर्मचारियों को हर महीने सैलरी नहीं मिलती. इसके बावजूद न कोई कर्मचारी छुट्टी करता है और न ही मजबूती से सेलरी न दिए जाने का विरोध ही करता है. एक एडमिन विभाग है लेकिन वहां सैलरी के बारे में नहीं पूछ सकते. अकाउंट्स विभाग भी है लेकिन वहां बैठे साहब महीना पूरा होने के बाद ‘इस हफ्ते इस हफ्ते’ कहकर हफ्तों निकाल देते हैं.
सेलरी न मिलने पर राष्ट्रीय सहारा अखबार की कई यूनिटों में हड़ताल
सहारा मीडिया से बड़ी खबर आ रही है कि साल भर से सेलरी न मिलने से नाराज राष्ट्रीय सहारा अखबार के कर्मियों ने हड़ताल कर दिया है. हड़ताल से नोएडा, लखनऊ, बनारस, कानपुर यूनिटें प्रभावित हैं. बताया जा रहा है कि गोरखपुर और पटना की यूनिटों में हड़ताल नहीं हुआ है. कार्य बहिष्कार के कारण सहारा मीडिया के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भागदौड़ तेज कर दी है. किसी तरह हड़ताल खत्म कराने की कोशिशें हो रही हैं.
एकजुट होने लगे सहारा कर्मी, सेलरी के लिए किया प्रबंधन का घेराव
सहारा कर्मी अपनी सेलरी के लिए एकजुट होने लगे हैं. सहारा मीडिया में सेलरी संकट और कर्मचारियों की अंदरखाने एकजुटता की खबर भड़ास पर प्रकाशित होने के कुछ घंटे के बाद ही सहारा के नोएडा आफिस में कई महीने से सेलरी न मिलने से नाराज सहारा कर्मियों ने प्रबंधन का घेराव कर लिया. आंदोलनकारी कर्मियों ने भड़ास को एक मेल के जरिए जानकारी दी कि कर्मचारियों की एकजुटता और घेराव देखकर वहां मौजूद सभी एचओडी अपनी अपनी केबिन में भाग निकले.
सुब्रत राय जेल में प्रसन्न, सहारा मीडिया कर्मी जेल के बाहर भीषण सेलरी संकट से खिन्न
क्या कांट्रास्ट है. जो जेल में है वो प्रसन्न है. जो आजाद है वह खिन्न है. यह तीसरा महीना चल रहा है सहारा मीडिया में बिना सेलरी काम कराए जाने का. सुब्रत राय तिहाड़ जेल में दबा कर किताबें लिख रहे हैं, बाहर अखबारों में करोड़ों अरबों का विज्ञापन अपनी किताब से संबंधित छपवा रहे हैं और कह रहे हैं कि उनके पास अपने कर्मियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं. सुब्रत राय खुद को रिहा कराने के लिए होटल जमीन सब बेचने का प्रस्ताव कोर्ट के सामने कर रहे हैं लेकिन अपने कर्मियों को सेलरी देने के नाम पर चुप्पी साधे हैं.
जानिये अगर आप दैनिक भास्कर में हैं तो कितना होना चाहिये आपका वेतन
दूसरे समाचार पत्रों के पत्रकार भी वेतन तालिका बनाने में ले सकते हैं बिस्तर पर पड़े जुझारू पत्रकार हेमंत की मदद
प्रिय मित्रों,
मैं जब से मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई में भड़ास के यशवंत सर के आशीर्वाद से आप सबके साथ शामिल हूआ हूं, आप सबका लगातार समर्थन और उत्साह मिल रहा है। देश भर के पत्रकारों के फोन लगातार आ रहे हैं और लोग मुझसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जमा किये जाने वाले एफिडेविट के बारे में पूछ रहे हैं। साफ कहूं तो लगभग २०० फोन मेरे मोबाईल पर आये जिसमें लगभग १८० फोन दैनिक भास्कर के अपने पत्रकार भाईयों और भास्कर से जुड़े देश भर के लोगों के थे। उससे साफ है कि सबसे ज्यादा प्रताड़ना के शिकार लोगो में भास्कर के पत्रकारों की संख्या सबसे ज्यादा है।
‘दक्षिण मुंबई’ नामक अखबार की नीचता के खिलाफ युवा पत्रकार पहुंचा लेबर आफिस और पुलिस स्टेशन, पढ़ें शिकायती पत्र
मुंबई से एक अखबार निकलता है ‘दक्षिण मुंबई’ नाम से. इस अखबार में एक युवा पत्रकार ने पांच महीने तक काम किया. जब उसने सेलरी मांगी तो उसे बेइज्जत करके भगा दिया गया. इस अपमान से नाराज युवा पत्रकार ने लेबर आफिस में पूरे मामले की शिकायत की और भड़ास के पास पत्र भेजा. जब प्रबंधन को यह सब बात पता चली तो युवा पत्रकार को बुरी तरह धमकाया गया. इससे डरे युवा पत्रकार ने पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराई है.
पांच महीने बिना सेलरी काम कराया और बेइज्जत करके निकाल दिया
माननीय संपादक जी
भड़ास4मीडिया
सर
मेरा नाम श्याम दांगी है और मैं मुंबई में पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सर नौकरी के दौरान मैं कुछ कठिनाईयों का सामना कर रहा हूँ जिसके लिए आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है। मैं पिछले पांच महीने से मुंबई से प्रकशित होने वाले दैनिक अखबार दक्षिण मुंबई में बतौर सब एडिटर कार्यरत था। लेकिन मुझे इस दौरान कभी सैलरी नहीं मिली।
न्यूज वर्ल्ड इंडिया के कर्मियों का वेतन दस फीसदी घटा, पढ़ें आंतरिक मेल
न्यूज वर्ल्ड इंडिया के सभी कर्मचारियों के वेतन में से दस फीसदी की कटौती की जा रही है… एचआर ने मेल भेज कर सूचना दी है… मेल के मुताबिक कंपनी पर आर्थिक दबाव की वजह से ये कदम उठाया गया है… ये है आंतरिक मेल…
पिता की तेरहवीं में छुट्टी लेकर गए फोटो जर्नलिस्ट की चार दिन की तनख्वाह काट ली
राजस्थान पत्रिका समूह में उत्पीड़न और प्रताड़ना की ढेर सारी कहानियां सामने आती रही हैं. एक ताजे घटनाक्रम के मुताबिक पत्रिका ग्वालियर के फोटो जर्नलिस्ट शशि भूषण पाण्डेय अपने पिता की तरेहवीं में हिस्सा लेने के लिए अवकाश पर गए थे. जब वे लौटकर आए तो पता चला उनका अवकाश मंजूर नहीं किया गया है और उनके वेतन से चार दिन की सेलरी काट ली गई है. इससे आहत पांडेय ने प्रबंधन को पत्र लिखकर न्याय करने की गुहार की है.
बकाया वेतन के लिये यूएनआई के पूर्व मीडियाकर्मियों की कानूनी लड़ाई तेज हुई, मदद की अपील
सरकार ने अखबारों एवं संवाद समितियों के कर्मचारियों एवं पत्रकारों के लिये मजीठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं को लागू कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने भी इन अनुशंसाओं को अक्षरश लागू करने का निर्देश दिया है लेकिन इसके बावजूद दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान टाइम्स, स्टेसमैन, यूएनआई जैसे मीडिया संगठनों ने सरकार एवं उच्चतम न्यायालय के आदेशों को धत्ता बताकर या तो मजीठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं को लागू ही नहीं किया है या मनमाने तरीके से लागू किया है। यही नहीं जिन पत्रकारों ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतन वृद्धि लागू किये जाने की मांग की उनके प्रबंधकों ने उनका तबादला करने और उन्हें नौकरी से निकालने के हथकंडे अपनाये।
के.न्यूज वाले बकाया पैसा नहीं दे रहे… इस दिवाली अपनी तीन माह की बिटिया को क्या दूंगा?
संपादक
भड़ास मीडिया
मैं प्रहलाद गुप्ता वाराणसी में के.न्यूज वैनल का रिर्पोटर हूं। मुझे एक साल हो गया के.न्यूज चैनल के लिए रिपोर्टिंग का काम करते। इस दौरान मुझे वेतन के नाम पर चैनल ने वालों ने बस दस हजार रूपये दिए हैं, जब कि मैने अब तक सैकड़ों खबरें चैनल वालों को भेजा है।
सहारा और जागरण के हजारों मीडिया कर्मियों के इतने बड़े-लंबे आंदोलनों को कवरेज नहीं दे रहे बड़े मीडिया हाउसों को अब बेशर्मी छोड़ने की जरूरत
आउटलुक मैग्जीन को धन्यवाद जो उसने सहारा मीडिया के हजारों कर्मियों की बड़ी पीड़ा को आवाज दी. साल भर से बिना सेलरी काम कर रहे और लगभग भुखमरी के शिकार हजारों मीडियाकर्मियों के सड़क पर उतरने और प्रधानमंत्री व सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखने के बावजूद देश के बड़े मीडिया हाउसों की कुंभकर्णी नींद नहीं खुली है. लगता है सहारा चिटफंड से अरबों खरबों का पैसा विज्ञापन के नाम पर डकारने के कारण ये मीडिया हाउस नमक का कर्ज अदा कर रहे हैं.
सहारा कर्मियों की तकलीफ को ‘आउटलुक’ मैग्जीन ने भी दी आवाज, पढ़िए भाषा सिंह की रिपोर्ट
आमतौर पर मीडिया वालों की पीड़ा को दूसरे मीडिया हाउस तवज्जो नहीं देते. सहारा मीडिया के कर्मियों की तकलीफ को मुख्य धारा के मीडिया हाउस नहीं उठा रहे क्योंकि हर किसी के यहां कर्मियों का किसी न किसी रूप में शोषण-उत्पीड़न है. यही वजह है कि दैनिक जागरण के सैकड़ों कर्मियों की बर्खास्तगी और उन कर्मियों का आंदोलन किसी मीडिया हाउस के लिए खबर नहीं है.
लोकसभा टीवी : सबसे कम सेलरी प्रोडक्शन स्टाफ की, सबसे ज्यादा काम इन्हीं से करवाया जाता है..
सरकारी चैनल यूँ भी अपने काम के रवैये को लेकर बदनाम है और उनमे होने वाली भर्तियां कैसे होती हैं यह आप सभी जानते हैं.. लोकसभा टीवी को लगभग 10 साल हो गए है लेकिन सीमित संसाधनों में लोगों ने अच्छा काम किया है.. मगर भर्ती प्रक्रिया हमेशा सवालों के घेरे में रही है और कार्य प्रणाली भगवन भरोसे.. बहुत से लोग हैं जो वहां पिछले 9-10 साल से प्रोडक्शन असिस्टेंट या असिस्टेंट प्रोड्यूसर का काम कर रहे हैं.. तजुर्बा अच्छा खासा है लेकिन नियमों के अभाव में शोषण के शिकार हैं..
सात सौ रुपये, हजार रुपये, ढाई हजार रुपये… ये है सेलरी… बदले में 50 लाख से अधिक की विज्ञापन की वसूली
दैनिक हिन्दुस्तान से जुड़े रामगढ जिला अन्तर्गत गोला संवाददाता मनोज मिश्रा ने हिंदुस्तान अखबार को अलविदा कह दिया है. श्री मिश्रा ने इस बाबत एक आवेदन प्रधान संपादक श्री शशिशेखर और झारखण्ड के वरीय संपादक श्री दिनेश मिश्र को प्रेषित किया है. मनोज ने कहा कि सन 2000 से हिन्दुस्तान से जुड़ा. पत्रकारिता में काफी उतार-चढ़ाव देखे. जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले पत्रकारों का आज भी काफी शोषण किया जा रहा है. उन्हें अखबार प्रबंधन से सम्मानजनक पारिश्रमिक नहीं मिलता है. इस कारण पत्रकार आर्थिक तंगी से जूझते रहते हैं. सभी का परिवार है. खर्चे भी काफी हैं. पारिवारिक दायित्व होने और आर्थिक तंगी के कारण ही अखबार को अलविदा कह दिया.
आर्थिक तंगी से परेशान हिंदुस्तान अखबार के स्टिंगर मनोज मिश्र ने पत्रकारिता को गुडबाय कहा
झारखंड में हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान, रांची के स्थापना वर्ष से कार्यरत गोला-रामगढ़ से स्टिंगर मनोज मिश्र ने आर्थिक तंगी से जुझते हुए 28 अगस्त 2015 को पत्रकारिता क्षेत्र को अलविदा कह दिया है. अलविदा कहते हुए मनोज मिश्र ने स्टिंगर पद को छोड़ने के संबंध में संपादक के नाम पत्र में कहा है कि मैंने 15 वर्षों तक निष्ठापूर्वक, इमानदारी से समर्पित भाव से अखबार में काम किया. अब मैं काम करते हुए असहज महसूस कर रहा हूं. साथ ही स्टिंगर पद छोड़ रहा हूं.
नवभारत बस्तर के कर्मचारियों को दो महीने में एक दफे वेतन मिलता है!
नवभारत यूं तो एक प्रतिष्ठित अखबार समूह है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की दुर्दशा यह है कि यहां उन्हें दो महीनों में एक दफे वेतन मिलता है। आपको बता दें कि बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर दफ्तर से संचालित है। दूसरी ओर वेतन में भी भारी विसंगति की जानकारी मिली है। कुछ लोगों का कहना है कि अन्य अखबार समूहों के बनिस्बत यहां काफी कम वेतन मिलता है। और तो और, पिछले महीने का वेतन इस महीने की 25 तारीख को दी जाती है। ऐसे में अपने परिवार का पोषण करने वाले विशुद्ध पत्रकार किस तरह से अपने दायित्वों को निभाते होंगे, इसे लेकर सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है।
लोकायत मैग्जीन में पांच महीने से सेलरी नहीं
लोकायत मैग्जीन में पांच महीने से सेलरी नहीं मिल रही है. इस कारण वहां कार्यरत मीडियाकर्मी बेहद परेशान हैं. मैग्जीन के मालिक एमके तिवारी हैं. इनका साधना न्यूज चैनल में भी हिस्सा बताया जाता है. लोकायत मैग्जीन के संपादक बलराम मलिक नामक कोई सज्जन है जो मालिक के आगे अपने कर्मियों की समस्याओं परेशानियों को नहीं उठाते, सिर्फ और सिर्फ मीडियाकर्मियों से काम करवाने में जुटे रहते हैं.
मजीठिया: बाजू में काली पट्टी, मौन व्रत, रंग लाया जागरण कर्मियों का संघर्ष, बढ़ा वेतन
पिछले महीने दैनिक जागरण नोएडा के कर्मी अपनी जायज मांगों को लेकर प्रतीकात्मक आंदोलन पर थे। इसके साथ ही उन्होंने 16 जुलाई को हड़ताल का नोटिस प्रबंधन को थमाया हुआ था जिसके बाद जागरण कर्मियों की एकता से घबराये हुए प्रबंधन ने वार्ता का लंबा दौर चलाया। इस दौरान प्रबंधन अपनी कुटिलता से बाज नहीं आया और हड़ताल रुकवाने के लिए अदालतों में याचिका दायर करता रहा परंतु जागरणकर्मियों ने भी जैसे दृढ़ निश्चय कर रखा था कि अब संस्थान में पुरानी परिपाटी नहीं चलने देंगे। अब और अत्याचार सहन नहीं करेंगे। अपना जायज हक लेकर रहेंगे। प्रबंधन की कुटिल चालों से वार्ता को पटरी पर आते न देख जागरण कर्मियों ने मौन व्रत पर जाने का निर्णय लिया।
अखबार मालिक ग्रेड पर फैला रहे भ्रम, झांसे में न आएं
सुप्रीम कोर्ट में गए कर्मचारियों की एकता से घबराये अखबार मालिक अब उनकी एकता और मनोबल को तोड़ने के लिए समाचार-पत्र/पत्रिकाओं के ग्रेड को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। कर्मियों को अलग-अलग बुलाकर समझा रहे हैं कि हमारे समाचार-पत्र/पत्रिका की यूनिट मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार ग्रेड-4 या ग्रेड-5 में आ रही है। इसके …
सहारा : ब्रेकिंग न्यूज़ से नहीं, वेतन से मिलती है बच्चे के स्कूल की फीस और दो वक़्त की रोटी
नोएडा : कई दिनों से पुराने साथियों की नाराज़गी और उनके शिकायती फोन ने बेहद शर्मिंदा कर रखा है। सहारा में लगभग पांच साल साथ काम करने वाले कई साथी इन दिनों बेहद परेशान हैं। कई कई महीनों से उनकी सेलरी नहीं मिली है। चेयरमैन सुब्रतो राय सहारा कई माह से तिहाड़ में हैं। कई माह से सेलरी न मिलने की वजह से अब सहारा कर्मियों की हिम्मत और सब्र जवाब दे गया। और शुक्रवार को सहारा के प्रबंधन के लाख वादों के बावजूद सहारा कर्मी हड़ताल पर चले गये। लेकिन हमने अभी तक इस पूरे मामले पर कुछ नहीं लिखा।
लेबर इंस्पेक्टरों को नहीं पता मजीठिया के हिसाब से सैलरी कैलकुलेशन का फार्मूला
मजीठिया वेज बोर्ड की जांच के लिए लेबर इंस्पेक्टरों को दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद श्रम विभाग से बहुत अच्छे की उम्मीद नहीं की जा सकती। क्योंकि अधिकतर लेबर इंस्पेक्टर मजीठिया वेज बोर्ड की एबीसीडी से बाकीफ नहीं हैं और न ही उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन की गणना करने का अनुभव व प्रशिक्षण दिया गया है। लिहाजा वे विवशता में आदेशों का पालन करने के लिए समाचार पत्रों की यूनिटों व कार्यालयों में तो जा रहे हैं, मगर वहां जाकर क्या करना है इस संबंध में उनके पास कोई गाइडलाइन नहीं है। हिमाचल प्रदेश के संबंध में तो ऐसा ही देखने को मिला है। बाकी प्रदेशों में भी शायद इससे अलग स्थिति नहीं होगी, क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।
सैलरी न मिलने से दुखी एक इंप्लाई का पत्र नेशनल दुनिया के मालिक के नाम
अखबारों के मालिक किस तरह से अपने कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं, उनके स्वाभिमान को चोट पहुंचा रहे हैं, इसकी ताजा मिसाल है नेशनल दुनिया के पत्रकार अनिरुद्ध चौहान की आपबीती, जिसका उन्होंने भड़ास4मीडिया को प्रेषित एक पत्र में ब्योरेवार खुलासा किया है। सैलरी न देना, जब मन करे, जहां तबादला कर देना, ऐसा इन दिनो बड़े मीडिया हाउसों में धड़ल्ले से चल रहा है। खबर बेचने का तामझाम फैलाकर ‘चौथा खंभा’ के ये धंधेबाज कितने फितरती हो चले हैं, उस सच्चाई का भी भेद खोलता है ये पत्र –
अमर उजाला रिटेनर्स को सैलरी के नाम पर कर रहा परेशान
हरियाणा में दैनिक भास्कर से टक्कर लेने के दावे करने वाले अमर उजाला पब्लिकेशन की ओर से अपने रिटेनर्स को सैलरी के नाम पर परेशान किया जा रहा है।
तीन साल से वेतन न मिलने पर लामबंद हुए मीडियाकर्मी, डिप्टी सीएम से मिलेंगे
कोक कम्पनी के बैनर तले पंजाब में बोटलिंग प्लांट से पानी को कोल्ड ड्रिंक का रूप देकर करोड़ो रुपये के वारे न्यारे करने वाले जसपाल कंधारी पिछले तीन सालों से मीडिया कर्मियों का शोषण कर रहे हैं। इसके खिलाफ अब पंजाब में पीड़ित मीडियाकर्मी मोर्चा खोलने जा रहे हैं और जल्द ही पंजाब के डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल से मिल कर जसपाल कंधारी और उनके चैनल टीम के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग करेंगे.
दो साल से भुगतान के लिए तड़प रहे एनएनआईएस न्यूज एजेन्सी के सैकड़ों श्रमजीवी स्ट्रिंगर
इन दिनो ‘एनएनआईएस न्यूज एजेन्सी’ का हाल-बेहाल है। एजेंसी में कार्यरत स्ट्रिंगर भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं। पिछले दो साल से उनको सैलरी के नाम पर सिर्फ तारीख पर तारीख दी जा रही है। वो तारीख कब आएगी, यह कोई बताने वाला नहीं। स्ट्रिंगरों का कहना है कि ये तो भला हो भड़ास4मीडिया का, जिसके माध्यम से अपना दुःख कहने का मौका मिल रहा है अन्यथा चैनल व एजेंसी के अंदर तो स्ट्रिंगरों का दर्द सुनने तक को कोई तैयार नहीं।
श्री टाइम्स ने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए श्रमायुक्त से फिर मांगा एक हफ्ते का समय
मीडिया जगत में फजीहत झेल रहा दैनिक श्री टाइम्स न्यूज पेपर का प्रबंधन कर्मचारियों को वेतन देने में एक फिर अपने को असमर्थ बताते हुए एक हफ्ते का समय मांगा है। बताते चलें कि कर्मचारियों का अक्टूबर महीने से वेतन पेडिंग है। पैसा मांगने पर प्रबंधन द्वारा फटकार मिली और बगैर सूचित किए तानाशाही दिखाते हुए दफ्तर से बाहर कर दिया। तब कर्मचारियों ने श्रम विभाग में जाकर वेतन के लिए गुहार लगाई।
द सी एक्सप्रेस : सेलरी मिलती नहीं, रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों पर विज्ञापन लाने के लिए भारी दबाव
कभी आगरा में धमाकेदार लॉन्चिंग के कारण प्रसिद्ध हुआ हिन्दी डेली ‘द सी एक्सप्रेस’ कई महीनों से अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहा है। पत्रकारों को पिछले चार माह से तनख्वाह नहीं मिली है। जो तनख्वाह की मांग करता है, उसका हिसाब करने की धमकी देते हुए इस्तीफा मांगा जाता है। जब इस्तीफा दे देता है, तो उससे कहा जाता है कि दस दिन में पूरा भुगतान हो जाएगा। वे दस दिन कभी नहीं आते हैं।
‘जिया इंडिया’ मैग्जीन के बुरे दिन, मीडियाकर्मियों को तीन महीने से वेतन नहीं
पिछले दिनों पत्रकार एसएन विनोद के नेतृत्व में ‘जिया इंडिया’ नामक एक राष्ट्रीय हिंदी मैग्जीन लांच हुई थी. इस मैग्जीन को लांच करने से पहले जिया न्यूज नामक चैनल को बंद कर सैकड़ों मीडियाकर्मियों को पैदल कर दिया गया था. उन्हीं विवादों और आरोपों के बीच जिया इंडिया नामक मैग्जीन लांच हुई थी. अब खबर है कि जिया न्यूज की तरह हाल जिया इंडिया का भी होने जा रहा है. तीन-तीन महीने से यहां सेलरी नहीं मिली है. पत्रकारों का हाल बेहाल है.
‘दैनिक जनवाणी’ की चौथी वर्षगांठ पर प्रबंधन ने कर्मचारियों को दिया तोहफा
: कर्मचारियों को मिलेगी वार्षिक वेतन वृद्धि : मेरठ : ‘दैनिक जनवाणी’ की चौथी वर्षगांठ पर प्रबंधन ने कर्मचारियों को नायाब तोहफा दिया। गॉडविन ग्रुप के निदेशक जितेंद्र सिंह बाजवा ने मंच से कर्मचारियों को वार्षिक वेतन वृद्धि की घोषणा की। इससे कर्मचारियों में उल्लास का ऐसा रंग छा गया, मानो होली के रंग बिखर गए। कर्मचारियों ने तालियों की गडगडाहट से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। ‘दैनिक जनवाणी’ की चौथी वर्षगांठ कार्यालय परिसर में रविवार को धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर निदेशक भूपेंद्र सिंह बाजवा, जितेंद्र सिंह बाजवा और समूह संपादक यशपाल सिंह ने केक काटा। इस दौरान उत्तराखंड के स्थानीय संपादक योगेश भट्ट भी मौजूद रहे।
वेतन न मिलने से सहारा मीडिया के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर
वेतन न मिलने से सहारा मीडिया के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर आ गये हैं। लगभग एक सप्ताह पहले एजेडब्लू (इनका अपना कैडर है) से लेकर जूनियर एग्जकिवटिव तक के कर्मचारियों को पे स्लिप दे दी गई लेकिन वेतन आजतक नहीं मिला…. संपादक, मैनेजर, एकाउन्ट और एचआर हेड रोज कर्मचारियों को गोली पर गोली दिये जा रहे है… हर कर्मचारी अपने खर्च में कटौती कर रहा है… हर कर्मचारी कर्ज मे गले तक डूब गया है…
राजस्थान पत्रिका में मजीठिया वेज बोर्ड के साइड इफेक्ट : डीए सालाना कर दिया, सेलरी स्लिप देना बंद
कोठारी साहब जी, मन तो करता है पूरे परिवार को लेकर केसरगढ़ के सामने आकर आत्महत्या कर लूं
जब से मजीठिया वेज बोर्ड ने कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाने का कहा व सुप्रीम कोर्ट ने उस पर मोहर लगा दी तब से मीडिया में कार्य रहे कर्मचारियों की मुश्किलें बढ रही हैं. इसी कड़ी में राजस्थान पत्रिका की बात बताता हूं। पहले हर तीन माह में डीए के प्वाइंट जोड़ता था लेकिन लगभग दो तीन वर्षों से इसे सालाना कर दिया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए तनख्वा बढ़ी तो जहां 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी थी तो मजीठिया लगने के बाद कर्मचारियों की तनख्वाह में मात्र 1000 रुपए का ही फर्क आया। किसी किसी के 200 से 300 रुपये की बढ़ोतरी।
द सी एक्सप्रेस के पत्रकारों और गैर-पत्रकारों को चार माह से तनख्वाह नहीं मिली, सेलरी चेक हो गए बाउंस
कभी आगरा में धमाकेदार लांचिंग के कारण प्रसिद्ध हुआ हिन्दी डेली द सी एक्सप्रेस में संकट पर संकट चल रहे हैं। पत्रकारों को पिछले चार माह से तनख्वाह नहीं मिली है। जो तनख्वाह की मांग करता है, उसका हिसाब करने की धमकी देते हुए इस्तीफा मांगा जाता है। जब इस्तीफा दे देता है, तो उससे कहा जाता है कि दस दिन में पूरा भुगतान हो जाएगा। वे दस दिन कभी नहीं आते हैं। तनख्यवाह न िमलने के कारण नौकरी छोड़कर गए एक दर्जन पत्रकारों और गैर पत्रकारों को अभी तक हिसाब नहीं हुआ है। वे चक्कर लगाकर और फोन करके थक चुके हैं।
चैनल वन से बकाया सेलरी के लिए लड़ रहे एक मीडियाकर्मी का खुला पत्र
संपादक, भड़ास4मीडिया, सादर प्रणाम, मैं भड़ास4 मीडिया का एक नियमित पाठक हूं. आप लोगों ने ना जाने कितनी बार हम पत्रकार लोगों के साथ जो अन्याय कभी हुआ है उसके खिलाफ कदम से कदम मिला कर साथ दिया है, उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगा. मैं आपको अपने साथ जो अन्याय हुआ है उसके बारे में अवगत कराना चाहूंगा. आशा करता हूं कि आप इसे प्रमुखता से छापकर मेरे जैसे ना जाने कितने लोगों को फर्जी स्टिंग, ब्लैकमेलिंग और कर्मचारियों का शोषण करने वाले इस बदनाम प्रवृति के न्यूज चैनल ‘चैनल वन’ से सावधान कर उनका सही दिशा में मार्ग दर्शन कर सकते हैं.
नेशनल दुनिया जयपुर में सेलरी संकट, काम बंद करने की तैयारी
नेशनल दुनिया अखबार के सभी संस्करणों में वेतन का संकट खड़ा हो गया है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और जयपुर में पत्रकारों और अन्य मीडिया कर्मियों को दो महीने से वेतन नहीं मिला है. दिल्ली और उत्तर प्रदेश के संस्करणों में पहले से ही सेलरी कई-कई महीने देरी से मिल रही है. अब जयपुर संस्करण में भी यह समस्या शुरू हो गई है. जयपुर में नवंबर महीने की तनख्वाह अभी तक नहीं मिली है, इधर दिसंबर भी बीतने जा रहा है.
बंद होते न्यूज चैनलों और हजारों पत्रकारों की बेरोजगारी के मसले को प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा में उठाया
लोकसभा में दमोह से सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल ने पिछले दिनों एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया. ये सवाल मीडिया जगत से जुड़ा था. प्रह्लाद सिंह पटेल ने उन न्यूज चैनलों का नाम लिया जो बंद हो गए. इनसे हजारों बेरोजगार पत्रकारों के परिवारों के सामने आए संकट का जिक्र किया. साथ ही इस पूरे मसले में कानून की लाचारी के बारे में बताया. प्रह्लाद सिंह पटेल का पूरा सवाल, पूरा संबोधन ये है….
इंडियन एक्सप्रेस चंडीगढ़ के 38 कर्मचारियों का वेतन कम कर दिया गया
: गंभीर मसला है वेतन कटौती का : इंडियन एक्सप्रेस चंडीगढ़ के 38 कर्मचारियों का वेतन कम कर दिया गया है जबकि मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक सभी का वेतन ढाई से तीन गुना तक बढऩा चाहिए। कर्मचारियों को उम्मीद थी, उनका आकलन था कि नए वेज बोर्ड के क्रियान्वयन से उनकी सेलरी में भरपूर इजाफा होगा। लेकिन हो उल्टा गया। अब कर्मचारी बहुत परेशान हैं। असल में मालिक विवेक गोयनका की मंशा-नीयत ही ऐसी है कि कर्मचारियों को मजीठिया के पूरे लाभ कर्मचारियों को न दिए जाएं।
जनसंदेश टाइम्स कर्मियों के उत्पीड़न मामले में मानवाधिकार आयोग ने दिया कार्रवाई का निर्देश
बनारस में जनसंदेश टाइम्स कर्मियों को वेतन नहीं दिये जाने और उत्पीड़न के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए संबंधित अथार्टी (प्रशासन) को कड़ी कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा है। प्रशासन को कृत कार्रवाई की सूचना शिकायतकर्ता को भी देने का निर्देश जारी किया गया है। महीनों से वेतन नहीं देने और उसके लिए आवाज उठाने पर प्रबंधन द्वारा प्रताडि़त किये जाने के संबंध में मिली शिकायत (172302/सीआर/2014) को गंभीरता से लेते हुए एक दिसंबर को राष्टृीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी आदेश में प्रशासन को इस संबंध में आठ सप्ताह के अंदर कार्रवाई कर रिपोर्ट देनी है।
मजीठिया वेज बोर्ड देने में महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े समाचार पत्र समूह ने गड़बड़ी-धोखाधड़ी की!
यशोभूमि (हिंदी), पुण्यनगरी (मराठी), मुंबई चौफेर (मराठी), आपलं वार्ताहर (मराठी), कर्नाटक मल्ला (कन्नड़) का प्रकाशन करने वाले तथा अपने आपको महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा समाचार पत्र समूह बताने वाले संस्थान अंबिका ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशनुसार मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन गणना करते समय गड़बड़ी की है. कंपनी द्वारा वेज बोर्ड के मुद्दे पर उदासीनता दिखाने पर लंबे समय तक इंतजार करने के बाद पत्रकारों ने कामगार आयुक्त के यहां शिकायत दर्ज कराई थी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार वेतन दिलवाने का आग्रह किया था। जिस पर आयुक्त ने अंबिका ग्रुप से इस बारे में जबाब मांगा था। अंबिका ग्रुप ने 30 अक्टूबर को कामगार आयुक्त के यहां पत्र देकर आश्वस्त किया था कि वह इसी माह से कोर्ट के निर्देशानुसार निर्धारित वेतन देने लगेंगे और एरियर का भी भुगतान इसी वर्ष कर देंगे।
सेलरी न मिलने से पाकिस्तानी पत्रकार के आत्महत्या करने पर दुख जताया
The Delhi Union of Journalists (DUJ) is concerned over the reported suicide of a Pakistani journalist a few days back owing to financial problems following non-payment of his salary for four months by the Royal TV management. The DUJ also expresses support and solidarity with the Pakistan Federal Union of Journalists (PFUJ) which held countrywide protests today.
वॉयस ऑफ मूवमेंट लखनऊ संस्करण में कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला
लखनऊ। वॉयस ऑफ मूवमेंट लखनऊ संस्करण में कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। इससे कर्मचारियों को जीविका के लाले पड़े हैं। वहीं अखबार के मालिक प्रखर प्रताप सिंह कर्मचारियों को हर दिन हर सप्ताह गोली पर गोली टिका देते हैं। अखबार शुरु हुए मात्र चार साल होने को हैं, लेकिन किसी माह भी समय पर वेतन नहीं दिया जाता है। कर्मचारियों को हर माह वेतन के नाम पर टरका दिया जाता है और ज्यादा जोर दबाव पडऩे पर वेतन का चेक थमा दिया जाता है।
पेंशन : एचटी वाले को 1400 रुपये, डीडीए के माली को 1800!
Vivek Shukla : अभिषेक भाई, पत्रकारों की हालत को बताने के लिए खराब से बढ़कर भी कोई शब्द हो तो उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ दिन पहले अपने हिन्दुस्तान टाइम्स के एक पुराने साथी मिले। बताने लगे कि उन्हें हर माह 1400 रुपये पेंशन मिलती हैं। उससे पहले मुझे डीडीए के दफ्तर में एक माली मिले,जो वहां पर अपने साथियों से मिलने आए थे, बातों-बातों में बताने लगे कि उन्हें 1800 हजार रुपये पेंशन मिलती हैं।
और मीडियाकर्मियों ने अपने हिस्से की स्क्रीन पर कब्जा जमा लिया….
Vineet Kumar : p7 न्यूज चैनल बंद हो गया. ये वही न्यूज चैनल है जिसने लांचिंग में अपने एंकरों से रैम्प पर नुमाईश करवायी, शोपीस एंकरिंग को बढ़ावा दिया. पिछले दिनों इसी ग्रुप की पत्रिका बिंदिया और शुक्रवार के बंद हो जाने पर बेहद जरूर सरोकारी मंच के खत्म होने का स्यापा आपने देखा था. पत्रिका सहित ये चैनल क्यों बंद हो गया, ये बार-बार बताने की जरूरत इसलिए पड़ती है कि एक वेंचर बंद होने के वाबजूद दूसरे के बने रहने के दावे मैनेजमेंट की तरफ से ताल ठोंककर दिए जाते हैं..लेकिन सच आपसे और हमसे छिपा नहीं है.
‘पी7 न्यूज’ के निदेशक केसर सिंह को हड़ताली कर्मियों ने बंधक बनाया, चैनल पर चला दी सेलरी संकट की खबर
कई महीनों से सेलरी के लिए लड़ाई लड़ रहे पीएसीएल / पर्ल समूह के न्यूज चैनल पी7 न्यूज के हड़ताली कर्मचारियों के सब्र का बांध आज टूट गया. इन कर्मियों ने अपने ही चैनल पर सेलरी संकट की खबर चलाlते हुए चैनल का प्रसारण रोक दिया. साथ ही कई महीनों की बकाया सेलरी देने की मांग करते हुए चैनल के निदेशक केसर सिंह को उनके केबिन में ही बंधक बना लिया. कर्मचारियों का आरोप है कि केसर सिंह गुपचुप तरीके से चैनल बंद कर भागने और बकाया सेलरी हड़पने की फिराक में थे.
चैनल बंद कर भाग रहे निदेशकों को पी7 न्यूज कर्मचारियों ने घेरा, आफिस में बवाल
नोएडा से खबर है कि पी7 न्यूज चैनल बंद करके भाग रहे निदेशकों को मीडियाकर्मियों ने घेर लिया है. कई महीने से सेलरी न मिलने से नाराज मीडियाकर्मी चैनल के निदेशकों केसर सिंह आदि को उनके केबिन से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. मीडियाकर्मियों का आरोप है कि चैनल के निदेशकगण सेलरी न देने और बकाया पैसा हड़पने के इरादे से गुपचुप तरीके से चैनल बंद कर फरार होने की तैयारी कर रहे थे.
‘प्रदेश टुडे’ की हालत खस्ता!
धूम-धड़ाके के साथ कुछ साल पहले भोपाल से शुरू हुए अखबार ‘प्रदेश टुडे’ की हालत इन दिनों खस्ता है। बताते हैं कि अखबार में काम करने वाले पत्रकारों और कर्मचारियों को दो-दो महीने से वेतन भी नहीं मिला! भोपाल ही नहीं जबलपुर, ग्वालियर संस्करणों और ब्यूरो दफ्तरों में भी यही हालत है। इसका असर अखबार के स्तर पर भी दिखाई दे रहा है। हर दो-तीन महीनों में नेताओं और अभिनेताओं को इकट्ठा करके बड़ा लवाजमा करने वाले ‘प्रदेश टुडे’ के मालिक अभी भी इवेंट तो कर रहे हैं, पर पत्रकारों को वेतन नहीं दे रहे!
भास्कर न्यूज : दो महीने की सेलरी की जगह ये 5000 रुपये लो और काम चलाओ
: भास्कर न्यूज में मैनेजमेंट और कर्मचारियों में सेलरी के लिए जंग : सही कहते हैं लोग की मीडिया कभी किसी का सगा नहीं होता। इस लाईन में आप कंपनी के प्रति भरोसा दिखाते है लेकिन जब कंपनी ही भरोसा तोड़ दें और वो भी उन कर्मचारियों के लिए जो अपना काम पुरी लगन और ईमानदारी से करते हो। ऐसा ही कुछ भास्कर न्यूज में हुआ। हाल ही में भास्कर न्यूज नामक एक चैनल आया जिसने अपने आप को दैनिक भास्कर का सहयोगी बताया लेकिन अब धीर-धीरे सारे राज खुलने लगे। भास्कर न्यूज ना ही दैनिक भास्कर का हिस्सा है और ना ही अब इस चैनल के पास पैसा है कि वो अपने कर्मचारियों को सेलरी दे सकें।
जनसंदेश टाइम्स लखनऊ में छंटनी, बचे लोगों की सेलरी घटी, जीएम बोले- ”जाकर कहीं भीख मांग लो पर सेलरी मत मांगो”
जनसंदेश टाइम्स लखनऊ से 10 लोगों की छंटनी की गई है. ये सभी संपादकीय विभाग के हैं. जो लोग बच गए हैं उनकी सेलरी में 40 प्रतिशत की कमी कर दी गई है. ये सब कुछ अखबार के जीएम विनीत मौर्या के आदेश पर किया गया है. इसी अखबार से खबर है कि कुछ दिनों पहले डाक डेस्क पर कार्यरत उपेन्द्र राय ने जब जीएम विनीत मौर्या से अपने वेतन की बात की थी तो उस समय जीएम ने उन्हें ये कहते हुए अपने केबिन से निकाल दिया था कि ”जाओ कहीं सड़क पर जाकर भीख मांगो लेकिन मुझसे सेलरी मत मांगो”.
‘पी7न्यूज’ में रमन पांडेय समेत कई वरिष्ठों की नो इंट्री, चैनल की कमान उदय सिन्हा को
जब लुटिया डूबती है तो हर कोई इसके आगोश में आ जाता है। कुछ ऐसा हाल इन दिनों पर्ल्स ग्रुप के चैनल “पी7” का है। खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली कहावत के तहत पी7 चैनल का मैनेजमेंट अपने कर्मचारियों के साथ बदतमीजी पर उतारू है। आउटपुट हेड रमन पांडेय समेत कई लोगों की चैनल में नो एंट्री कर दी गयी है। पीएसीएल ग्रुप सेबी के शिकंजे में जबसे फंसा है तबसे इसके मीडिया वेंचर का बुरा हाल है। चैनल की आर्थिक स्थिति कई महीनों से खराब है और लगातार बिगड़ती जा रही है। वक्त से सैलरी न मिल पाने के कारण चैनल के साथ जी जान से काम करने वाले कर्मचारी परेशान हैं।
विनोद शर्मा मय परिवार चुनाव हार चुके हैं, इसलिए दीपक तले अंधेरा छा रहा है…
Abhishek Srivastava : दिवाली पर अखबारों और चैनलों में पत्रकारों को मिलने वाली बख्शीश को लेकर कई दिलचस्प किस्से बनते हैं। मसलन, इस बार इंडिया न्यूज़ में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। विनोद शर्मा मय परिवार चुनाव हार चुके हैं, लिहाजा 2 नवंबर बीतने के बाद भी यहां अब तक किसी को वेतन नहीं मिला है। दीपक तले अंधेरा छा रहा है और विनोद शर्मा का चुनाव चिन्ह ‘सिलेंडर’ ब्लास्ट करने वाला है क्योंकि दिवाली पर जो कथित इलेक्ट्रिक केतली सबको बख्शीश में दी गई है, उसमें पानी के अलावा कुछ नहीं बनाया जा सकता।
‘भास्कर न्यूज’ के कर्मियों को अब तक नहीं मिली सेलरी, पेमेंट न होने से बिजली भी कटी
‘भास्कर न्यूज’ नामक चैनल अस्तित्व में आने से पहले ही दम तोड़ता नजर आ रहा है. ताजी सूचना है कि पेमेंट न होने के कारण बिजली विभाग वालों ने चैनल की बिजली ही काट दी है. इससे कई दिनों से जनरेटर चलाकर चैनल का कामकाज हो रहा है.
श्री टाईम्स, लखनऊ के 30 पत्रकारों का दिपावली में निकला दिवाला
: लखनऊ के सैकड़ों पत्रकारों को पड़े वेतन के लाले : लखनऊ। राजधानी लखनऊ में हिंदी अखबार श्री टाईम्स के पत्रकारों का दिपावली का दिवाला निकल गया है। यह श्री टाइम्स अखबार की ही हालत नहीं बल्कि श्री न्यूज चैनल की भी दुर्दशा है। पत्रकारों का पिछले तीन से चार माह तक की तनख्वाह बकाया है। मगर अफसोस की बात कि उन्हें दिपावली के शुभ अवसर पर भी उनकी खुशियों को प्रबंधन द्वारा फीका करने का काम किया गया है। श्री टाईम्स अखबार की हालत यह कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला ब्यूरो कार्यालय पर ताला लग गया है।
विनोद शर्मा की हार के कारण बिना सेलरी मनी ‘आज समाज’ अखबार के कर्मियों की दिवाली
चंडीगढ़। आज समाज अखबार के कर्मचारियों के लिए विधानसभा चुनाव आफत बन गया। हालात ये रहे कि आज समाज अखबार के मालिक विनोद शर्मा अंबाला सीट से हारे तो पत्रकारों को दिवाली पर सेलरी तक नहीं मिल पाई। पूरे ग्रुप में इस बात को लेकर तरह तरह की बातें हुईं। सूत्रों की मानें तो कंपनी के आला अधिकारियों ने इस बारे में मैनेजमेंट से बात की तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया।
हेमलता अग्रवाल को मीडियाकर्मी दे रहे बददुवाएं, पैसा है नहीं तो चैनल काहें को ले आए?
कई लाला लोग ऐसे होते हैं जो केवल उगाही और साजिश के दम पर पैसा बटारने की ख्वाहिश रखते हैं और इसी मकड़जाल के सहारे अपना वेंचर आगे ला देते हैं. कुछ इन्हीं हालात में ‘भास्कर न्यूज‘ नामक चैनल आ रहा है जो आने को तो कई साल से आ रहा है लेकिन अभी तक टेस्ट सिगनल पर ही है. इस चैनल से खबर है कि यहां सेलरी संकट लगातार जारी है. इस चैनल में कार्यरत करीब सत्तर फीसदी लोगों को सेलरी नहीं मिली है.
बकाया पैसा मारे बैठे ‘नेशनल दुनिया’ को पत्रकार राजेंद्र सेन ने लीगल नोटिस भेजा
राजस्थान के बीकानेर निवासी पत्रकार राजेंद्र सेन ने सूचित किया है कि उनका बकाया पैसा नेशनल दुनिया अखबार नहीं दे रहा है. उन्होंने वर्ष 2013 के अगस्त में नेशनल दुनिया समाचार पत्र जयपुर के संपादक मनोज माथुर की सहमति से बीकानेर डिवीजन में ज्वाइन किया था. बीस हजार रुपये प्रतिमाह वेतन तय था और समाचर में छपने वाले फोटो के पचास रुपये अलग से देना तय हुआ.
‘तहलका’ की हालत दयनीय, पांच महीने से नहीं मिली सेलरी, मैनेजमेंट चुप
जब से नया निजाम (केडी सिंह) आया है तब से मैनेजमेंट और संपादकीय के बीच संवादहीनता बढ़ी है. तहलका की अंग्रेजी और हिंदी दोनों मैग्जीन के बंद होने संबंधी खबर न्यूज रूम के भीतर तैर रही है. फील्ड रिपोर्टिंग के लिए फंड ठीक से नहीं मिल रहा है. पहले हर महीने की सात तारीख को सेलरी मिलती थी. लेकिन इस महीने की सेलरी अभी तक नहीं मिली है. सेलरी देरी से मिले फिर भी कोई बात नहीं, लेकिन आश्चर्यजनक है मैनेंजमेंट की चुप्पी.