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प्रेस क्लब आफ इंडिया को निजी जागीर बनने से रोकें, बदलाव के लिए वोट करें

अब तो बदल ही जाना चाहिए PRESS CLUB of INDIA, DELHI की सत्ता और सूरत। पूरे सात साल हो गए लेकिन अभी तक पत्रकारों की हितैषी ये संस्था उन्ही के चंगुल में फँसी है जो इसको अपनी जागीर समझ कर चला रहे है. यहाँ की सदयस्ता के नियम भी ताक पर रख दिए गए है। जिन्होंने कभी एक पेज का लेख नहीं लिखा वो यहाँ के पदाधिकारियों की बदौलत सदस्य हैं और राम बहादुर राय जैसे पत्रकार बाहर.

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अब तो बदल ही जाना चाहिए PRESS CLUB of INDIA, DELHI की सत्ता और सूरत। पूरे सात साल हो गए लेकिन अभी तक पत्रकारों की हितैषी ये संस्था उन्ही के चंगुल में फँसी है जो इसको अपनी जागीर समझ कर चला रहे है. यहाँ की सदयस्ता के नियम भी ताक पर रख दिए गए है। जिन्होंने कभी एक पेज का लेख नहीं लिखा वो यहाँ के पदाधिकारियों की बदौलत सदस्य हैं और राम बहादुर राय जैसे पत्रकार बाहर.

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लाखों रुपये का स्क्रैप हर साल बिकता है उसका कोई हिसाब नहीं। माहौल तो ऐसा बना दिया गया है कि यहाँ New Year Celebration तो होगा लेकिन स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा नहीं फहरेगा। इसी प्रेस क्लब के बाहर भड़ास फॉर मीडिया के संस्थापक संपादक यशवंत सिंह के ऊपर हमला हुआ और ये प्रेस क्लब के पदाधिकारी आज तक मौन साधे हुए हैं। अब तो बदल ही डालेंगे प्रेस क्लब की इस सत्ता को। नयी सोच और सकारात्मक बदलाव के लिए मैं आगे बढूंगा और मेरा समर्थन, मेरे पत्रकार साथियों का वोट मेरे सर्वाधिक पसंदीदा व्यक्तितव विकास मिश्रा जी, एग्जीक्यूटिव प्रोडूसर, आज तक ( Ballot No. 31), यशवंत सिंह, संस्थापक संपादक, भड़ास ४ मीडिया (Ballot No. 33) के साथ इस पूरे पैनेल को जायेगा। यही मेरी अपील आप से भी है।

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शील शुक्ल
संपादक
विजडम इंडिया, (दैनिक समाचार पत्र)

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