Yashwant Singh-
“कौम की हर हाल में हिमायत करने वाले और हर दशा में विरोध करने वाले, दोनों ही कौम के सबसे बड़े दुश्मन हैं!”
बाटला हाउस फ़िल्म की बारी आज आई, आखिरी डायलॉग दमदार है। फ़िल्म देखने लायक है। अमेजन पर उपलब्ध।
फ़िल्म ये सोचने का नजरिया देती है कि सत्ता-सिस्टम के हर काम का अंध विरोध ठीक नहीं। पुलिस कभी कभी सही काम भी करती है। बाटला हाउस में समाजवादी पार्टी का नाम एकता पार्टी है। सोनिया, आडवाणी, केजरीवाल, सेंटर की कांग्रेस सरकार, मुस्लिम वोट बैंक पॉलिटिक्स… फ़िल्म में सब कुछ है।
कुछ प्रतिक्रियाएं देखें-
Satyendra PS
भैया हम ई सब मसले पर ज्यादा ज्ञान देते नहीं हैं। अपनी आंख से देखे और कवर किए हैं दिल्ली और बनारस ब्लास्ट। साला देश भर में धड़ाम धुडुम मच गया था और मुंबई में हद ही हो गई थी। आपके कहने पर हम भी देख लिए ये फिल्म। भाजपा का शासन है तो फ़िल्म में थोड़ा अति तो करेंगे ही। लेकिन सरकार ने अधिकारियों को अवार्ड दिया, कोई कार्रवाई नहीं की पुलिस के खिलाफ, यह भी सच्चाई है। बकिया नेता लोग अति तो कर ही दिए थे जिसके कारण इन दंगाइयों को सत्ता में आने का मौका मिला। 5 साल देश पूरा ब्लास्ट वर्ष बना रहा। उसके बाद रिहायशी इलाकों में ब्लास्ट बन्द हो गए और अब तक शांति बनी हुई है। आतंकियों का समर्थन करना और हर केस में पुलिस को दोषी बताना बहुत अजीब है। और यह भी सच है कि 6-7 साल में बनारस, दिल्ली और मुंबई की तरह ब्लास्ट नहीं हुआ। बनारस के तीनों ब्लास्ट देखे। फिर दशाश्वमेध का ब्लास्ट देखे। फिर विश्वनाथ गली का 20 किलो ब्लैक आरडीएक्स गंगा पार दबवाने गए। सरोजिनी नगर ब्लास्ट सुने। कनॉट प्लेस में उसी टाइम उसी वक्त ब्लास्ट हुआ था जब हम लोग 85 नम्बर बस पकड़कर लक्ष्मी नगर लौटते थे। अभी भी मुझे याद है कि उस रोज पत्नी ने बवाल कर दिया था कि अब हम कनॉट प्लेस न जाएंगे। शनिवार का वीकली ऑफ का दिन था। पत्नी को बताया कि वहीं पर ब्लास्ट हुआ था जहां खोमचा वाले से मोमफली लेकर हम लोग खाते हुए बस का इंतजार करते थे! वह भयावह दौर था।उसके बावजूद बाटला मामले में बहुत क्रांति हुई थी। हालांकि मैं उस क्रांति का कभी हिस्सेदार नहीं बना। मैंने कैंट स्टेशन से लेकर संकट मोचन और दशाश्वमेध तक के विस्फोट में क्षत विक्षत शव गिने हैं, मांस के लोथड़े बिखरे हुए देखे हैं। कैंट स्टेशन पर तो कबूतर तक मरकर फर्श पर गिरे हुए थे।
Yunus Khan
यह डायलाग हमरा फ़ेवरेट है दादा
Vijay Dixit
Sensible response hi karna chaiye
Singhasan Chauhan
जो गिनती के सही आदमी/अधिकारी/पुलिस है वो मायूस लोगों की उम्मीद हैं. 2016 के बाद हमारे जिले के जो नए कप्तान आये हैं श्री विपिन टाडा, ईमानदार व्यक्ति हैं और सिस्टम से निराश लोगों को उनसे काफी उम्मीदें हैं.