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क्या वाकई दैनिक भास्कर दुनिया का चौथा सबसे ज्यादा प्रसार वाला अखबार है?

दैनिक भास्कर ने 4 जनवरी को पहले पेज पर मत्थे के नीचे बड़ी खबर छाप कर खुद के विश्व का चौथा सबसे ज्यादा प्रसार वाला अखबार होने का दावा ठोंक दिया है। अखबार ने दुनियाभर मे सबसे ज्यादा बिकने वाले पाँच अखबारों की सूची प्रकाशित की है जिसमे तीन अखबार जापान के और एक-एक अमेरिका और भारत का है। चूंकि दावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है इसलिए वर्ल्ड एसोसियशन ऑफ न्यूज़पेपर्स एंड न्यूज़ पब्लिशर्स नामक संस्था की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। खबर में दोहराया गया है एबीसी की जनवरी-जून, 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक भास्कर लगातार तीसरी बार देश का सर्वाधिक प्रसार वाला दैनिक बना हुआ है।

दैनिक भास्कर ने 4 जनवरी को पहले पेज पर मत्थे के नीचे बड़ी खबर छाप कर खुद के विश्व का चौथा सबसे ज्यादा प्रसार वाला अखबार होने का दावा ठोंक दिया है। अखबार ने दुनियाभर मे सबसे ज्यादा बिकने वाले पाँच अखबारों की सूची प्रकाशित की है जिसमे तीन अखबार जापान के और एक-एक अमेरिका और भारत का है। चूंकि दावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है इसलिए वर्ल्ड एसोसियशन ऑफ न्यूज़पेपर्स एंड न्यूज़ पब्लिशर्स नामक संस्था की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। खबर में दोहराया गया है एबीसी की जनवरी-जून, 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक भास्कर लगातार तीसरी बार देश का सर्वाधिक प्रसार वाला दैनिक बना हुआ है।

इसके उलट रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़ पेपर्स इन इंडिया की वर्ष-2014-2015 की रिपोर्ट जनसत्ता ने प्रेस ट्रस्ट के हवाले से 30 दिसंबर को छापी है। यह कहती है कि देश का सर्वाधिक प्रसार वाला दैनिक आनंद बाजार पत्रिका है। इसके बाद हिंदुस्तान टाइम्स और पंजाब केसरी को दूसरे और तीसरे स्थान पर रखा गया है। यहाँ सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब भास्कर देश के सर्वाधिक प्रसार वाले तीन अखबारों मे ही शामिल नहीं है तो बिक्री के मामले मे विश्व के पाँच बड़े अखबारों मे शुमार कैसे हो सकता है..? अब या तो भारत सरकार की रिपोर्ट गलत है या फिर दैनिक भास्कर का दावा खोखला है..! उधर दैनिक भास्कर, भोपाल की प्रिंटलाईन से पिछले पाँच दिनो से समाचार चयन के लिए जिम्मेदार संपादक का नाम ही गायब है, जबकि पीआरबी एक्ट के तहत ऐसा करना अनिवार्य है।

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भोपाल से श्रीप्रकाश दीक्षित की रिपोर्ट.

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0 Comments

  1. manohar

    January 18, 2016 at 2:33 pm

    ha ha ha majedar khabar ! desh ke dusre akhbar jaise ke toi, dainik jagran, ht, punjab kesri, patrika aadi aadi bhaskar ke iis dawe ka khandan kyon nahi karte ? one more point, how can bhaskar write a tag line “desh ka sabse vishvashniya akhbar”. are all newspapers in india not credible ? and is bhaskar only vishavashniya news paper in india ? is this tag line of bhaskar correct? and is this tagline of bhaskar not dis honour of all newspapers in india ? why all newspapers are silent on this issue ? is anybody from bhaskar will answer this ?

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