बीते रविवार यानी कल 3 दिसंबर चार राज्यों के विधानसभा परिणामों को लेकर एक चौकस जानकारी सामने आई है. सूचना दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित भाजपा के केंद्रीय कार्यालय की है. बताया जा रहा है कि कल जैसे-जैसे परिणाम भाजपा के पक्ष में झुकते गये ठीक इसके उलट पार्टी नेताओं का अहंकार मीटर दर मीटर ऊपर उठता रहा. तमाम एंकर, रिपोर्टर, कैमरामैन व अन्य टीवी स्टॉफ विभिन्न नेताओं की झिड़की और हीनता का शिकार होते रहे.
इनपुट है कि डीडीयू मार्ग स्थित BJP कार्यालय में कई खबरिया चैनलों के स्टॉल लगे थे. स्टॉल तो कांग्रेस कार्यालय पर भी लगाए गये थे, लेकिन दोनो ही स्टॉलों के बीच रिजल्ट का फर्क शुरू से ही हावी रहा. कांग्रेस के स्टॉल वीरान तो भाजपा कार्यालय में लगे स्टॉल खेत में लगी नई फसल की तरह लहलहा रहे थे.
पार्टी कार्यालय में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, संजय मयूख जैसे नेता मीडिया को हैंडल कर रहे थे. मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि 6 से 7 चैनलों को छोड़ ये नेता बाइट तो दूर उसकी तरफ देख तक नहीं रहे थे. इसी दौरान आज तक पर ईरानी जी का लाइव जाना था. सम्बंधित सिपेहसलार ने लाईट, कैमरा, एक्शन भी बोल दिया. तभी ईरानी जी ने सवाल दाग मारा!
लाइव में एंकर कौन है?
अंजना ओम कश्यप! सिपेहसलार की तरफ से जवाब दिया गया.
नहीं अंजना ओम कश्यप नहीं…वो कहां है, सुधीर चौधरी? चौधरी को एंकरिंग पर बुलाओ फिर लाइव देंगे! ईरानी के पास खड़े बिहार भाजपा नेता और एमएलसी संजय मयूख कि तरफ से जवाब दिया गया.
सूत्र ने हमें बताया कि संजय मयूख ने एक चैनल का लाइव के दौरान कैमरे से तार तक खींच दिया. मतलब जीत की खुशी में भाजपा नेताओं का Attitude बदल गया था. वहां खड़े कई पत्रकार चुपचाप सब कुछ सुनते-सहते और झेलते रहे.
कुछ पत्रकारों ने इस तरह का व्यवहार देख बैकफुट पर जाना उचित समझा. वहीं कुछ टीवी वाले कांग्रेस कार्यालय की मायूसी दर्ज करने निकल लिए. बताया जा रहा है कई पत्रकार तो कुछ दूर खड़े होकर पहले यह सब देखते रहे, फिर उल्टे पांव वहां से कल्टी मार गये. माने इस तरह का व्यवहार किया जा रहा था जैसे पूरी मेहनत शिवराज सिंह चौहान की न होकर इनकी हो. भला होता यदि भड़ास का सूत्र कोई कवि रहा होता. कम से कम अपनी कविताई के फेर में ‘चौचक घमंड से भरे नथुनों से मानों आग बरस रही हो’ टाइप उदाहरण देकर कुछ देर मनोरंजन ही करता, मगर अफसोस सूत्र दिहाड़ी मजदूर निकला.
खैर, मजाक से हटके मीडिया मैनेजमेंट की बात पर विचार करना चाहिए. अंजना ओम कश्यप और सुधीर चौधरी से भाजपा नेताओं की ट्यूनिंग का आंकलन करना चाहिए. आखिर स्मृति ईरानी ने अंजना पर ना और सुधीर पर हां किस आधार पर किया? इस मामले में भड़ासी तो ठहरे भोले मानुष. जितना हमें लोग बताते हैं या लिखकर दे देते हैं, छाप देते हैं. इसी कड़ी में एक सूत्र ने हमें ईरानीजी की हां-न का फर्क भी समझाया. उसने हमसे कहा, ‘देखो, अंजना ओम कश्यप के साथ अब दाल नहीं गल रही है जबकि सुधीर चौधरी के मुंह में शब्द ही नहीं अपनी जुबान तक डाली जा सकती है.’