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इन अखबारों और चैनलों ने नहीं दिया अपने कर्मचारियों को बोनस

मुंबई : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के तहत मीडियाकर्मियों का जितना एरियर बना, उसे डकार चुके कई अखबारों के मालिकों ने अब अपनी कई यूनिटों में कर्मचारियों का बोनस का पैसा भी हजम कर लिया और उन्हें एक ढेला तक बोनस के नाम पर नहीं दिया। बोनस न देने वालों में कुछ चैनलों का नाम भी सामने आ रहा है जिनमें टाइम्स नाऊ और इंडिया न्यूज़ भी शामिल है. सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक टाइम्स नाऊ और जूम ने मुम्बई के अपने कर्मचारियों को इस बार दीपावली पर बोनस नहीं दिया. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से खबर है कि यहाँ इंडिया न्यूज़ ने अपने कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया।

<p>मुंबई : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के तहत मीडियाकर्मियों का जितना एरियर बना, उसे डकार चुके कई अखबारों के मालिकों ने अब अपनी कई यूनिटों में कर्मचारियों का बोनस का पैसा भी हजम कर लिया और उन्हें एक ढेला तक बोनस के नाम पर नहीं दिया। बोनस न देने वालों में कुछ चैनलों का नाम भी सामने आ रहा है जिनमें टाइम्स नाऊ और इंडिया न्यूज़ भी शामिल है. सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक टाइम्स नाऊ और जूम ने मुम्बई के अपने कर्मचारियों को इस बार दीपावली पर बोनस नहीं दिया. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से खबर है कि यहाँ इंडिया न्यूज़ ने अपने कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया।</p>

मुंबई : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के तहत मीडियाकर्मियों का जितना एरियर बना, उसे डकार चुके कई अखबारों के मालिकों ने अब अपनी कई यूनिटों में कर्मचारियों का बोनस का पैसा भी हजम कर लिया और उन्हें एक ढेला तक बोनस के नाम पर नहीं दिया। बोनस न देने वालों में कुछ चैनलों का नाम भी सामने आ रहा है जिनमें टाइम्स नाऊ और इंडिया न्यूज़ भी शामिल है. सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक टाइम्स नाऊ और जूम ने मुम्बई के अपने कर्मचारियों को इस बार दीपावली पर बोनस नहीं दिया. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से खबर है कि यहाँ इंडिया न्यूज़ ने अपने कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया।

उत्तर प्रदेश से ही एक और खबर आ रही है कि यहाँ हिंदुस्तान प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया। हिंदुस्तान प्रबंधन पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने कर्मचारियों को बोनस नहीं देता है। इसी तरह गुजरात के भुज से खबर है कि यहाँ सौराष्ट्र ट्रस्ट के अखबार कच्छ मित्र डेली ने अपने कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया। यहाँ 100 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। मराठी दैनिक सकाळ के नासिक यूनिट सहित कई दूसरी यूनिटों में भी कर्मचारियों को बोनस नहीं दिए गए. बोनस के नाम पर सिर्फ कुछ पैसे देने की भी खबर आ रही है।

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डीबी कार्प से भी एक खबर आ रही है कि इस कंपनी ने अपने अखबारों की कई यूनिट में कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया. वहीं, कई कर्मचारियों का पैसा प्रत्येक माह काटा गया और बाद में उसी पैसे को बोनस के रूप में दे दिया गया. दैनिक जागरण से भी खबर आ रही है कि दैनिक जागरण प्रबंधन ने अपने गोरखपुर यूनिट में कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया और सिर्फ आधा किलो सोनपापड़ी का पैकेट देकर खुश करने का प्रयास किया.

राष्ट्रीय सहारा से भी खबर आ रही है कि यहाँ भी कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया गया. अमर उजाला में भी कई यूनिट में बोनस ना दिए जाने की कर्मचारियों ने सूचना भेजी है. जिन मीडिया कर्मियों को बोनस नहीं मिला, उनकी दिवाली इस बार फीकी रही. आपको बता दें कि बोनस देकर मालिक कर्मचारी पर एहसान नहीं करते हैं बल्कि बोनस हर कर्मचारी का अधिकार है. अगर आपको भी बोनस नहीं मिला है तो उसकी शिकायत कीजिये. नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप भी पढ़िए बोनस एक्ट के क्या हैं नियम… 

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http://labour.gov.in/hi/information-payment-bonus-1965

शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
मुंबई
9322411335

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0 Comments

  1. मंगेश विश्वासराव

    November 1, 2016 at 3:40 pm

    सकाळ खुद को महाराष्ट्र में नंबर वन कहता हैं. हररोज पहले पन्नेवर यह छापा भी जाता हैं. मगर केवल नासिक ही नहीं. मुंबईसमेत सभी युनिटों के कामगारों को थूक लगाई गयी हैं. केवल मुंबई और नासिक युनिट ने गुहार लगाई हैं. अन्य जगहों पर प्रशासनने कामगारों का गला दबा के रखा हैं.

  2. INSAF

    November 1, 2016 at 5:16 pm

    सहारा में मजीठिया के नाम पर गजब का तमाशा हुआ है-
    तमाशा नंबर एक- डी टी पी ओपरेटर की सैलरी उर्दू के रेजिडेंट एडिटर से अधिक हो गयी है.
    तमाशा नंबर दो- जो लोग १५-२०-२५ वर्षों से वरिष्ठ , प्रधान संबाददाता के पद पर काम कर रहे हैं उन्हें एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं डी गयी, उलटे उनसे उपर नीचे व कम अनुभवी रिपोर्टर, सब एडिटर के वेतन कर दिए गए. जो लोग हरताल का जमकर समर्थन किये उन्हें जमकर पुरस्कार दिया गया. अब बताईये १५-२० वर्षों से घिस रहे कर्मियों की क्या गलती है . वह रे सहारा. राष्ट्रीय सहारा के ८० फीसदी कर्मियों में असंतोष है. सहारा में कैडर की अहमियत होती है. कैडर सहाराश्री के निर्देश पर ही बढ़ाये जाते है. लेकिन मौजूदा बॉस ने अपने चहेतों के लिए कैडर को दरकिनार कर रिदेजिनेट को खूब आगे बढाया है. उदहारण के तौर पर कई कर्मियों का कैडर ऑफिसर और जूनियर रिपोर्टर है किन्तु उन्हें रिदेजिनेट कर स्पेशल संबाददाता बना दिया. राष्ट्रीय सहारा को इससे करारा आर्थिक नुकसान हुआ. ऐसे लोगों को खूब पहुँचाया गया है , जबकि सहाराश्री ने इसे ख़ारिज कर दिया था. यह जांच का विषय है कि पिछले ३-४ वर्षों में किस पदाधिकारी ने किन किन लोगों को रिदेजिनेट कर सहारा को नुकसान पहुँचाया. अभी कई राज खुलेंगे. खासकर भूमिहार को परदे के पीछे से फ़ायदा पहुँचाया गया है.

  3. mm

    November 2, 2016 at 2:17 pm

    Shrikant ji, Lekin yadi kisi worker ki monthly salary 40-50 hazaar ho, to kya wah Bonus ka haqdaar hai?

  4. Kashinath Matale

    November 2, 2016 at 7:09 pm

    New Amendment in Payment of Bonus Act 1965 on January 2016.
    The Payment of Bonus (Amendment) Act, 2015 envisages enhancement of eligibility limit under section 2(13) from Rs. 10,000/- per month to Rs. 21,000/- per month and Calculation Ceiling under section 12 from Rs. 3500/- to Rs. 7000/- or the minimum wage for the scheduled employment, as fixed by the appropriate Government, whichever is higher.

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