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दैनिक जागरण नोएडा में यूनियन ने सीजीएम को बता दी औकात, महिला कर्मियों को करना पड़ा बहाल

इसे कहते हैं यूनियन की ताकत. दैनिक जागरण नोएडा के चीफ जनरल मैनेजर नीतेंद्र श्रीवास्तव ने मार्केटिंग से दो महिला कर्मियों को निकाल बाहर किया तो ये महिला कर्मी दैनिक जागरण की नई बनी यूनियन तक पहुंच गईं और अपनी आपबीती सुनाई. यूनियन ने सीधे सीजीएम नीतेंद्र श्रीवास्तव की केबिन पर धावा बोला और नीतेंद्र को घेर कर दोनों कर्मियों को बहाल करने का आदेश जारी करने के लिए मजबूर कर दिया. नीतेंद्र को लोगों ने जमकर खरी खोटी सुनाने के बाद भांति भांति के विशेषणों से नवाजा. बस केवल मारा नहीं. उधर, नीतेंद्र भी कहां बाज आने वाला था. बहाली के अगले रोज दोनों कर्मी जब काम पर आईं तो इन्हें साइन यानि कार्ड पंचिंग करने से रोक दिया गया और इन्हें कैंपस में इंटर नहीं करने दिया गया. इसके बाद यूनियन की पहल पर दोनों कर्मियों ने नोएडा पुलिस स्टेशन और लेबर आफिस में शिकायत डाल दी है या शिकायत करने की तैयारी कर ली है.

इसे कहते हैं यूनियन की ताकत. दैनिक जागरण नोएडा के चीफ जनरल मैनेजर नीतेंद्र श्रीवास्तव ने मार्केटिंग से दो महिला कर्मियों को निकाल बाहर किया तो ये महिला कर्मी दैनिक जागरण की नई बनी यूनियन तक पहुंच गईं और अपनी आपबीती सुनाई. यूनियन ने सीधे सीजीएम नीतेंद्र श्रीवास्तव की केबिन पर धावा बोला और नीतेंद्र को घेर कर दोनों कर्मियों को बहाल करने का आदेश जारी करने के लिए मजबूर कर दिया. नीतेंद्र को लोगों ने जमकर खरी खोटी सुनाने के बाद भांति भांति के विशेषणों से नवाजा. बस केवल मारा नहीं. उधर, नीतेंद्र भी कहां बाज आने वाला था. बहाली के अगले रोज दोनों कर्मी जब काम पर आईं तो इन्हें साइन यानि कार्ड पंचिंग करने से रोक दिया गया और इन्हें कैंपस में इंटर नहीं करने दिया गया. इसके बाद यूनियन की पहल पर दोनों कर्मियों ने नोएडा पुलिस स्टेशन और लेबर आफिस में शिकायत डाल दी है या शिकायत करने की तैयारी कर ली है.

जागरण मैनेजमेंट मनमानी करने का आदी हो चुका है. दैनिक जागरण मैनेजमेंट नियम-कानून से चलना भी नहीं चाहता और कर्मचारियों का रोष भी बर्दाश्त नहीं कर पाता. साथ ही कर्मियों को चैन से काम भी नहीं करने देना चाहता. विगत महीने कर्मचारियों द्वारा दिए गए दस सूत्रीय मांगों पर डीएलसी आफिस में समझौता हो गया था. इसके बाद सब कुछ शांतिपूर्वक चल रहा था. लेकिन जागरण प्रबंधन ने मार्केटिंग विभाग की दो महिला कर्मचारियों को निकाल बाहर किया. उनके विभाग के इंचार्ज ने उनसे बदसलूकी की. महिलाएं रोने लगीं तो सारे कर्मचारी जुट गए और यूनियन के कई प्रतिनिधि भी आ गए. सब लोग सीजीएम के पास पहुंचे. पता चला कि पहले इन लड़कियों से इस्तीफा देने को कहा गया था. जब इस्तीफा नहीं दिया तो उनकी इंट्री और पंचिंग रोक दी गई. सीजीएम ने खुद को हर तरफ से घिरा देख और हड़ताल की नौबत आती देख महिला कर्मियों को बहाल कर दिया. सूत्रों के मुताबिक बाद में फिर इन महिलाओं की इंट्री रोकी गई तो इन महिलाओं ने पुलिस और लेबर आफिस में शिकायत डाल दी है या शिकायत की तैयारी कर ली है.

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