आज के ही दिन चार साल पहले अपुन हवालात फिर जेल गए थे : यशवंत सिंह

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Yashwant Singh : आज ‘जेल दिवस’ है. आज के ही दिन चार साल पहले अपुन हवालात फिर जेल गए थे. मुझे आज इस दिवस पर बधाई दे सकते हैं. इस मौके पर एक संस्मरण अभी लिखा हूं जिसका लिंक दे रहा हूं. जो लोग ‘जानेमन जेल’ पढ चुके हैं, उनसे जरूर चाहूंगा कि वो दो शब्द कहें. जो नहीं पढ़े हैं उन्हें कहूंगा कि एक बार पढ़ो तो, पढ़ कर जेल जाने का मन न करे तो पैसे वापस 🙂

लिंक ये है : यशवंत के लिए आज है ‘जेल दिवस’, जानिए ‘जानेमन जेल’ के आगे पीछे की अनकही कहानी

भड़ास के एडिटर यशवंत के उपरोक्त एफबी स्टेटस पर आए कुछ कमेंट्स इस प्रकार हैं…

Sumer Dan सर जी मुझे वो किताब पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ जोधपुर में बुक वल्ड पर भी कई बार गया लेकिन जानेमन जेल ” किताब नहीं मिली

Yashwant Singh इस लिंक पर क्लिक करके मंगाने का तरीका जान सकते हैं… janeman jail book

Shailesh Ji और जो मन कर जाए, तो?

Yashwant Singh तो हो आइए. जेल को पवित्र जगह ही मानिए. कोई दिक्कत हो तो हमें बताइएगा.

Shailesh Ji किसको गरियाने से जल्दी ये मौका मिलेगा? सोचता हूँ, एकबार हो ही आऊँ!

Yashwant Singh जिसके चलते आपकी आत्मा में कोई फांस फंसी नजर आ रही हो और गरियाने से ही निकल जाए तो गरिया दीजिए…

Ravi S Srivastava जानेमन जेल बिल्कुल आपकी तरह है लेखकीय चालाकी उसमे नही है

Yashwant Singh 😀 वाह वाह रवि भाई… दिन बना दिया आपने… बताइए पार्टी कब दूं 🙂

Ravi S Srivastava आप से मुलाकात की इच्छा है, पार्टी उस दिन होगी

Ashok Das बिल्कुल सही कहा रवि जी।

Ankit Sharma शानदार रचना 😉

Harpal Singh Bhatia जानेमन जै जै

Kamal Sharma जेल यात्रा पर बधाई। यह दिन बार बार आए..यह कहें क्‍या भाई। आप भी हर दिन मनाने मैदान में होते हो।

Hero Dubey सर ! क्या बात है ?

Sunil Singh बधाई हो ।

Kamal Kumar Singh न सोना साथ जाएगा न चांदी जायेगी।

Pankaj Kumar “जानेमन जेल” जब नाम ऐसा है सच में जानेमन जेल को पढ़ने में मजा आयेगा।।।

चैतन्य घनश्याम चन्दन जानेमन जेल पढ़कर जेल के अंदर के जीवन को लेकर मन में जो भ्रांतियां थीं, वो सब दूर हो गईं. पहले जेल का नाम सुनते ही डर लगने लगता था, लेकिन किताब पढ़ने के बाद से जेल जाने को हरदम तैयार रहता हूँ. यह बात दीगर है कि इसका मौका अभी तक नहीं मिला. आपने अपने जेल जीवन का इतनी खूबसूरती से बखान किया है, कि किताब एक बार शुरू करने के बाद पूरी खत्म करने के बाद ही रख पाया. ऐसी किताब लिखने के लिए साधुवाद।

अमित कुमार राघव बधाई हो..

Kamlesh Sharma लाल दरवाजा दिवस की शुभकामनाएं..

Shrimant Jainendra जानेमन जेल पढ़ के मुझे भी एक बार जेल जाने का मन करने लगा है |

Amit Singh कट्टन बनाना सिखाने के लिये

Ashutosh Gupta आज ही के दिन मैं पहली बार में जेल में आपसे डा.वीरेश राज शर्मा के कक्ष में मिला था।

Yashwant Singh हां, आप कई पत्रकार साथी आए थे जो डासना कवर करते हैं. आप लोगों की वो मुलाकात मेरे लिए जेल के भीतर टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. थैंक्यू भाई.

Harshit Rana Padhi h hmne aapki janeman jail…… Sir… Kese aap waha yoga krte hue …. Is duniya ki buraiyo se door the….

मूल पोस्ट…

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Comments on “आज के ही दिन चार साल पहले अपुन हवालात फिर जेल गए थे : यशवंत सिंह

  • bhavishya menaria udaipur says:

    Badhai yashwant sir aapke sangharsh ko jo ek mahila ki asmita se juda hua tha. You are a real hero. Jisne patrakaro ko jod diya.

    Reply

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