यशवंत की ‘जानेमन जेल’ किताब के क्या हैं गुण-दोष, बता रही हैं सुदीप्ता…. देखें वीडियो

बनारस की रेडियो जॉकी और ब्लागर सुदीप्ता सिन्हा इन दिनों हिंदी किताबों की रिव्यू से संबंधित एक यूट्यूब चैनल संचालित कर रही हैं. नाम है ‘मसाला चाय’. इस हफ्ते उन्होंने ‘जानेमन जेल’ पर निगाह डाली.

यूपी की एक जेल के भीतर की रीयल जिंदगी देखें… क्या कुछ नहीं होता यहां… देखें वीडियो

झांसी जेल में सजा काट चुके कुछ कैदियों ने अंदर बनाए गए वीडियो को रिपोर्टर मधुर यादव को सौंपा…..  झांसी के पत्रकार मधुर यादव  ने जोरदार खुलासा किया है. उन्होंने झांसी की जेल के भीतर के रीयल फुटेज पब्लिक डोमन में लेकर आए हैं. इन फुटेज को देखने से पता चलता है कि जेल के भीतर नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. वीडियो से साफ जाहिर है कि जेल के अंदर दुकानें सजती हैं जहां कैदियों को जिला कारगार प्रशासन की मदद से ऊंचे दामों में सामान बेचा जाता है.

आइसा छात्र नेता नितिन राज ने जेल से भेजा पत्र- ‘रिश्वत देकर रिहाई कतई कुबूल नहीं’

सरकारों का कोई भी दमन और उनके भ्रष्टतंत्र की कोई भी बेशर्मी और बेहयाई क्रांतिकारी नौजवानों के मंसूबों को तोड़ नहीं सकती……

साथियों,

आज शायद भारतीय छात्र आन्दोलन अपने इतिहास के सबसे दमनात्मक दौर से गुजर रहा है, जहाँ छात्रों को अपनी लोकतान्त्रिक माँगो को लेकर की गई छात्र आन्दोलन की सामान्य कार्यवाही के लिए भी राजसत्ता के इशारे पर महीनों के लिए जेल में डाल दिया जा रहा है. छात्र आन्दोलन से घबराई योगी सरकार, जो कि इसे किसी भी शर्त पर कुचल देना चाहती है, हमें इतने दिनों तक जेल में रख कर हमारे मनोबल को तोड़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन हम क्रान्तिकारी परम्परा के वाहक हैं हमारे आदर्श भगतसिंह और चंदू हैं, सावरकर नहीं, जो जेल के भय से माफ़ीनामा लिखकर छूटे और अंग्रेजों की दलाली में लग गए. हमें अगर और दिनों तक जेल में रहना पड़ा तब भी हम कमजोर पड़ने वाले नहीं हैं.

ईमानदार जज जेल में, भ्रष्टाचारी बाहर!

सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है, इसलिए उसका फ़ैसला सर्वोच्च और सर्वमान्य है। चूंकि भारत में अदालतों को अदालत की अवमानना यानी कॉन्टेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट की नोटिस जारी करने का विशेष अधिकार यानी प्रीवीलेज हासिल है, इसलिए कोई आदमी या अधिकारी तो दूर न्यायिक संस्था से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़ा व्यक्ति भी अदालत के फैसले पर टीका-टिप्पणी नहीं कर सकता। इसके बावजूद निचली अदालत से लेकर देश की सबसे बड़ी न्याय पंचायत तक, कई फ़ैसले ऐसे आ जाते हैं, जो आम आदमी को हज़म नहीं होते। वे फ़ैसले आम आदमी को बेचैन करते हैं। मसलन, किसी भ्रष्टाचारी का जोड़-तोड़ करके निर्दोष रिहा हो जाना या किसी ईमानदार का जेल चले जाना या कोई ऐसा फैसला जो अपेक्षित न हो।

किशोरों की नशाखोरी का स्टिंग करने के कारण एक पत्रकार जेल काट रहा है, पढ़िए उसका भेजा गया पत्र

Sir,  Main Manish dubay s/o Shree Laxmishankar kanpur uttar-pardesh ka niwasi hu. ve pesey se press-repotar hu.! Par aaj shayad mera profetion hi mere liye jaan ki afaat ban chuka hai.! Main apne ghaar, pariwaar, patni ve ek chhoti si bachhi se dur police ve kanun ke hatho ki katputli ban nirapradh jail kat raha hu.! Sir, maine 2011 mai dilli ke kuch kam umar ladko ko nasha-khori karte hue ek video banaya tha. tatha apne samajik sarkaro ke chalte usse youtube par upload kar diya tha.!

अखबार के प्रबंध संपादक को हथकड़ी लगाना पुलिस वालों को पड़ा महंगा

मुंबई उच्च न्यायालय ने नुकसान भरपाई के लिए चार लाख रुपये मुआवजा देने और पुलिस वालों पर कारवाई का आदेश दिया : मुंबई उच्च न्यायायल ने गुरुवार को एक कड़ा कदम उठाते हुये एक अखबार के प्रबंध संपादक को हथकड़ी लगाने पर ना सिर्फ पुलिस वालों को जमकर फटकार लगायी बल्की चार लाख रुपये का नुकसान भरपाई और २५ हजार रुपये याचिका खर्च के रुप में याचिकाकर्ता को देने और पुलिस वालों पर कार्रवाई का आदेश दिया है।

आज के ही दिन चार साल पहले अपुन हवालात फिर जेल गए थे : यशवंत सिंह

Yashwant Singh : आज ‘जेल दिवस’ है. आज के ही दिन चार साल पहले अपुन हवालात फिर जेल गए थे. मुझे आज इस दिवस पर बधाई दे सकते हैं. इस मौके पर एक संस्मरण अभी लिखा हूं जिसका लिंक दे रहा हूं. जो लोग ‘जानेमन जेल’ पढ चुके हैं, उनसे जरूर चाहूंगा कि वो दो शब्द कहें. जो नहीं पढ़े हैं उन्हें कहूंगा कि एक बार पढ़ो तो, पढ़ कर जेल जाने का मन न करे तो पैसे वापस 🙂

लिंक ये है : यशवंत के लिए आज है ‘जेल दिवस’, जानिए ‘जानेमन जेल’ के आगे पीछे की अनकही कहानी

आज है ‘जेल दिवस’, जानिए ‘जानेमन जेल’ के आगे पीछे की अनकही कहानी

आज ‘जेल दिवस’ है. आज के ही दिन वर्ष 2012 में कुछ कारपोरेट और करप्ट संपादकों-मीडिया मालिकों ने मिलकर मुझे पुलिस के जरिए उठवाया, थाने के हवालात में बंद कराया फिर जेल भिजवा दिया. पूरे 68 दिन गाजियाबाद के डासना जेल में रहा. उन दिनों नोएडा यानि गौतमबुद्धनगर का जेल भी डासना ही हुआ करता …

जेलों के भीतर किस किस्म का भ्रष्टाचार होता है, जानिए इस पत्र से

Dear Mr. Director general Ajeet Singh ji

Rajasthan prisons

jaipur

Subject : input media reports about various irregularities and corruption at Bikaner central jail

Dear sir

We have strong media inputs and reports with evidences etc concerning with below mentioned points. .. ..

३ मार्च को आप (डीजी जेल) वहां बीकानेर पहुंचे ..जेल देखा भी होगा… वहां की वस्तुस्थिति आप की जानकारी के लिये कुछ इस तरह से है… गौर फरमाया जाये व जांच कराई जावे…

‘जानेमन जेल’ के लिए उत्सवधर्मी यशवंत भड़ासी को सलाम!

Ayush Shukla : लोग कई दशक तक पत्रकारिता करते रहते हैं और जेल जाने की नौबत तक नहीं आपाती, क्योकि वे ऐसा कुछ लिख-पढ़ नहीं पाते,  कुछ हंगामेदार कर नहीं पाते कि उन्हें भ्रष्ट लोग भ्रष्ट सिस्टम जेल भेज पाता। Yashwant Singh की जानेमन जेल से साभार। मजा आ गया पढ़ के। किसी भी जेल जाने वाले व्यक्ति को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए। उत्सवधर्मी यशवंत भड़ासी को सलाम।
आयुष शुक्ला
क्लस्टर इनोवेशन सेंटर
दिल्ली विश्वविद्यालय

भारत के इतने सारे मीडिया हाउसों के मालिक जेल में! पढ़िए पूरी लिस्ट और इनकी पूरी कहानी

आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी संख्या में ‘मीडिया’ के मालिक जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे हैं। सहारा टीवी समूह के मालिक सुब्रत रॉय सहारा जेल में हैं और जमानत की राशि के इंतजाम में लगे है। लगभग दो साल में वे जमानत की राशि इकट्ठा नहीं कर पाए। दो लाख करोड़ के साम्राज्य का मालिक होने का दंभ भरने वाले सुब्रत रॉय दस हजार करोड़ नहीं जुटा पा रहे हैं। इसी तरह पी-7 चैनल और पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू भी जेल में हैं। खबर भारती चैनल के मालिक बघेल सांई प्रसाद समूह के शशांक प्रभाकर, महुआ ग्रुप के हिन्दी, भोजपुरी, बांग्ला भाषाओं के कई चैनलों के मालिक पी.के. तिवारी भी जेल में हैं। इसी तरह शारदा ग्रुप के चैनल-10 के मालिक सुदीप्तो सेन भी जेल में हैं। समृद्ध जीवन परिवार नामक चिटफंड कंपनी के मालिक और लाइव इंडिया नाम के चैनल के मालिक महेश किसन मोतेवार जेल में बंद हैं। इनमें से अधिकांश टीवी चैनलों के मालिक धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार हैं।

‘जानेमन जेल’ पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे यशवंत जी सामने बैठ कर अपनी कहानी सुना रहे हों…

Prabudha Saurabh : यशवंत जी की किताब ‘जानेमन जेल’ पढ़ना बिलकुल नया अनुभव रहा। ‘जेल’ और ‘जानेमन’ शब्द का एक साथ होना ही इस किताब के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए काफ़ी था, दूसरा आकर्षण यशवंत। यह किताब मोटे तौर पर (हालांकि है बड़ी पतली सी) यशवंत जी की दो-तीन महीने की आपबीती (या यों कहें कि जेलबीती) है। निजी रूप में जितना मैं यशवंत जी को जानता हूँ, यह समझना तो मुश्किल है, कि वो क्रांतिकारी ज़्यादा हैं या पत्रकार लेकिन इतना ज़रूर है कि वो एक अनूठा फॉर्मूला हैं।

जब मीडिया मालिकों ने यशवंत को जेल भिजवाया था, तभी मैंने आगाह कर दिया था….

Palash Biswas : शाहजहांपुर में सोशल मीडिया के पत्रकार को मंत्री के गुर्गों और पुलिसे के द्वारा उसके घर में जिन्दा जला कर मार देने की घटना रौंगटे खड़ा कर देने वाली हैl साथ ही यह उत्तर प्रदेश कि सरकार के साथ साथ प्रदेश के पत्रकारों के चरित्र को भी उजागर करती हैl साथियों, याद करें जब मजीठिया की लड़ाई में पत्रकारों की अगुवाई करने वाले भड़ास के यशवंत को मालिकों की रंजिश की वजह से जेलयात्रा करनी पड़ी, तो हमने सभी साथियों से आग्रह किया था कि हमें एकजुट होकर अपने साथियों पर होने वाले हमले के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना चाहिए। हम शुरू से पत्रकारिता के मूल्यों की रक्षा के लिए निरंतर वैकल्पिक मीडिया के हक में लामबंदी की अपील करते रहे हैं। हम लामबंद होते तो हमारे साथी रोज-रोज मारे नहीं जाते।

आपकी ‘जानेमन जेल’ तो मेरा भी दिल लूटकर ले गई

आदरणीय यशवंत भाई, अमेजोन ब्वॉय ने आज आपकी जानमेन जेल हाथों में रखी तो पता नहीं था दिन इसी के नाम करने वाला हूं। आफिस में पहला पन्ना खोला तो फिर रुका नहीं गया। आपकी जानेमन तो मेरा भी दिल लूटकर ले गई। सबसे पहले तो कुछ बेहतरीन किताबों के नाम सुझाने के लिए धन्यवाद और अफसोस है कि आपको जेल में चीफ साहब अंगुली कर गया। …खैर ये तो मजाक है लेकिन किताब बहुत सीरियस है।

यशवंत की ‘जानेमन जेल’ : विपरीत हालात में खुद को सहज, सकारात्मक और धैर्यवान बनाये रखने की प्रेरणा देने वाली किताब

पूनमपूनम

Poonam Scholar : इस बार विश्व पुस्तक मेला में एक ही बार जाने का मौका मिल सका. हिन्द युग्म प्रकाशन के सामने से गुजरते हुए अचानक याद आया कि इसी प्रकाशन से तो यशवन्त जी की पुस्तक ‘जानेमन जेल’ भी प्रकाशित हुई है. काफी समय से पढ़ने की इच्छा थी सो खरीद ली. कल जाकर समय मिला पढ़ने का. यशवन्त जी ने जेल जीवन के बारे में जो कुछ भी लिखा है उसे पढ़कर जेल के प्रति जो भ्रान्तियाँ हम लोगों के मनों में बनी हुई हैं न केवल वो दूर होती हैं बल्कि विपरीत परिस्थितियों में स्वयं को सहज, सकारात्मक और धैर्यवान बनाये रखने की प्रेरणा भी मिलती है.

‘जानेमन जेल’ पढ़ने के बाद कोई भी निरपराध जेल जाने से भय नहीं खायेगा

: पुस्तक समीक्षा : पिछले दिनों हमारे एक वरिष्ठ पत्रकार मित्र ने स्वयं के जेल प्रवास पर स्वयं द्वारा लिखी पुस्तक के स्वरूप में आत्मकथा ‘जानेमन जेल’ मुझे सप्रेम भेंट के साथ पढ़ने के लिए दी। हालांकि मैं पुस्तक और खासतौर से किसी की आत्मकथा पढ़ने के मामले में ठेठ नशेबाज की श्रेणी में गिना जाता रहा हूं, लेकिन पिछले कुछ समय से एक मीडिया हाउस की आधारशिला रखने की जद्दोजहद में इतना मशगूल हो चुका हूं कि पुस्तक पढ़ने का वक्त ही नहीं निकाल पाता। 

भड़ास संपादक यशवंत की जेल कथा ‘जानेमन जेल’ पढ़ने-पाने के लिए कुछ आसान रास्ते

भड़ास के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह के जेल-गमन की खुद यशवंत द्वारा लिखी गई कथा ‘जानेमन जेल’ ऑनलाइन स्टोरों से सीधे ऑर्डर करके घर बैठे प्राप्त की जा सकती है… नीचे दिए गए किसी आनलाइन स्टोर पर क्लिक करें और किताब बुक कर लें…

‘जानेमन जेल’ किताब गाजीपुर जिले में भी उपलब्ध, लंका पर शराब की दुकान के बगल में पधारें

Santosh Singh : जेल भी जानेमन हो सकती है, अगर वो शख्स यशवंत भाई जैसा दिलेर हो… “जानेमन जेल” की एक प्रति खुद लेखक के हाथ से प्राप्त करते हुए… यशवंत भाई की यह अद्भुत किताब मैंने तो पूरी पढ़ ली…और इतनी अच्छी लगी कि एक बैठक में ही पढ़ ली…. एक बात और कहूँगा …”वो जवानी..जवानी नही, जिसकी कोई कहानी न हो”… और यशवंत भाई की यह कहानी रोमांचित करती है!

बीएचयू से एमबीए कर चुके और भारतीय रेल, कानपुर में कार्यरत संतोष सिंह के फेसबुक वॉल से.