चीन में सैकड़ों नहीं बल्कि करोड़ों कॉकरोचों को पैदा करके पालने-पोसने का काम किया जा रहा है. सबसे आश्चर्य की बात ये है कि यह सब बिना मनुष्य की दखलंदाजी और बिना प्रकृति के इशारे पर किया जा रहा है. यह सब कुछ समझदार रोबोट कर रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानि कृत्रिम दिमाग से लैस कंप्यूटर, जिन्हें सरल शब्द में रोबोट भी कहा जाता है, हर पल इन काक्रोचों के सुख-दुख की परवाह करते रहते हैं. आइए बताते हैं यह सब कैसे हो रहा है.
समझदार रोबोट हर पल ऐसा वातावरण यानि तापमान, अंधेरा और आर्द्रता मुहैया करवाते रहते हैं जिसमे काक्रोच अपना परिवार बढ़ा सके. चीन के साउथवेस्टर्न सिचुआन प्रान्त में एक बहुमंजिला सील फैक्ट्री है. इस फैक्ट्री में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से लैस कम्प्यूटरों यानि रोबोट्स की मदद से हर साल छह बिलियन कॉकरोचों की नस्लों का प्रजनन करवाया जा रहा है. अनुमान है कि इससे हर एक स्क्वेयर फुट पर 28 हजार कॉकरोच पैदा होंगे. इन कॉकरोचों से जुखाम, बुखार, पेट दर्द और जोड़ो के दर्द आदि की दवाई बनाई जाएगी.
चीन में काक्रोच से दवा बनाने की पुरानी परंपरा है. दवा के लिए काक्रोचों की भारी डिमांड रहती है. यही कारण है कि काक्रोच को पैदा करने, पालने, पोसने के लिए पूरी तरह आटोमेटेड प्रणाली बनाई गई है जिसमें मनुष्य का दखल शून्य रहता है. कंप्यूटर और रोबोट खुद हर पल अपने अत्याधुनिक सेंसेज से यह महसूसते रहते हैं कि कहीं काक्रोचों के प्रजनन और वृद्धि के लिहाज से किसी किस्म की कोई गड़बड़ तो नहीं है.
पूरी बिल्डिंग में जहां कॉकरोचों के प्रजनन का काम हो रहा है, माहौल काफी गर्म रखा गया है. साथ ही इसे बाहरी शोर शराबे से भी दूर रखा गया है. इसके अलावा यह सुनिश्चित किया गया है कि इस बिल्डिंग में सूर्य का प्रकाश कतई प्रवेश न कर सके. इस भवन के तापमान का विशेष ख्याल इसलिए भी रखा जा रहा है ताकि कॉकरोच स्वस्थ रहें. आर्टिफिशल इंटेलिजेंस कम्प्यूटर इन सभी चीजों को सुनिश्चित करते हैं. साथ ही यदि इस कंप्यूटर का सेंसर कॉकरोचों की पैदावार में किसी तरह की कमी महसूस करता है तो तुरंत ही खुद ब खुद उसके समाधानों पर काम करना शुरू कर देता है और जरूरी परिवर्तन करता है.
गौरतलब है कि जहां पश्चिमी देशों में कॉकरोचों को स्वास्थ्य के लिए घातक माना जाता है, वहीं पारम्परिक चीन में इसे कई सालों से बतौर औषधि प्रयोग किया जाता रहा है. यहां एक और ख़ास बात यह है कि कई मेडिकल शोधों में यह सामने भी आया है कि कॉकरोचों की मेडिकल प्रासंगिकता भी है. लंदन में हुए एक शोध के मुताबिक़ बारीक पीसे गए कॉकरोचों को प्रोटीन शेक की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
बहरहाल चीन में जहां कॉकरोचों के साथ यह प्रयोग हो रहे हैं वहां के एक रिसर्चर का कहना है कि अधिकांश देशों में लोगों के लिए यह एक घृणित बात है और इसलिए इन्हें वहां प्रयोग नहीं किया जाता. चीन तक में बहुत से रोगियों को यह पता नहीं है कि जिस द्रव्य रसायन का वे सेवन कर रहे हैं, वह कॉकरोचों से बनाया गया है. फिलहाल चीन सरकार ने रोबोट्स के जरिए काक्रोचों की खेती करके एक नए किस्म का दौर शुरू किया है. यह घटनाक्रम चीन की टेक्नालजी फील्ड में सुप्रीमेसी को भी प्रदर्शित करता है.