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उत्तर प्रदेश

हाई कोर्ट जजों पर कंटेम्प्ट केस अनुमति याचिका पर सुनवाई पूरी, महाधिवक्ता ने फैसला सुरक्षित किया

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुनील अम्बवानी और जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय के विरुद्ध सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दायर अवमानना याचिका पर शनिवार (19 जुलाई) को यूपी के महाधिवक्ता विनय चन्द्र मिश्र के समक्ष सुनवाई हुई जिन्होंने सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुनील अम्बवानी और जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय के विरुद्ध सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दायर अवमानना याचिका पर शनिवार (19 जुलाई) को यूपी के महाधिवक्ता विनय चन्द्र मिश्र के समक्ष सुनवाई हुई जिन्होंने सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया।

अवमानना याचिका के अनुसार सुश्री ठाकुर द्वारा दायर एक पीआईएल में दोनों जजों ने 11 अप्रैल 2014 के अपने आदेश में हाई कोर्ट तथा इसके विभिन्न जजों के खिलाफ अवामानानापूर्ण वक्तव्य देते हुए कहा था कि उनकी याचिकाएं जनहित में नहीं थीं। जबकि सत्यता यह थी कि उनके तमाम पीआईएल को कई जजों ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था। इसी प्रकार आदेश में कहा गया था कि उन्हें उक्त पीआईएल दायर करने में प्रच्छन सहयोग मिला था। ऐसी टिप्पणा सीधे-सीधे अन्य जजों के पर आरोप थी।

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यह याचिका 19 अप्रैल को महाधिवक्ता के समक्ष कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट्स एक्ट की धारा 15 के अंतर्गत इन दोनों जजों के खिलाफ अपने ही कोर्ट की अवमानना करने का वाद चलने की अनुमति के लिए दायर की गयी थी।

 

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