अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को मनी लॉड्रिंग यानी मुद्रा के अवैध विदेशी लेन- देन कानून के दायरे में लाने का ऐलान किया तो आम जनता ही नहीं, मीडिया में भी ज्यादातर पत्रकार कंफ्यूज है कि इसका क्या मायने है? कुछ कह रहे हैं कि अब क्रिप्टोकरेंसी भारत में बैन हो गई तो कुछ कह रहे हैं कि यह बुरा फैसला है. जबकि हकीकत यह है कि क्रिप्टोकरेंसी जगत के लिए यह एक बेहद अच्छी खबर है.
अब सरकार ने बाकायदा इसे अपने नियम- कानून के दायरे में लाकर स्थिति स्पष्ट कर दी है. सरकार का इसे इस कानून में लाने का मकसद बस इतना है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाला हर व्यक्ति अपने सभी लेन- देन का ब्योरा सरकार को अपने आई टी आर में दें और Crypto exchange अपने सभी उपभोक्ताओं का KYC कराएं तथा संदिग्ध लेन – देन की सूचना सरकार को दें.
इस कानून से घबराने की जरूरत उसको है, जो अवैध तरीकों से काला धन विदेश में भेजता या वहां से मंगाता है. जो भी व्यक्ति केवल निवेश के उद्देश्य से Crypto की खरीद बिक्री कर रहा है , उसे इससे घबराने की कोई जरूरत ही नहीं है.
यदि इस लिहाज से देखा जाए तो यह कदम उठाकर सरकार ने एक तरह से Crypto exchange और Crypto traders को बड़ी राहत ही दे दी है. अब संभवतः बैंक भी बेहिचक crypto exchange या crypto traders के सामने कोई अड़ंगा नहीं लगाएंगे.
वैसे भी पूरी दुनिया की सरकारें यह मान चुकी हैं कि ब्लॉक चेन की डिसेट्रालाइज्ड तकनीक या वेब 3 पर आधारित crypto पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती.
बेहतर यही होगा कि सरकार इस पर निगरानी या इसके नियमन की कोई व्यवस्था अपना ले. भारत सरकार ने भी इस कदम के साथ इसी दिशा में चलना शुरू कर दिया है.
उम्मीद है आने वाले समय में सरकार निगरानी और नियमन में भले ही बदलाव करती रहे लेकिन ब्लॉक चेन, वेब 3 और crypto में भारत के बढ़ते कदम और दुनिया में बढ़ते भारत के दबदबे को और मजबूत करने में अपना भी योगदान देगी.