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दैनिक जागरण को हाईकोर्ट ने दिया जोर का झटका, याचिका खारिज करते हुए लगाया 25 हजार का जुर्माना

शशिकान्त सिंह-

इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बहुत बड़ी खुशखबरी आई है। यहां पर दैनिक जागरण को अदालत से जबरदस्त झटका लगा है। उसकी अमर कुमार सिंह के मामले में लेबर कोर्ट के ऑर्डर पर स्टे लेने की मंशा तो पहले ही धाराशायी हो गई थी, अब आज अदालत ने उसकी याचिका खारिज करते हुए 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है। अदालत ने इसके साथ ही लगभग पौने दो साल से स्टे में फंसे कृष्ण लाल के मामले का निपटान भी इसी याचिका के साथ कर दिया है।

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कई पन्नों के आदेश का पहला और आख़िरी पेज

दैनिक जागरण नोएडा लेबर कोर्ट में रिकवरी का मामला हारने के बाद हाईकोर्ट इस उम्मीद से पहुंचा था कि किशन लाल के मामले की तरह अदालत को गलत तथ्यों के साथ गुमराह करके स्टे ले लेगा और मामले को जितना लंबा हो सकेगा खीचेंगा। परंतु हाईकोर्ट ने सुनवाई की पहली तारीख 3 अप्रैल 2023 को स्टे देने से इनकार कर दिया और जागरण की उम्मीदों को तोड़ते हुए अगली सुनवाई की तिथि 7 अप्रैल कर दी।

7 अप्रैल को दोनों पक्षों की लंबी बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया और हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में स्थानांतरित हो चुके जज साहब ने आज 27 अप्रैल को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक शब्द डिसमिस के साथ प्रबंधन के मंसूबों पर पानी फेर दिया। अदालत में कर्मचारियों की तरफ से वकील निखिल अग्रवाल और मनमोहन सिंह ने जबरदस्त तर्क रखे और कर्मचारियों की जीत निश्चित की।

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अदालत ने अपने फैसले में लिखा कि जागरण प्रकाशन लिमिटेड 1000 हजार करोड़ रुपये से ऊपर की कंपनी है जो क्लास एक में आती है। अदालत ने अपने फैसले में लिखा कि लेबर कोर्ट नोएडा के आर्डर में कोई कमी नहीं है। अदालत ने 20जे और वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के सेक्शन 17-2 पर भी फैसला कर्मचारियों के पक्ष में दिया। अदालत ने नान जर्नलिस्ट को वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के तहत लाभान्वित नहीं होने के प्रबंधन के तर्क को भी खारिज कर दिया।

अदालत ने जागरण प्रबंधन की याचिका खारिज करते हुए कानूनी खर्च के लिए 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो कि कर्मचारी को मिलेगा। अदालत ने अमर सिंह के मामले के साथ ही किशन लाल वाले केस को जोड़ते हुए किशन लाल के मामले को भी खारिज करते हुए रिकवरी के मामले को तेजी से निपटाने के आदेश भी दिए हैं।

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अदालत के इस एक फैसले में ही अमर सिंह के साथ जुड़े 56 मामलों का भी निपटारा हो गया है। इस फैसले से पूरे देशभर में मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे कर्मचारियों में खुशी की लहर फैल गई है।

शशिकान्त सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी तथा आरटीआई कार्यकर्ता

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1 Comment

1 Comment

  1. Prem mishra

    April 28, 2023 at 11:13 am

    इस तरह के झटके उन सभी अखबारों को लगेंगे जो मैंनेजर भरोसे चल रहे हैं। इसका एक नमूना पत्रिका जबलपुर में भी है। यहां के मैनेजर ने संपादक को अपना नौकर बना रखा है। यहां का ऑफिस नर्क बन गया है।कल्पना करें गर्मी में और किस ऑफिस में टॉयलेट बाथरूम में पानी ना आता हो। पीने का भी पानी घर से लाना पड़ता है।

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