संजय सिन्हा-
गर्मी शुरू होते ही एसी की सर्विसिंग करानी होती है। सर्विस वाला आता है, पानी के फुवारे से घर के एसी को धोता है। फिर कहता है गैस निकल गई है। ठंडा नहीं कर रहा है। एसी हो, ठंडा न करे तो एसी किस काम का?
गैस भरी जाती है। पहले सिर्फ गैस भरने से काम चल जाता था। अब सफाई करने वाला कहता है (हर साल) कि साहब, वाल्व लीक है। एसी सफाई के साढ़े तीन सौ रुपए। गैस के दो हज़ार रुपए। वाल्व के डेढ़ हज़ार रुपए। न्यूनतम पौने चार हज़ार का हर साल प्रति एसी का खर्चा।
अगर आप एसी सफाई वाले से पूछेंगे कि हर साल गैस क्यों निकल जाती है तो वो कहेगा कि पास में नाला है। नाला पास होने से गैस निकल जाती है। “मेरे घर के पास तो नाला नहीं है।”
“नाला नहीं है तो इस एसी में क्वायल जो है न, वो अल्युमीनियम का लगा है। पहले कॉपर होता था तो सालों साल चलता था। अब हर जगह ऐसा ही है सर।”
“लेकिन एसी बेचते वक्त तो पांच साल की गारंटी दी थी। कहा था कुछ नहीं होगा।”
“गारंटी कंप्रेसर की थी सर। कंप्रेसर को कुछ नहीं हुआ है। क्वायल में छेद हुआ है।”
“कमाल करते हो भाई। गारंटी का मतलब ये हुआ कि पांच साल ठीक चले एसी।”
“सर, एसी तो ठीक ही है। एसी को क्या हुआ है? अब गैस तो लीक कर ही सकती है। कंडेसर फूंक ही सकता है।”
“एसी वाले ने बेचने के समय ये कभी नहीं कहा था कि गैस निकल सकती है।”
“सर, गैस निकल सकती है कभी भी।”
“हर साल?”
“साल कहां सर, एक सीजन।”
सीजन मतलब?
“गर्मी-गर्मी। इतने ही की गारंटी होती है।”
“भर दो गैस।”
“सर इस एसी में गैस अलग नंबर की होती है। अभी देखा हमने। वो थोड़ी महंगी है, आम गैस से।”
कोफ्त तो बहुत हो रही थी। लेकिन संजय सिन्हा (उनकी जगह कोई भी हो) क्या करते? “भरो गैस।”
मैं मन ही मन बुदबुदा रहा था। पिछले ही साल घर के सातों एसी हमने बदलवाए। सबके क्वायल में छेद है। सबकी गैस निकल गई है। नाली भी कहीं नहीं है। घर के सामने तो गोल्फ कोर्स है।
एसी वाले ने बुदबुदाना सुन लिया था।
“सर, बात सिर्फ आपके एसी की नहीं है। सबके साथ यही हुआ है। यही होता है।
गारंटी एसी की है। कंप्रेसर की है। ये तो छोटी-मोटी चीज़ हैं, खराब हो सकती हैं। और सर, गर्मी भी तो इतनी पड़ रही है।”
नोट-
- कोई वादा अपने आप में संपूर्ण नहीं होता है। वादा निर्लज्जता का पर्याय भर होता है।
- वादा करने वाले के पास वादा पूरा नहीं करने के हज़ार कारण होते हैं। हमारे आपके घर के आसपास नाली होने से लेकर गर्मी अधिक होने तक।
- एक आदमी छाता खरीदने गया। छतरी बेचने वाले से उसने पूछा था कि जल्दी खराब तो नहीं होगा न? छतरी बेचने वाले ने कहा, “कभी खराब नहीं होगा अगर आप इसे बारिश और धूप से बचा कर रखेंगे।”
- सर्दी, गर्मी और बारिश में किया गया कोई वादा खरा नहीं होता है। तैयार रहिएगा इस गर्मी के वादे की गैस लीक कर जाने और क्वायल में छेद हो जाने की समस्या से जूझने के लिए। बाकी नाली किनारे तो हम आप हैं ही।