घटना छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर सरगुजा की है. यहां मनीष सोनी नामक पत्रकार कई वर्षों से जी न्यूज एमपी-सीजी से जुड़े हुए हैं. आज उन्होंने अचानक देखा कि चैनल स्क्रीन पर उनका नाम लिखकर यह चलाया जा रहा है कि मनीष सोनी को चैनल से निकाल दिया गया है, उनसे कोई किसी प्रकार का संबंध अपने जोखिम पर रखे. ऐसी ही कुछ लाइनें बदल बदल कर लगातार चल रही थी. मनीष सोनी को यकीन न हुआ कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है. उन्होंने न तो दलाली की है, न बेइमानी की है, न चोरी की है, न अपराधी हैं, तो चैनल वाले ये सलूक क्यों कर रहे हैं.
इस पूरे प्रकरण को लेकर जब मनीष सोनी ने दाएं बाएं से पता किया तो मालूम चला कि चैनल के धंधेबाज वरिष्ठ पदाधिकारी अपनी धंधेबाजी बढ़ाने और अपनी काली करतूतों को विस्तार देने हेतु उन्हें बलि का बकरा बनाकर हटा दिया है और किसी दूसरे धंधेबाज को चैनल की बागडोर सौंप दी जाएगी. इस हटाने के लिए पूरी एक कहानी गढ़ी गई और उसके आधार पर उन्हें बर्खास्त करके इसकी सूचना सीधे चैनल पर प्रसारित करवा दी गई. मनीष सोनी ने अपने चैनल के वरिष्ठों को एक पत्र लिखकर ऐसी हरकत करने के पीछे का कारण पूछा है… पढ़िए एक इमानदार पत्रकार का दर्द.
मनीष का पत्र अगले पेज पर है जहां जाने के लिए नीचे क्लिक करें>
हे जी न्यूज एमपी सीजी के कर्ताधर्ताओं
हे दिलीप तिवारी
हे ब्यूरो चीफ आशुतोष
सुनिए.
मैं कल सुबह से हैरान हूं. बिना किसी कारण के मेरे ही चैनल पर लगातार मुझे अलग किये जाने की सूचना प्रसारित की जा रही है. यह बेहद पीड़ादायक है. जिस चैनल को मैंने अपने जीवन के तीन साल दिए वह चैनल बिना किसी बात के मेरे खिलाफ टिकर चला रहा है. हटाने और रखने का अधिकार management का होता है, यह मैं जानता हूं. लेकिन इसका एक तरीका और सिस्टम होता है. अगर मेरे खिलाफ कोई शिकायत है तो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार मुझसे मेरा पक्ष लिया जाता. लेकिन पक्ष लेना तो दूर, मुझे जानकारी भी चैनल के टिकर से मिली.
जब मैंने इस सम्बन्ध में चैनल हेड श्री दिलीप तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि ये ऊपर से हो रहा है. मेरे खिलाफ पर्ची और वाइस क्लिप है. ये कौन सी पर्चियां और क्लिप हैं? इस बारे में जानकारी नहीं दी गयी. मेरा दावा है कि ऐसा कुछ हो भी नहीं सकता क्योंकि आज तक मैंने चैनल के संज्ञान में लाए बिना ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे चैनल की छवि ख़राब हो या उसकी गरिमा के प्रतिकूल हो. मैंने आदरणीय श्री दिलीप तिवारी से कहा कि अगर आप मुझे कह देते तो मैं आपको ID भिजवा देता, लेकिन मेरी प्रतिष्ठा और सम्मान को क्षति पहुंचाने का काम क्यों किया गया? मेरे साथ यह हरकत उस चैनल के द्वारा की गई जिसकी खातिर मैंने अपनी जान जोखिम में डालकर, बिना समय देखे दिन रात मेहनत की, खबरों की खातिर स्थानीय स्तर पर किसी की परवाह किये बिना काम किया. जिसका नतीजा रहा कि सरगुजा से हमारा चैनल खबरों के मामले में सबसे आगे रहा. ये मेरा दावा नहीं है, सच्चाई है, जिसकी जांच वहीं से की जा सकती है.
मुझे अपमानित करके हटाने के निर्णय के पीछे मुझे एक बड़ी साज़िश नज़र आ रही है. मैं एक घटनाक्रम की तरफ आप सभी का ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा. मध्य प्रदेश के ब्यूरो चीफ आशुतोष ने दो महीने पहले इनपुट को फ़ोन करके कहा था कि मैं उनसे बात करूँ. मैंने उन्हें फोन लगाया और बातचीत हुयी. वो तब का समय था जब कोरिया जिले के स्ट्रिंगर जगजीत सिंह को भी निकाला गया और जगजीत सिंह ने इनकी सारी पोल खोल कर रख दी थी. जगजीत ने आशुतोष की जी मीडिया में रायपुर की एक महिला पत्रकार के साथ प्रेम प्रसंग और उनके काले कारनामों की पूरी पोल खोल दी थी. इसके बाद आशुतोष ने मुझे यह धमकी भी दी थी- ”जगजीत तुम्हारा मित्र है और तुम उससे दूर ही रहो तो बेहतर होगा”. मुझे तब ही समझ में आ गया था कि अब चैनल से निकलना तय है. इतिहास गवाह है कि लड़की के चक्कर ने अच्छे अच्छों को बर्बाद किया है. पर अफ़सोस की इस नवयुवक पत्रकार ने इस युवती के कारण पूरे मीडिया जगत को बदनाम किया और जी mp cg ग्रुप को बर्बाद करने का जैसे कसम खाया हो.
मैं निवेदन करना चाहूँगा कि मुझे कोई दुःख नहीं है कि मुझे ज़ी न्यूज से हटाया गया. एक पत्रकार होने के नाते मैं मानता हूँ कि ये मैनेजमेंट का अपना फैसला है. लेकिन इसके लिए जो तरीका अपनाया गया वो निहायत ही गैर प्रोफेशनल और अपमानजनक है. कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक़ आप मुझे बिना कोई कारण बताये हटा तो सकते हैं पर कॉन्ट्रैक्ट इस बात का नही हैं कि आप मुझे अपमानित करें, चैनल पर टिकर चलायें और मेरी वर्षों की बेदाग़ छवि को धूमिल करें. मैंने अपनी पहचान सिर्फ ज़ी के दम पर नही बनाई. ज़ी से पहले भी मेरी अपनी पत्रकारिता की धाक रही है जिसके दम पर मैंने ज़ी को अच्छी खबरें दी. इसलिए निवेदन यह भी है कि टिकर चला कर काफ़ी बेईज्जती कर चुके हैं, कृपया अब तत्काल प्रभाव से टिकर को बन्द किया जाए.
मुझे संदेह है कि आशुतोष गुप्ता कोरिया जिले के समय संवाददाता राजेश मंगतानी को जी मीडिया में स्थापित करना चाहते हैं क्योंकि जिस महिला पत्रकार से इनका प्रेम प्रसंग चला, उससे विवाह हुआ, तलाक हुआ या जो कुछ भी था, वह कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र से सम्बन्ध रखता है. तब राजेश मंगतानी नाम के कथित पत्रकार ने इस मामले में काफ़ी मदद की थी. अब आशुतोष गुप्ता जी अपना क़र्ज़ और राजेश मंगतानि के लिए अपना फ़र्ज पूरा करने हेतु ज़ी mp cg में सरगुजा ज़ोन को उन्हें सौपने की तैयारी कर रहे हैं. यही वजह है कि अपने मोहरे सेट करने के मकसद से हर जिलों में काम करने वाले पुराने पत्रकारों को निकाला जा रहा है.
इस घटना से स्पष्ट है श्री तिवारी जी कान के कच्चे हैं या फिर नाटक कर रहे हैं. कान भरने के कारण आज आशुतोष गुप्ता इनके बेहद क़रीब हैं या तिवारी जी की कोई कमजोर नस आशुतोष ने दबा रखी है, कहा नहीं जा सकता. पूरे चैनल के साथ पिछले एक सालों में जो उठा-पटक का दौर चला, आज उससे मैं भी अछूता नहीं रहा. यही हाल रहा तो निश्चित ही देर सबेर सभी स्ट्रिंगर के साथ यही होना है. आशुतोष गुप्ता के प्रेम प्रसंग में सहयोगी इनके कोरिया जिले के शागिर्दों ने पहले कई बार इस तरह का मैसेज भिजवाया था कि अब मैं ज़ी मीडिया में ज़्यादा दिन का मेहमान नहीं हूं. सवाल यह है कि चैनल के बाहर के लोगों ने अगर साल भर पहले ही मुझे इशारा कर दिया तो आखिर वो सच भी तो हुआ. धीरे-धीरे एक-एक करके सब निकाले जा रहे. मेरा विनम्र निवेदन है कि मेरे ख़िलाफ़ साज़िश की निष्पक्ष जाँच की जाये और मुझे मेरी ग़लती बताई जाए. और, अगर मैं ग़लत हूँ तो कम से इस सजा के लिए मुझे अफ़सोस न हो.
आपका
मनीष सोनी
पत्रकार
सरगुजा
अंबिकापुर
ravi singh
November 13, 2015 at 9:20 am
तीन साल काम करने का नतीजा_बेइज्जती।
dost
November 14, 2015 at 10:06 am
सुभाष चंद्रा जागो , आपके प्रदेशिक चैनलों को आपके चहेते संपादक दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी बर्बाद करने पे तुले है | है | क्या दलीप तिवारी ने ज़ी को जो सड़क का ठेका दिलवाया उस कारण ज़ी ने आंखे बंद कर ली |
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आशीष पंडित , दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी तीनों की दोस्ती और घपले करने के लिए की गई यारी ज़ी ग्रुप को बर्बाद कर रही है , आशीष पंडित को तो सुभाष चंद्रा ने थप्पड़ मार कर निकाल दिया क्योंकि उसका घपला तो सामने आया गया पर दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी के लिए ज़ी ग्रुप मौन क्यों है , क्या प्रबंधकों को कुछ दिखाई नही दी रहा , क्या अब तक पता नही चला की तीनों मिल कर घपले कर रहे है , क्या उनको अभी तक यह पता नही चला कि दिनेश शर्मा मिट्टी का माधो है , जो कुछ दलीप तिवारी ज़ी एमपी में करता है वही कुछ दिनेश शर्मा ज़ी पंजाब हरियाणा में करता है , अब तक का चिट्ठा उठा कर देख लो , जो कुछ दलीप तिवारी ने किया वही कुछ दिनेश ने अपने चैनल में लागू किया , साफ़ है कि दिनेश का पाना दिमाग तो है ही नही , चैनल क्या चलेगा , सुभाष चंद्रा जागो , जाँच करो कही यह सब कही नवीन जिंदल के लिए तो नही काम कर रहे ,जो ज़ी को बर्बाद कर रहे हों | ज़ी ग्रुप आप नीचे लिखी इन बातों पर ध्यान दो दलीप तिवारी ने ज़ी एमपी में किया वही कुछ ज़ी पंजाब हरियाणा में हुआ , कैसे आ रही है बर्बादी –
बर्बादी का कारण है पुराने लोगों को निकाल कर नए लोगों को भर्ती करना , नए लोग अनुभवहीन है , वो सुभाष चंद्रा को कुछ दिन में करोड़ों कमा कर देने का वादा कर के कुर्सिओं पर काविज हों गए है , जबकि वो कुछ भी नया करके दिखा नही पाए , हाँ यह जरूर किया है कि पुराने लोगों को निकाल नए लोग भर्ती कर लिए है जो कि ज़ी ग्रुप के काबिल नही है , यह काम ज़ी एमपी और ज़ी पंजाब हरियाण में एक समान हुआ | जिस कारण अब अच्छी खबर प्रदेशिक चैनलों पर नही चलती , सब से बुरी हालत इस समय ज़ी पंजाब हरियाणा हिमाचल की है , रिपोर्टर से संपादक बने दिनेश शर्मा का ध्यान अब खबर की तरफ कम है , मालिक को पैसे कैसे अधिक से अधिक कमा कर दिए जाए इस तरफ अधिक है , क्या ज़ी ग्रुप में एक भी ऐसा जिम्मेवार नही रहा जो पिछले सालों में चल रही ख़बरों और अब गिरते स्तर की चल रही ख़बरों में कोई फर्क देख कर कोई कारवाई कर सके , क्या पैसे ही सब कुछ है , हिन्दोस्तान से ले कर विदेशों तक बनी इज्ज़त क्या सुभाष चंद्रा के लिए कोई मतलब नही रखती , क्या सुभाष चंद्रा को हों रही बर्बादी दिखाई नही दी रही , उन को पता क्यों नही चल रहा कि ज़ी पंजाब हिमाचल हरियाणा को दिनेश शर्मा बर्वाद करने पे तुला है , दिनेश शर्मा ने सम्पादक के कुर्सी सम्भालते ही चैनल में पुराने काम करने वाले ( जो लोग पंद्रह साल से जब चैनल की शुरूआत हुई तब से थे ) सब लोगों को निकाल बाहर किया है , सुभाष चंद्रा और मैनेजमेंट को कुछ क्यों नही दिखाई नही दे रहा | अगर समय रहते सुभाष चंद्रा ना जागे तो ज़ी पंजाब हरियाणा हिमाचल का डूबना तय है | पंजाब की न्यूज़ ज़ी पंजाब से खत्म हों रही है , क्योंकि दिनेश को सिर्फ़ हिंदी आती है , दिनेश ने अपने चापलूस भर्ती कर लिए है और अब उसकी मंशा ज़ी पंजाब को खत्म कर सिर्फ़ हरियाणा हिमाचल बनाने की है , ज़ी पंजाब के कारण ज़ी ग्रुप की पहचान विदेशों में है वो भी खत्म हों जायगी , पता चला है के दिनेश ने पंद्रह करोड़ जुटा के मैनेजमेंट को देने है , इस कारण दिनेश ब्लैकमेलरों को भर्ती कर उन के द्वारा पैसे जुटाना चाहता है | लगता है जल्दी ही ज़ी ग्रुप को नवीन जिंदल जैसे एक और स्टिंग का सामना करना पडेगा | जब सुधीर चौधरी जैसा स्टिंग में फस सकता है तो दिनेश तो सुधीर के पांव की जूती जितना काबिल भी नही है, सुभाष जी जागिए , पुराने लोगों के साथ एक मीटिंग करो आप को सब सच पता चल जायगे , दिनेश शर्मा ने ज़ी के सर पर अब तक कितने कम लिए इस बात की पड़ताल करने के लिए आप को हिमाचल में जाँच करवानी पडेगी , सब सच सामने आ जायगे | इज्ज़त को सब कुछ समझने वाला गोयनका परिवार जुलम होते हुए क्यों देख रहा है क्यों दिनेश शर्मा जैसे लोगों के कारण अपनी इज्ज़त नीलाम कर रहा है | पैसे तो पहले भी आ रहे थे बस फरक इतना है कि वो इज्ज़तदार टीम द्वारा इज्ज़त के साथ कमा कर दिए जा रहे थे | दिनेश शर्मा ने अधिकतर पुराने रिपोर्टर हटा दिए उनके स्थान पर नए अनुभवहीन जो कि ब्लैकमेलरों के रूप में जाने जाते है उनकी भर्ती शुरू कर दी है , जिस कारण जल्दी ज़ी ग्रुप पर कलंक का तिलक लगना तय है , सुभाष जी आप खुद नए लोगों की जांच करे , पुराने रिपोर्टर दस पन्द्रह साल से काम कर रहे है , उनको खबर के नब्ज का भी पता है और अब तक कभी कोई कलंक नही लगने दिया , फिर किस कारण वो लोग निकाले गए , मुझे तो नए स्थान पर नौकरी मिल गई है परन्तु मैंने अपनी जवानी आप के चैनल पे लगी दी , बदले में मुझे दिनेश ने निकाल कर आप के चैनेल के बर्वादी शुरू कि जो अब तक जारी है , मैंने वफादारी से काम किया सो अब बर्बादी देखते हुए मेरी आंखे भर आती है , आप जागो , नही तो एक दिन आप की आँखों में भी आंसू होंगे |
जाँच करो दलीप तिवारी और दिनेश शर्मा ने जो लोग स्टाफ में रखे है उनकी दूसरे चैनलों में क्या पोजीशन थी क्या सेलरी थी अब ज़ी में एक दम से बढ़कर कितनी हों गई , अगर वो काबिल लोग है तो जिन चैनलों में रहे उनको क्यों कामयाब नही कर सके , उनके दामन पर कितने दाग है यह भी जाँच का विषय है , उनका बात करने का ढंग कैसा है वो पेशेवर लोग नही है , ज़ी में आ कर भी वो गुंडों की तरह हे बात करते है , जैसे वो अपने पिछले और निम्न दर्जे के चैनल में करते थे , क्या ज़ी ग्रुप भी अब टुच्चों का हों गया है , दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी की कॉल डिटेल निकलवाओ सब साफ हों जायगा ,
सुरेन्द्र त्रिपाठी
January 13, 2016 at 8:26 am
मनीष जी ने जो लिखा है सच है, मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है, बस एक ही बात रही कि हम लोगों के नाम का स्क्रोल नहीं चलाया गया। एक बात जरूर रही कि दिलीप तिवारी का सहयोगी मध्य प्रदेश में आशुतोष गुप्ता रहा है। आज भी सुभाष चंद्राचंद्रा जी की आँख नहीं खुल रही है। राजेंद्र शर्मा सर जैसे लोग जो चैनल शुरू होने के साथ मध्य प्रदेश में चैनल को पहचान दिलवाये। वो तक दिलीप तिवारी और आशुतोष गुप्ता के षडयंत्र के शिकत होकर किनारा कर लिए। आज ज़ी न्यूज मध्य प्रदेश की क्या हालत हो गई है। ये देखने के काबिल है, अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब चैनल से लोगों को नफ़रत हो जायेगी और तब चंद्रा जी की नीद खुलेगी और समय निकल चुका होगा।
rakesh Kumar khatri
September 23, 2017 at 9:04 am
जानिए इस बेकसूर पत्रकार की सच्चाई, इसने कहा कि मैंने जो भी न्यूज़ बनाया वो अपने विभाग को अवगत करा कर बनाया, ये अम्बिकापुर के पत्रकार रहे, इन्होंने कोरिया जिले के बैकुंठपुर न्यायालय परिक्षेत्र में आकर पटना के दो बेकसूर पत्रकारों से अपनी निजी दुश्मनी निकलने के लिए जी न्यूज 24 की id लेकर एक ऐसे आरोपी को बरगलाकर दोनो सरीफ पत्रकारों को उसके जुर्म में हिस्सेदार बनाया जिसकी विडीओ क्लिप बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कराया , जबकि अवगत हो कि आरोपी नेथे कहि भी थाने व न्यायिक दस्तावेजो में इन बेकसूर पत्रकारों का जिक्र नही किया है, वही इसके द्वारा न्यूज़ पर थाना प्रभारी व फूड इस्पेक्टर की वर्जन नही लिया , सबसे बड़ी बात ये न्यूज़ जी 24 मे चली भी नही, अब बताये ये अपने को बेकसूर बताने वाले पत्रकार किस हक़ से चैनल वालो को कसूरवार ठहरता कहता है