बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी. चन्द्रकला के संग जबरन सेल्फी प्रकरण के बाद आरोपी की वकालत में फँसे दैनिक जागरण का नया फर्जीवाड़ा सामने आया है। बी0 चंद्रकला को उनके माता-पिता द्वारा परिवार की सम्पत्ति बँटवारे में मिले एक फ्लैट और तेलंगाना के नक्सल प्रभावित रंगारेड्डी जिले में कृषि योग्य कुछ ज़मीन पर सवाल खड़े करने वाला दैनिक जागरण खुद भूमाफिया है। समाचार-पत्र की आड़ में सरकारी सिस्टम पर हेकड़ी जमाकर दैनिक जागरण ने काली कमाई और अवैध जमीनों की खरीद का एक बड़ा साम्राज्य देश में खड़ा किया है। ताज़ा मामला राजधानी लखनऊ का है। आपको बताते हैं कैसे जागरण ने 50 करोड़ की ज़मीन को फर्जीवाड़ा करके कब्जा रखा है।
लखनऊ में फ़ैज़ाबाद रोड नेशनल हाइवे पर एक गाँव बसा हुआ है…नाम है अनोरा। अनोरा गाँव में दैनिक जागरण ने रोड से लगी हुई करोड़ो रूपये कीमत की सात बीघा जमीन कब्जा कर रखी है। जबकि इस जमीन का मालिकाना हक लखनऊ के जाने-माने व्यापारी रामशंकर वर्मा/जितिन वर्मा का है। दैनिक जागरण की नजर कई बरसों से वर्मा परिवार की जमीन पर थी। लिहाजा लखनऊ में फर्जी दस्तावेज़ के जरिये ज़मीन हड़पने की योजना बनाई गयी।
इस फर्जीवाड़े में नटवरलाल अशोक पाठक भी शामिल है जो लखनऊ का कुख्यात औऱ घोषित भूमाफिया है। अशोक पाठक हाल ही में एक फ्राड के मामले में जेल काटकर लौटा है। रामशंकर वर्मा और जतिन वर्मा को पता ही नहीं कब दैनिक जागरण वालों ने अशोक पाठक को उप-निबंधक कार्यालय में खड़ा करके वर्मा परिवार की पूरी सात बीघा जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करा ली और पुलिस में अपने रसूखों के चलते वर्मा परिवार की जमीन पर कब्जा भी कर लिया।
दैनिक जागरण की करतूतों का कालाचिठ्ठा जब वर्मा परिवार ने समाजवादी पार्टी के एक बड़े नेता के सामने रखा और सारी हकीकत बयान की तो सरकार भी दैनिक जागरण की इस करतूत पर हैरान रह गयी। कोई अखबार समूह भला फर्जीवाड़ा और हथकंडे अपनाकर कैसे किसी की जमीन हड़प सकता है। रामशंकर वर्मा और जतिन वर्मा ने अपनी जमीन बचाने के लिए फौरन कोर्ट का सहारा लिया और अदालत में दैनिक जागरण के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करके रजिस्ट्री कराये गये बैनामा के निरस्तीकरण के लिए केस दर्ज कर दिया है।
दैनिक जागरण द्वारा फर्जी बैनामे के आधार पर तहसीलदार की अदालत में दायर अमलदरामत का वाद खारिज कर दिया गया है और जमीन को वर्मा परिवार के नाम अभिलेखों में अंकित कर दिया गया है। दैनिक जागरण द्वारा कब्जाई गयी जमीन पर मालिकों के गुंडे और असामाजिक तत्वों को जमावड़ा रहता है जो जमीन पर अभी भी कब्जा किये हुए है। दैनिक जागरण द्वारा अपने गुंडों और रसूखदार लोगो के जरिये अब वर्मा परिवार पर इस बात का दबाब बनाया जा रहा है कि वह कौड़ियों के भाव में अपनी जमीन छोड़ दें। लेकिन वर्मा परिवार किसी भी सूरत में अपनी बेशकीमती जमीन छोड़ने को तैयार नही है। खुद को प्रतिष्ठित और दुनियां का सबसे ज्यादा प्रसारित प्रतिष्ठित अखबार कहने वाला दैनिक जागरण अब जमीन डकारने के लिए गुंडई पर उतारू है। पहले वर्मा परिवार की जमीन पर फर्जीवाड़े से कब्जा किया और अब जमीन न छोड़ने को लेकर जागरण गुंडागर्दी कर रहा है।
हकीकत ये है कि लोकतन्त्र में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर दैनिक जागरण के मालिक पूरे देश में इस तरह के कारनामों को अंजाम दे रहे है। इन्हें फोकट का माल चाहिए और इसके लिए अखबार के नाम की आड़ में पुलिस-प्रशासन पर दबाब बनाकर ये लोग किसी की भी जमीनें हथिया लेते है। दैनिक जागरण अखबार चोरी, बेईमानी और सीनाजोरी का अड्डा बन चुका है। दैनिक जागरण खुद, चोर, भ्रष्ट और बेईमान है। खुद तो पत्रकारिता की आड़ में आपराधिक कृत्य करते है औऱ दूसरों के ऊपर उँगलियां उठाते है। आज जरूरत है दैनिक जागरण को ये अच्छे से जानने की कि अगर दूसरों के लिए गड्डा खोदोगे तो खुद ही उसमें जमीदोंज हो जाओगे और अगर आसमान की ओर थूकने की जुर्रत की तो तुम्हारा ही मुँह मैला हो जायेगा।
दैनिक जागरण के संस्थापकों ने जिस जोश और जुनून और मिशन के लिए इस अखबार को अपने खून-पसीने से सींचा, उनके वारिस आज भूमाफियाओं के साथ मिलकर जमीन कब्जाने जैसी गलीच हरकतें कर रहे है। सवाल ये है कि इस अखबार समूह को आखिर कौन बचा रहा है इनके आपराधिक कृत्यों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नही होती। रामशंकर वर्मा औऱ जतिन वर्मा ने इस मामले में सरकार से दखल की अपील की है और अनुरोध किया है कि सरकार उनकी जमीन दैनिक जागरण के कब्जे से मुक्त कराये…जिससे अखिलेश यादव की सरकार पर व्यापारियों का भरोसा कायम रह सके।
श्री रामशंकर लखनऊ में जाने-माने व्यापारी हैं। उनसे संपर्क करके कोई भी पूरी जानकारी हासिल कर सकता है.
लखनऊ से गीत सिंह की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected]