-देश के सभी बड़े अख़बारों में इस फोन का डबल साइड विज्ञापन छापा गया है जिसमें करोड़ों रूपए खर्च हुए. कंपनी के मालिकों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वो इतना पैसा खर्च करें विज्ञापन में. कंपनी के तीनों डायरेक्टर गांव से आनेवाले सामान्य परिवार के लोग है। तीनों मुजफ्फरनगर के शामली तहसील के रहनेवाले वाले हैं। रिंगिंग बेल्स के डायरेक्टर मोहित गोयल का बैकग्राउंड भी ऐसा नहीं है कि वो इतनी बड़ी मात्रा में फ़ोन का उत्पादन कर सकें. उनके पास मोबाइल फोन इंजीनियरिंग का भी अनुभव नहीं है.
-अगर डायरेक्टर इतने सामान्य परिवार के लोग हैं तो करोड़ों रुपये का विज्ञापन अखबार में कैसे दे रहे हैं? यह पैसा कहां से आ रहा है? डायरेक्टरों की हैसियत तो अखबार में मैट्रिमोनियल एड छपवाने की भी नहीं दिख रही है। अगर डायरेक्टरों की माली हालत यब है तो फिर उनकी फैक्ट्री कहां है? वे कह रहे हैं कि नोएडा और उत्तराखण्ड में उनकी फैक्ट्री है। लेकिन न तो उस फैक्ट्री का पता बता रहे हैं और न ही फैक्ट्री होने का कोई सबूत दे रहे हैं। दावा है कि ये मेक इन इन्डिया प्रोडक्ट है लेकिन जब उत्पादन इकाई नहीं है तो ये मेक इन इण्डिया फोन कैसे हो गया?
-इस फोन को बुक करने वाली रिंगिंग बेल्स कंपनी की वेबसाइट लगातार क्रैश हो जा रही है. पता चला है कि वेबसाइट पर किसी दूसरे स्मार्टफोन की फोटो लगा रखी थी जिसे लांच होने के बाद हटा दिया गया। सूत्रों का कहना है कि दरअसल फ्रीडम 251 फोन चीन की चीप कंपनी एडकॉम का आईकॉन-4 फोन है. इसे ही नए नाम से इण्डिया में बेचा जा रहा है. यह फोन ढाई हजार का होता तो भी मंहगा सौदा नहीं होता. लेकिन कीमत के दसवें हिस्से में चड्ढा साहब की यह कंपनी फोन क्यों बेच रही है? लांचिंग के बाद फोन को खुरचने पर चीनी कंपनी एडकॉम का लोगो सबके सामने आ गया जबकि एडकॉम का कहना है कि उन्होंने रिंगिंग बेल से कोई समझौता ही नहीं किया. तो क्या चोरी छिपे एडकॉम के कुछ फोन खरीदकर उसपर तिरंगा पेन्ट कर दिया गया और लोगो पर पेन्ट लगाकर उसे फ्रीडम 251 बना दिया गया?
-फ्रीडम-२१५ की वेबसाइट सबसे बड़ा शक पैदा कर रही है जहां फोन के लिए सीधे पेमेन्ट किया जाना है वह वेबसाइट सिक्योर गेटवे (HTTPS) पर नहीं है. क्या कोई ईकॉमर्स कंपनी इतनी नादान हो सकती है कि अपने पेमेन्ट गेटवे के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ करे कि हैकर आसानी से वहां दर्ज होनेवाले क्रेडिट और डेबिट कार्ड की पहचान में सेंध लगा दे? आर्डर बुकिंग होने पर डिलिवरी का टाइम तीन से छह महीने का दिया जा रहा है। यानी जून से नवंबर के बीच डिलिवरी दी जाएगी। बुकिंग के बाद वे इतना टाइम क्यों मांग रहे हैं? आनलाइन बुकिंग पर जो डिलवरी आमतौर पर तीन से छह दिन में आ जाती है उसके लिए तीन से छह महीने क्यों मांग रहे हैं? अगर फ्रीडम इतनी बड़ी डिजिटल क्रांति है तो फिर फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी किसी ट्रस्टेड ईकामर्स रिटेल कंपनी का इन्वाल्वमेन्ट क्यों नहीं है? क्या इसलिए कि पोल खुलने का डर है? आनलाइन आर्डर के वक्त पेमेन्ट का एक आप्शन कैश पेमेन्ट का भी होता है डिलिवरी के वक्त। फिर यह कंपनी सारा पैसा एडवांस में क्यों ले रही है? कैश आन डिलिवरी का आप्शन क्यों नहीं है?
-250 रुपए में 4 इंच डिस्प्ले, 1.3 GHz प्रोसेसर, 1GB RAM,8 GB स्टोरेज, फ्रंट और रियर कैमरा जैसे फीचर वाले एंड्रायड स्मार्टफोन की कल्पना ही नामुमकिन है. रिंगिंग बेल्स कंपनी का कहना है कि फोन के लिए कोर्इ सरकारी सब्सिडी नहीं ली गर्इ है. कंपनी प्रेसिडेंट चड्ढ़ा ने कटआफ कैपेसिटी 2.5 से 3 लाख फोन बतार्इ है लेकिन कंपनी के मालिक मोहित गोयल ने बताया है कि कंपनी 25 लाख आर्डर लेगी। मीडिया को जो फोन दिखाया गया है वह दिल्ली स्थित एक आयातक एडकाम का लोगो लिए है. फोन की डिजाइन आर स्पेसिफिकेशन काफी हद तक एडकाम आइकन 4 फोन जैसे ही हैं. लेकिन कंपनी का कहना है कि यह एक प्रोटोटाइप है और केवल बाडी आर लोगो एडकाम से मिलता है अन्यथा फ्रीडम 251 के इंटरनल कंपोनेंट्स एकदम अलग होंगे.
-इसका मतलब यह है कि कंपनी बिना डिजाइन और कंपोनेंट्स फाइनल किए ही फोन बेच रही है. यूजर्स को यह भी नहीं पता कि जिस फोन पर वे अपना पैसा खर्च कर रहे हैं वह आखिर दिखता कैसा है. रिंगिंग बैल्स की अभी तक खुद की कोर्इ फैक्ट्री नहीं है जहां यह फोन बनाया जाएगा. कंपनी की नोएडा में केवल असेंबली यूनिट है जहां इसे असेंबल किया जाएगा. मीडिया में कंपनी के मालिक मोहित गोयल ने बताया है कि डिलीवरी मार्च के अंत या अप्रेल तक शुरू हो जाएगी, तो क्या केवल डेढ़ महीने में ही कंपनी फैक्ट्री प्रोडक्शन आैर टैस्टिंग का काम कर लेगी?
-मोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स को भारत में फोन बेचने से पहले ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड से सर्टिफिकेशन लेना जरूरी होता है. यह तय करता है कि प्लास्टिक बाडी, बैटरी और फोन रेडिएशन स्वास्थय के लिए हानिकारक तो नहीं है. लेकिन रिंगिंग बैल्स बीएसआर्इ की मैन्यूफैक्चरर्स की लिस्ट में शामिल नहीं है. सर्टिफिकेशन प्रोसेस बेहद लंबा और पेचीदा है. तो सवाल उठता है कि क्या रिंगिंग बैल्स डिलीवरी देने से पहले सर्टिफिकेशन ले सकेगा।
-फ्रीडम 251 एक दिन भारत में बनाया जाएगा लेकिन फिलहाल इसके कंपोनेंट्स आयात हो रहे हैं. लान्च के समय कंपनी प्रेसिडेंट चड्ढ़ा ने बताया था कि इसके पार्ट्स चीन से आयात होंगे. इसके बाद उन्होंने एक मीडिया वार्ता में कहा कि रिंगिंग बैल्स ने एडकाम से इसलिए कंपोनेंट्स लिए हैं क्योंकि यह एक भारतीय कंपनी है और इसके सभी पार्ट्स भारतीय होंगे. इसका मतलब यह निकलता है कि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि रिंगिंग बैल्स अपने फोन के लिए कंपोनेंट्स कहां से मंगाएगा. मतलब कि फोन ग्राहक को नहीं पता है कि उसे क्या बेचा जाएगा.
-रिंगिंग बैल्स ने लान्च के समय बताया था कि वह 2.5 लाख फोन बेचना चाहती है. इसके बाद कंपनी के मालिक मोहित गोयल ने 25 लाख फोन बेचने का इरादा जताया. कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर छह लाख हिट पर सेकंड का दावा किया. इसके बाद दिए एक इंटरव्यू में कंपनी प्रेसिडेंट ने कहा कि वेबसाइट पर 63 लाख प्रति सेकंड हिट मिल रहे हैं. ऐसा क्यों हो रहा है कि हर बार कंपनी की ओर से बताया जा रहा डाटा बदल रहा है. फ्रीडम 251 में कर्इ आइकन इस्तेमाल किए गए हैं जो सीधे एप्पल से उठाए गए लगते हैं. ऐसा करना कापीराइट कानून का साफ-साफ उल्लंघन होगा.
-इस तमाशे के बाद हरकत में आई कारपोरेट मिनिस्ट्री ने भी अपनी जांच आरंभ कर दी है. कुछ बीजेपी नेताओं तक ने ट्राई को चिट्ठी लिखी है और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए इसकी बुकिंग रोकने की अपील की है. सभी लोगों का कहना है कि पूरी जांच पड़ताल के बाद ही फोन बेचने की इजाजत देनी चाहिए नहीं तो ढाई सौ रुपये का फोन किसी को मिले या न मिले, अगर एकाध करोड़ लोगों ने भी बुकिंग कर ली ये ठग ढाई तीन सौ करोड़ के मालिक बन जाएंगे.