यशवंत सिंह-
ग़ाज़ीपुर में ब्लैकमेलर पत्रकारों की भरमार है। अमित उपाध्याय नामक जीव ने जिले के एक ब्लॉक के कुछ मास्टरों को टारगेट करते हुए ब्लैकमेल करने के लिए किसी अल्पायु एक्सप्रेस में चार पार्ट में एक ही राम कहानी को घुमा फिरा कर छापा- ‘मास्टर लोग टाइम से स्कूल नहीं जाते…’
अमर उजाला के विज्ञापन विभाग का कोई गुड्डू सिंह कुशवाहा है जो ऑपरेशन थिएटर में घुस कर डाक्टर को धमका आया और किसी वार्ड ब्वाय का स्टिंग कर अब डाक्टर को बुरी तरह परेशान कर रहा है। फ़र्ज़ी कंप्लेन पर डाक्टर सस्पेंड भी हो चुका है और समझौते के लिए दर दर भटक रहा है।
मैंने मास्टर और डॉक्टर दोनों को सलाह दी कि लीगल नोटिस भेजो और पुलिस-कोर्ट दोनों केस करो, यही इलाज है इन फ़र्ज़ियों का।
मास्टर साहब ने सलाह को अपनाते हुए लीगल नोटिस का ज़िक्र ज्योंही प्रधान संपादक से किया, अल्पायु की आयु एकदम समाप्त हो गई, चारों पार्ट पोर्टल से डिलीट हो गया।
डाक्टर साहब को कोतवाली में तहरीर देने के लिए बोला हूँ। वो सुन नहीं रहे इसलिए पाँच दिन से झेल रहे हैं। भगवान डॉक्टर को बुद्धि दे!
गोलेश स्वामी- गाजीपुर ही क्यों जिलों, तहसीलों में स्थिति बहुत खराब है। जबर्दस्त ब्लैकमेलर पत्रकार हैं। मेरे पास तो बहुत शिकायत आती हैं। शांतिप्रिय व्यक्ति इनके शिकार होते हैं। मास्टर साहब ने बहुत सही किया। मैं भी इसी तरह एफआईआर और लीगल नोटिस की सलाह देता हूं।
औरंगज़ेब आज़मी- डॉक्टर खुद ही लुटेरे हैं इस लिए फट रही
यशवंत सिंह- सरकारी डाक्टर क्या लूट कर लेगा भाई… इसके सस्पेंड हो जाने से रोज़ाना जो सस्ते चार पाँच कूल्हे के ऑपरेशन जिला अस्पताल में होते थे, वो भी होने बंद हो गए हैं… प्राइवेट डाक्टरों और नर्सिंग होमों की चाँदी हो गई है…
अजित कुमार पांडेय- बहुत जबरदस्त!डॉक्टर को आपके सुझाव मानने के साथ ही दूसरे पीड़ित को भी सलाह देने चाहिए,मास्टर जी के लीगल नोटिस से बहुतों को मिलेगा बल।दंभी पत्रकारिता और खबरों का संचालन होगा बंद।
Dr ajay dhoundiyal- इनकी जड़ भी दिल्ली से जमी। अब हर प्रदेश में शाखाएं फैल गईं यशवंत भाई। आप दिल्ली की जड़ें भी जानते हैं।
अखिल कुमार शुक्ला- क्या मैं इनकी कुछ मदद कर सकता हूँ भैया ? पुलिस के पास तहरीर नहीं देना चाहते हैं तो डायरेक्ट कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है।
गणेश झा- भाई यशवंतजी, हर जगह यही हाल है। मैं बिहार के इस ग्रामीण इलाके में भी यही सब देख रहा हूं। पूरी तहसील, आसपास की तहसीलों और पूरे मुंगेर जिले में यही हो रहा है। खासकर कुकुरमुत्तों की तरह पैदा हो गए यू-ट्यूबरों ने तो पत्रकारिता को बिल्कुल नर्क बनाकर रख दिया है। कुकर्म वे करते हैं और आत्मग्लानी हमें होती है। मारे शर्म के सिर झुक जाता है।
सत्येंद्र पी एस- मैंने तो अपने परिचित एक डॉक्टर को सलाह दी थी कि गार्डों से बंदूक तनवा दीजिए, 10-20 झापड़ भी लगवा दीजिए। उन्होंने फार्मूला अपनाया, तब जाकर मुक्ति मिली।
मदन सिंह कुशवाहा- यह डॉक्टर आपरेशन का 7000 रुपया लेकर आपरेशन करता है जिसकी शिकायत प्रिन्सिपल से करने पर मरीज को ऑपरेशन थियेटर से यह कहकर भगा देता है कि जिसके पास जाना हो जाओ देखते है क्या उखाड़ लेते हो डॉक्टर को भगवान कहा जाता है ज़ह भगवान ऐसे हो जायेगे तो देश का क्या होगा
यशवंत सिंह- सात हज़ार रुपया माँगने वाला वार्डबॉय बर्खास्त हो चुका है। वैसे वो बर्ख़ास्तगी भी ग़लत बताई जा रही है। जो सामान अस्पताल में उपलब्ध नहीं, उसका खर्च लिया जाता है, ऐसा मुझे बताया गया। डाक्टर के पैसे माँगने का ऑडियो वीडियो है तो जारी करें। उसे छुपा कर ब्लैकमेल ब्लैकमेल का खेल क्यों खेला जा रहा है। अगर कोई प्रमाण नहीं है तो बेवजह प्रताड़ित क्यों किया जा रहा डॉक्टर। ये भी पता चला है कि गुड्डू सिंह कुशवाहा द्वारा अस्पताल में बिना भर्ती किए ही मरीज़ का ऑपरेशन करने का दबाव बनाया जा रहा था। ऑपरेशन थियेटर में घुस कर डॉक्टर को धमकाना तो सरासर गुंडई है। डॉक्टर सीधा है जो उसने अभी तक पुलिस में कंप्लेन नहीं दिया वरना सेम डे जेल होती ओटी में घुसकर धमकाने पर।
निशीथ जोशी- पत्रकारिता में घुस आई काली भेड़ों की सफाई अभियान में हम साथ खड़े हैं लेकिन मारीच और कालनेमी जैसों से सावधान वे ईमानदार लोगों के खिलाफ किसी बहुरूपिया को खड़ा कर आपका और आपके मंच का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको थोड़ी बहुत शोहरत जरूर मिल सकती है लेकिन विश्वसनीयता खंडित हो जाएगी । जो किसी भी असली पूंजी होती है। पहले ठोक बजा कर देख लें पूरी तरह जांच कर लें कि जो कुछ भी किसी के लिए भी लिखा जा रहा है वह ध्रुव तारा की तरह अटल सत्य है और फिर सामने लाएं। एक ऐसा आंदोलन खड़ा हो जायेगा जो पत्रकारिता, समाज, देश की राजनीतिक, सामाजिक हालातों में बहुत ही क्रांतिकारी परिवर्तन का कारक बन सकता है। हमारी बधाई और शुभकामनाएं साथ हैं
उमेश श्रीवास्तव- डॉक्टर साहब एक नेक इंसान हैं… 3 साल पूर्व मैंने अपने पिताजी को लेकर कूल्हे के ट्रांसप्लांट में लाखों रुपए खर्च कर चुका था गैलेसकी हॉस्पिटल्स वाराणसी में इसके अलावा कोई हॉस्पिटल ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं था उम्र करीब88 वर्ष थी 84 दिन गैलेक्सी हॉस्पिटल मे रहना पड़ा 3 साल बीतने के बाद पुनः 10 मार्च 2022 को दूसरा कुल्हा भी टूट गया मैं उस समय हरिद्वार में था आप ही के साथ गाजीपुर में आया एक्स एक्स रे कराया पता चला गाजीपुर के डॉक्टरों को दिखाया उम्र के हिसाब से कोई डॉक्टर ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं हुआ हमारे मित्र साकेत सिंह ने डॉक्टर से बात किया उन्होंने टेस्ट टेस्ट रिपोर्ट देखने के बाद का ऑपरेशन हो जाएगा घबराने की बात कोई नहीं है 20 से ₹25000 लगेंगे, मैंने यहां भी कई डॉक्टरों से बात किया कोई भी 80 पचासी से नीचे बात नहीं कर रहा था और ऑपरेशन की कोई गारंटी नहीं ले रहा था ऐसे में एक हफ्ते में भी ऑपरेशन करके छोड़ दिया और आज पिताजी अपना नित्य क्रिया स्वयं कर लेते हैं उम्र करीब करीब 93 वर्ष हो गई है, उस समय डॉक्टर साहब की डिस्टिक हॉस्पिटल में पोस्टिंग नहीं थी, ऐसे डॉक्टरों का गाजीपुर डिस्ट्रिक्ट में रहना वाकई आम लोगों के लिए लाभप्रद है कभी-कभी डॉक्टर साहब गुस्सा जाते हैं लेकिन वह मरीज के हित में ही मेरे पिताजी से भी एक बार गुस्सा गए थे कहे मैं ऑपरेशन नहीं करूंगा आप चले जाइए नहीं तो मेरी बात माननी पड़ेगी मैं भी डर गया लेकिन बाद में लगा कि वह मेरे हित के लिए ही बोले
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