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सुख-दुख

गोलकुंडा के लाइट एन्ड साउंड शो वाली ये ग़ज़ल किसी एलबम में नहीं है!

मनीष सिंह-

एक गुलशन था जलवा नुमा इस जगह
रंगों बू इसकी दुनिया में मशहूर थी ..

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भागमती का शहर है भाग्यनगर, जिसे आप हैदराबाद कहते है। वो शहर, जो आजकल भले ही ओवैसी और बीजेपी की जुगलबंदी का गवाह हो, मगर तब भागमती और कुली क़ुतुबशाह की दास्तान ए मोहब्बत की वजह से जाना जाता था।

हांजी, हिंदुस्तान में लव जिहाद के प्राचीनतम किस्सों में मोहम्मद कुली क़ुतुबशाह और भागमती की प्रेमकथा सबसे प्राचीन है। चिंचलम नाम के गांव की रहने वाली चंचल, डांसिंग, सिंगिंग, ब्यूटीफुल, कर गई चुल्ल किस्म की लड़की थी- भागमती,

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और युवा शहजादा था क़ुतुबशाह। दोनो में प्यार हो गया, रोज मिलने लगे। लेकिन बादशाह को एक गैरमुस्लिम, आम डांसिंग गर्ल से बेटे की मोहब्बत पसंद नही थी। इससे पहले कि कोई अनारकली टाइप किस्सा बनता, भागमती के भाग से छींका टूटा।

बादशाह सलामत अल्लाह को प्यारे हो गए। अब सैय्या भये बादशाह- तो डर काहे का। दोनो ब्याह हो गया। राजी खुशी रहने लगे। भागमती का नाम हुआ- बेगम हैदर महल

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और शहरे मोहब्बत जो बसा,
वो हुआ हैदराबाद..

बहरहाल, कहानी फिल्मी है। याने भागमती महज लोकवार्ता का हिस्सा है, इतिहास का नहीं। मगर राजा कुली क़ुतुबशाह, उसका कुतुबशाही वंश और गोलकुंडा का किला एक ऐतिहासिक वास्तविकता अवश्य है।

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दक्षिण भारत का ये महशूर किला, लम्बे चौड़े इलाके के बसा है। ऊंची पहाड़ी पर बारादरी है, जहां से से 20 किलोमीटर दूर तक सब साफ साफ दिखता है।

मेरी पोस्ट हिस्ट्री पर नही, इसलिए बाकी का किला खुद जाकर देखिए, इसके पहले की ये पगले वहां हर चीज का नाम अमृतकुंडा, अमृतगेट, अमृतदरी वगैरह रख के, हिस्ट्री का सत्यानाश कर दें।

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मेरी पोस्ट तो इस किले की खूबसूरती, इसके महलों की नक्काशी, बेहतरीन इंजीनियरिंग पर है, जो शाम 6 बजे शानदार रंगों रौशनी में जिंदा हो जाती है।

और एक शानदार आवाज इसकी दीवारों के बीच तैरती हुईं गूंज उठती है। हौले हौले मुझे और आपको जमीन से कुछ ऊपर उठाकर, 500 साल पहले के वक्त में ले जाती है। जेहन को सहलाते हुए कहती है

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एक गुलशन था जलवा नुमा इस जगह
रंगों बू इसकी दुनिया में मशहूर थी ..

जगजीत की आवाज है ये। औऱ भला किसकी हो सकती है। पूरे दिन इतिहास के पन्ने में गोते लगाते, ऊंची नीची पहाड़ी औऱ प्राचीरों में चढ़ते उतरते, थका शरीर तरोताजा हो गया।

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मैं आंख बंद करता हूँ, एक सिगरेट सुलगा कर भीड़ से दूर बैठ जाता हूँ। इतिहास और जगजीत, दो पैशन एक साथ। उफ्फ, जाने कितने जन्मों का संचित पुण्य एक साथ, अनचाहे ही कैश हो गया !!!

गोलकुंडा के लाइट एन्ड साउंड शो वाली गजल किसी एलबम में नही, बस वहीं पहली बार सुनी थी। यू टयूब पर उपलब्ध है, हालांकि रेकॉर्डिंग उतनी फाइन नहीं।

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तो जब कभी गोलकुंडा जायें, लाइट एन्ड साउंड शो मिस न करें। रंगों बू, इसकी दुनिया मे मशहूर है।

https://youtu.be/4vTT-EucsqA

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