Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

एनबीटी एडिटर ने अपने एक गुरु को कुछ यूँ याद किया!

सुधीर मिश्र-

इंटर्नशिप कर रहा था राष्ट्रीय सहारा में। 1994 में जनरल डेस्क प्रभारी थे प्रदीप श्रीवास्तव। एजेंसी का एक तार दिया और कहा कि अनुवाद करो और शीर्षक लगाकर मुझे दो। सादे कागजों पर हाथ से लिखने का दौर था। दो चार पन्ने लिखकर फाड़ने के बाद कॉपी बन ही गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैने उन्हें दिया, प्रदीप जी ने पढ़ा और कहा जाओ कंपोजिंग के लिए दे दो। मैं बहुत खुश हुआ कि मेरी पहली ही कॉपी बिना इंचार्ज का पेन लगे छपने जा रही है। अगले दिन खबर उसी शीर्षक के साथ वैसी ही लग गई। मैं अगले दिन आत्मविश्वास से भरा ऑफिस पहुंचा।


प्रदीप जी ने बुलाया और मेरी कॉपी को दोबारा मेरे सामने रखा और बोले _ देखो इस खबर में कितने और बेहतर शीर्षक लग सकते थे। एक दो वाक्य भी ठीक कर के दिखाए और फिर कहा, कल पहला दिन था, तुम्हारी पहली खबर थी, इसलिए जाने दिया कि तुम्हारा खुद पर भरोसा मजबूत हो। आज इसलिए बता रहा हूं ताकि ओवर कॉन्फिडेंट न हो। हमेशा ध्यान रखो कि अच्छे संपादन और शीर्षक की गुंजाइश हमेशा रहती है। इसे ध्यान रखना।

Advertisement. Scroll to continue reading.


प्रदीप जी अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन पहले दिन मुझ ट्रेनी के साथ बरता गया उनका यह मनोविज्ञान कभी नहीं भूलता। गुरुपूर्णिमा पर करियर और जिंदगी के ऐसे सभी सबक देने वाले गुरुओं का नमन। #गुरुपूर्णिमा

सुधीर मिश्र एनबीटी दिल्ली के एडिटर हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. Awnish Yadav

    July 5, 2023 at 8:15 pm

    बढ़िया सोच को सलाम।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement