Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

पत्रकारिता छोड़ कर बन गये ‘हाउस हसबैंड’!

शंभूनाथ शुक्ला-

विपिन धनकड़ अमर उजाला में अच्छे-ख़ासे क्राइम की बीट सँभाल रहे थे। यद्यपि मैंने उन्हें मेरठ में शिक्षा पर लगा दिया था। पर कुछ वर्ष पहले उन्होंने यह ग्लैमरस नौकरी छोड़ दी और हाउस हसबैंड बन गये। पत्नी दिल्ली में संस्कृत की टीचर तथा स्वयं घर सँभालने का काम स्वीकार किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सुबह पाँच बजे उठ कर चाय बनाई और आलू उबलने को चढ़ा दिए। चाय पी, फ्रेश हुए और उबले आलू छीले। पत्नी को जगाया और चाय पिलाई। गीज़र ऑन किया और इसी बीच पत्नी व बेटे के कपड़े प्रेस किए।

पत्नी नहा कर आई तब तक पराठे बना दिये। इसी बीच ऑटो वाला आ गया और पत्नी को खिलाया तथा उनके पराठे पैक कर दिये। फिर बच्चे को उठाया, नहलाया-धुलाया और उसका बैग तैयार किया। बच्चे को नाश्ता कराया स्कूटी पर बिठा कर उसको स्कूल छोड़ आए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लौट कर आये तो माता जी को देखा। वे अपनी चाय ख़ालिस दूध की बनाती हैं। उनको नाश्ता दिया तो वे अपने इस बेटे को खरी-खोटी सुनाती हैं। जाटों का छोरा देखो छोरी बन गया। किंतु इस विपिन ने इसी बीच P.hd. कर ली और एक किताब भी लिखी हाउस हसबैंड ऑन ड्यूटी।

यह किताब पुस्तकनामा गाजियाबाद से छपी है और १६८ पेज की यह किताब मात्र २९९ रुपए की है। मेरठ में मोदीपुरम तथा दौराला गाँव के बीच इकलौता का यह छोरा कमाल कर गया। विपिन धनकड़ की जय हो।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement