यादव सिंह मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर की पीआईएल में देबाशीष पांडा, प्रमुख सचिव, गृह द्वारा दायर हलफनामे से श्री यादव के खिलाफ सीबीसीआईडी जांच की सच्चाई सामने आ जाती है. नॉएडा प्राधिकरण के आर पी सिंह ने सेक्टर-39, नॉएडा में दायर एफआईआर में श्री सिंह और श्री रामेन्द्र पर 8 दिनों में 954.38 करोड़ के बांड हस्ताक्षित करने के साथ तिरुपति कंस्ट्रक्शन और जेएसपी कंस्ट्रक्शन द्वारा 08 दिसंबर 2011 को भूमिगत 33/11 केवी केबल का 92.06 करोड़ का काम ठेका मिलने के पहले ही 60 फीसदी काम पूरा कर लेने में मिलीभगत का आरोपी बताया था.
इसके लिए गुणवत्ता जांचने वाली कंपनी राइट्स की 01 जून 2012 की रिपोर्ट के साथ इन गड्ढों को भरने के तीन अनुबंधों के पेमेंट 08 दिसंबर 2011 से पूर्व हो जाने और अख़बारों में छपी तमाम खबरों को साक्ष्य के रूप में बताया गया था. पर अब श्री पांडा ने हलफनामे पर कहा है कि यह सब आरोप गलत थे और इनके कोई साक्ष्य नहीं पाए गए. हलफनामे में उलटे राइट्स को ही दोषी ठहराते हुए सीबीसीआईडी जांच को पूरी तरह सही करार दिया गया है. हलफनामे से ज्ञात हुआ है कि वही आर पी सिंह, जिन्होंने यह मुक़दमा लिखवाया था, अदालत के सामने पलट गए और उनके अनुरोध पर स्पेशल जज, गौतम बुद्ध नगर ने 27 नवम्बर 2014 को सीबीसीआईडी रिपोर्ट स्वीकार कर ली.
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