आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने के लिए पीआईएल दाखिल

PIL to declare Hindus as Minority in Eight States

PRAYER

Keeping in view the above stated facts and circumstances and great goals of the Preamble, it is the most respectfully prayed that this Hon’ble Court may be pleased to issue a writ order or direction or a writ in nature of mandamus to:

यादव सिंह पीआईएल आदेश : आईटी छापा ‘मेकॉन-यादवसिंह’ ग्रुप पर था – हाईकोर्ट

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में चीफ जस्टिस डॉ डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस एस एन शुक्ला की बेंच द्वारा एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर की यादव सिंह के खिलाफ दायर पीआईएल के पारित आदेश से स्पष्ट होता है कि यादव सिंह के घर पर 27 और 28 नवम्बर 2014 का आयकर छापा मेकॉन-यादव सिंह ग्रुप पर हो रहे ओपरेशन का हिस्सा था.

 

सलमान खान अवैध बेल के खिलाफ पीआईएल : मीडिया ने की भरपूर कवरेज, देखें किसने क्या छापा और दिखाया…

Yashwant Singh : खोजी पत्रकार दीपक शर्मा इन दिनों एक जुझारू टीम के साथ मीडिया में नया, जमीनी और बड़ा प्रयोग कर रहे हैं. बिना बड़ी पूंजी के वह मिशनरी भाव से एक छोटे से कमरे के जरिए ‘इंडिया संवाद’ नामक वेबसाइट संचालित कर रहे हैं. साथ ही यूट्यूब पर इंडिया संवाद नामक चैनल चला रहे हैं. सलमान खान को अवैध तरीके से जमानत दिए जाने के खिलाफ दायर पीआईएल को लेकर आयोजित मीडिया से बातचीत के कार्यक्रम में ‘इंडिया संवाद’ की टीम पहुंची. टीम के अगुवा वरिष्ठ पत्रकार नाजिम नकवी जी थे. उन्होंने विस्तार से बातचीत मुझसे और मेरे वकील उमेश शर्मा जी से की. नाजिम नकवी ने फौरन रिपोर्ट फाइल की और संबंधित वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करा दिया. इंडिया संवाद पर प्रकाशित खबर गूगल सर्च में टॉप पर आने लगी. आप भी पढ़िए इंडिया संवाद में क्या छपा और क्या दिखाया गया…

Journalist files PIL in apex court, challenges relief given to Salman Khan

Yashwant Singh Versus Salman Salim Khan

: सलमान खान को अवैध तरीके से जमानत दिए जाने के खिलाफ 13 मई 2015 को सुप्रीम कोर्ट में दायर PIL का संपूर्ण कंटेंट :

IN THE SUPREME COURT OF INDIA

(EXTRAORDINARY CRIMINAL WRIT JURISDICTION)

WRIT PETITION (CRIMINAL) NO. xxx 2015

In the matter of:

MEMO OF PARTIES

सलमान खान को अवैध तरीके से जमानत दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर

एडवोकेट उमेश शर्मा और पत्रकार यशवंत सिंह मीडिया को जनहित याचिका के बारे में जानकारी देते हुए.


एक बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है. सलमान खान को मिली जमानत खारिज कर उन्हें जेल भेजे जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज एक जनहित याचिका दायर की गई. यह याचिका चर्चित मीडिया पोर्टल Bhadas4Media.com के संपादक यशवंत सिंह की तरफ से अधिवक्ता उमेश शर्मा ने दाखिल की. याचिका डायरी नंबर 16176 / 2015 है. जनहित याचिका के माध्यम से इस बात को अदालत के सामने लाया गया है कि सेशन कोर्ट बॉम्बे ने इस मामले में पहले से निर्देशित कानून का पालन जानबूझ कर नहीं किया जिसकी वजह से सलमान खान को बेल आराम से मिल गयी और इससे भारत के पढ़े-लिखे लोग सन्न है. हर तरफ कोर्ट पर सवाल उठाए जाने लगे. सोशल मीडिया पर कोर्ट के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणियों की बाढ़ सी आ गई.

आज़म खान जौहर शोध संस्थान पीआईएल : यूपी सरकार से जवाब तलब

लखनऊ : अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आज़म खान द्वारा बिना किसी नियम, शर्त और प्रक्रिया के राज्य सरकार के अल्प संख्यक विभाग के मौलाना जौहर अली शोध संस्थान रामपुर की बेशकीमती भूमि और भवन को स्वयं की निजी संस्था मौलाना जौहर अली ट्रस्ट को मात्र 100 रुपये वार्षिक लीज पर दिए जाने के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर की पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से 2 सप्ताह में जवाब माँगा है.

आज़म खान जौहर शोध संस्थान मामले में हाईकोर्ट में पीआईएल

लखनऊ : सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने आज अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आज़म खान द्वारा बिना किसी नियम, शर्त और प्रक्रिया के राज्य सरकार के अल्प संख्यक विभाग के मौलाना जौहर अली शोध संस्थान रामपुर की बेशकीमती भूमि और भवन को स्वयं की निजी संस्था मौलाना जौहर अली ट्रस्ट को मात्र 100 रुपये वार्षिक लीज पर दिए जाने के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में पीआईएल दायर किया है.

पीआईएल एक्टिविस्टों की जांच कराने के अरुण जेटली के बयान की निंदा

लखनऊ : एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली द्वारा पीआईएल के विकास विरोधी होने और पीआईएल करने वालों के फंड की जांच होने सम्बन्धी बयानों की कठोर निंदा की है. 

यादव सिंह पीआईएल : हलफनामे से सीबीसीआईडी जांच की सच्चाई खुली

यादव सिंह मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर की पीआईएल में देबाशीष पांडा, प्रमुख सचिव, गृह द्वारा दायर हलफनामे से श्री यादव के खिलाफ सीबीसीआईडी जांच की सच्चाई सामने आ जाती है. नॉएडा प्राधिकरण के आर पी सिंह ने सेक्टर-39, नॉएडा में दायर एफआईआर में श्री सिंह और श्री रामेन्द्र पर 8 दिनों में 954.38 करोड़ के बांड हस्ताक्षित करने के साथ तिरुपति कंस्ट्रक्शन और जेएसपी कंस्ट्रक्शन द्वारा 08 दिसंबर 2011 को भूमिगत 33/11 केवी केबल का 92.06 करोड़ का काम ठेका मिलने के पहले ही 60 फीसदी काम पूरा कर लेने में मिलीभगत का आरोपी बताया था.

Yadav Singh PIL : Affidavit exposes CBCID enquiry truth

The affidavit filed by Principal Secretary Home Debashish Panda before Lucknow bench of Allahabad High Court in the PIL filed by social activist Dr Nutan Thakur in Yadav Singh scam, exposes the truth about CBCID enquiry against Sri Yadav. R P Singh of Noida Authority registered an FIR in Sector 39, Noida against Sri Singh and Sri Ramendra for executing bonds worth Rs. 954.38 crores in merely 8 days and for colluding with Tirupati Construction and JSP Construction, who completed 60 percent of Rs. 92.06 crore underground 33/11 KV cable work before actual execution of contract on 08 December 2011.

Yadav Singh PIL : State govt seeks more time, HC fixes 23 Feb

The UP government today sought more time to file its counter affidavit in the PIL filed by social activist Dr Nutan Thakur before Allahabad High Court in Yadav Singh case. Advocate General Vijay Bahadur Singh, personally present in the Court, requested for granting any date in first week of March which was objected by petitioner Dr Thakur as being far away. Hearing both the parties, the bench consisting of Justice S S Chauhan and Justice Rituraj Awasthi fixed 23 February as the next date of hearing.

पीएमओ ने वाड्रा पीआईएल में गहरी व्यक्तिगत रुचि ली थी

डीएलएफ-वाड्रा प्रकरण में विधिक कार्य विभाग, विधि मंत्रालय द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर को प्राप्त कराये गए नोटशीट से यह साफ़ जाहिर होता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सहित पूरी सरकार किस प्रकार इस मामले में गहरी रूचि ले रही थी. मामले में स्वयं पीएमओ ने 05 नवम्बर 2012 को विधिक कार्य विभाग को विस्तृत निर्देश भेजे थे. इसमें डॉ ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में इस प्रकरण में दायर याचिका का शुरुआती स्तर पर ही पुरजोर विरोध के निर्देश शामिल थे. तत्कालीन नए विधि मंत्री अश्विनी कुमार से व्यक्तिगत निर्देश लेने को कहा गया था.