Yashwant Singh : शाहजहांपुर के न्यू मीडिया के पत्रकार साथी जगेंद्र सिंह को जलाकर मार डालने का पाप उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार का नाश कर देगी, यह तय है. आजकल जब बड़े अखबार और न्यूज चैनल के मालिक-संपादक-रिपोर्टर लोग मंत्रियों-अफसरों के करप्शन पर कलम चलाने की जगह करप्शन में हिस्सा लेकर चुप्पी साध जाते हों तब न्यू मीडिया के साथी ही वो सच्चे पत्रकार नजर आते हैं जो अपने अपने तरीके से अपने अपने इलाके के भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करते दिखते हैं. सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर आदि से लेकर मोबाइल, ह्वाट्सएप आदि तक को समाहित किए न्यू मीडिया के सच्चे सिपाही जगेंद्र सिंह की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देना है.
जगेंद्र की तीन तस्वीरें- जीवन से मरघट तक… : इस बहादुर पत्रकार की यूपी सरकार के एक मंत्री राममूर्ति ने जघन्य तरीके से हत्या करा दी. इस कांड ने सभी सच्चे नागरिकों को झकझोर दिया. बेशर्म यूपी सीएम अखिलेश यादव अब भी चुप्पी साधे हुए हैं. हत्यारा मंत्री और हत्यारा कोतवाल खुलेआम घूम रहे हैं.
पेट्रोल डालकर जला दिए जाने से कुछ रोज पहले ही जगेंद्र को हत्या की साजिश की भनक लग गई थी.. उपर दो तस्वीरें… जलाए जाते हुए और खतरे की आहट देती उनकी फेसबुक पोस्ट
जो भी यह लिखा पढ़ रहा है, वह कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में न्यू मीडिया का जर्नलिस्ट है, सिटीजन जर्नलिस्ट है, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट है, उसे यह कसम खानी चाहिए कि वह उत्तर प्रदेश की परम भ्रष्टाचारी सरकार को शांत नहीं रहने देंगे. इस लुटेरी सरकार में उपर से लेकर नीचे तक भांति भांति किस्म के लुटेरे भ्रष्टाचारी पापी भरे पड़े अड़े हैं. इन पापियों के पाप एक एक कर सामने आ रहे हैं लेकिन अखिलेश यादव इस कदर चुप्पी साधे हैं कि जैसे उन्हें कुछ मालूम न हो. याद आ रही हैं मायावती जिन्होंने देर से ही सही, अपने भ्रष्टाचारियों को बाहर का रास्ता दिखाकर एक मिसाल कायम किया था. हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी और यूपी की जनता ने बदलाव का फैसला ले लिया था. उन दिनों भी यूपी में पत्रकार उत्पीड़न चरम पर था और मीडिया वाले गुस्से से भरे हुए थे.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में अब ज्यादा वक्त नहीं है. हम मीडिया वाले, न्यू मीडिया वाले संख्या बल के लिहाज से कहें या वोट बैंक की गणित के लिहाज से, बहुत ताकतवर समूह हैं. अब तो सिटीजन जर्नलिज्म का दौर है. हर पढ़ा लिखा शख्स जो सोशल मीडिया और न्यू मीडिया में एक्टिव है, वह पत्रकार है. जगेंद्र खुद अपनी बेबाक लेखनी के लिए फेसबुक के माध्यम का इस्तेमाल करते थे. जगेंद्र ने भ्रष्टाचारी मंत्री की पोल फेसबुक पर ही लगातार खोली जिससे मंत्री भन्नाया, तिलमिलाया हुआ था और पुलिस को पालतू बनाकर जगेंद्र को तरह तरह के केस में फंसाया. अंत में पेट्रोल छिड़क कर जलवा दिया. जगेंद्र के बयान हमारे आपके सामने हैं, जिसे आप इस लिंक पर क्लिक करके देख सुन सकते हैं: https://goo.gl/ppqUh3
जगेंद्र का यह बयान सदा हम लोगों के साथ रहेगा. इस पत्रकार साथी जगेंद्र के खून का बदला चुनावों के दौरान लिया जाना चाहिए और इस वीडियो को हर जगह दिखाया जाना चाहिए ताकि जनमत सपा प्रत्याशियों के खिलाफ तैयार हो सके. आपको करना बस एक काम है. आप चाहें जिसे भी वोट दें, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को वोट न दें. साथ ही ये गारंटी करें कि आपके जानने वालों के, आपके परिजनों के, आपके अड़ोस-पड़ोस वालों के वोट भी सपा के प्रत्याशियों को न मिले. लड़ाई लंबी है. धैर्य खोने की जरूरत नहीं है. सपा सरकार का हत्यारा मंत्री जिसके दामन पत्रकार जगेंद्र सिंह के खून से सने हैं, अब भी मौज कर रहा है. वो मंत्री बना हुआ है. वो हत्यारा कोतवाल अब भी जेल नहीं गया. गिरफ्त से बाहर है. पुलिस वाले जगेंद्र के परिजनों पर पैसे लेकर मामला रफा दफा करने का दबाव बना रहे हैं. यह सब कुछ देखकर किसी भी लोकतांत्रिक दिल दिमाग वाले शख्स का आत्मा बेचैन हो सकती है. लेकिन यूपी के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मोटी चमड़ी पर इसका कोई असर नहीं. वह सत्ता सुख में मगन हैं. वह पाप की लंका के रावण बन कर मगन दिख रहे हैं. दोस्तों, हम सभी अपनी बेचैनी को हताशा निराशा कुंठा में न बदलने दें. मौके का इंतजार करें. बदला लेने का इंतजार करें.
बदला ऐसा लें कि बरसों बरस तक याद रखें नेता-अफसर लोग. अखिलेश यादव, मुलायम यादव, शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव से लेकर सकल यादव खानदान के लोग सबक ले सकें. आखिर ये कैसा कुनबा है जिसमें एक पत्रकार को जलाकर मार डाले जाने के बाद भी चुप्पी कायम है, एकता कायम है. ये किस बात की एकता है. ये किस पक्षधरता की चुप्पी है. इस खतरनाक एकता और आतंकित करने वाले चुप्पियों का जवाब लोकतंत्र में सिर्फ जनता ही दे सकती है. वादा करिए खुद से. यूपी के आने वाले विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशियों के खिलाफ वोट डालेंगे. अगर कर सकते हों तो अपने इस वादे का सावर्जनिक मुजाहरा भी करिए.
हर जगह लिखिए और बताइए कि यूपी के पत्रकार जगेंद्र की हत्यारी सपा सरकार से बदला लेने के लिए आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को हराएंगे और सपा को छोड़कर जो भी जीत रहा हो उसे जिताएंगे. यही सच्चा बदला होगा. इसी से शहीद जगेंद्र की आत्मा को शांति मिलेगी. बाकी तो एक्शन के नाम पर जो सब नाटक नौटंकी कर्मकांड आदि लोकतंत्र के सत्ताधारी ठेकेदारों द्वारा खेले जा रहे हैं और खेल जाएंगे उसे आप भी जानते हैं हम भी समझते हैं. लेकिन एक बात हमें आपको जान लेनी चाहिए कि इन ठेकेदारों की आत्मा चुनाव में बसती है. अगर ये हार जाएं या हरा दिए जाएं तो समझिए कि आपने बदला ले लिया. तो साथियों दीजिए कुछ ऐसा नारा- ”यूपी में चाहें जिसकी भी हो सरकार, बस सपाइयों की जमानत जब्त कराओ यार.” ”शहीद पत्रकार जगेंद्र की खून का बदला हम लेंगे, सपाइयों की जमानत जब्त कराके दम लेंगे.”
भड़ास के संपादक यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से. संपर्क: [email protected]
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Sanjaya
June 11, 2015 at 8:22 pm
सोशल मीडिया और न्यू मीडिया की ताकत हर मीडिया से ज्यादा हो गई है. हरियाणा के वरिष्ठ Satish Tyagi न्यू मीडिया के बारे में कहते हैं: ”सोशल मीडिया ने भारतीय लोकतंत्र को मरने से बचा लिया है । मुख्यधारा का मीडिया तो दशकों से धन कुबेरों की रखैल बना हुआ था और आगे भी बना रहेगा । ऐसे हालात में फेसबुक वगैरा ने साधनहीन पत्रकारों को भी अपनी बात जनता के एक बड़े तबके तक पहुंचाने का मंच उपलब्ध करा दिया है। मैंने जीवन के दस साल मुख्यधारा के मीडिया में बर्बाद किये हैं ,इस लिए मैं बखूबी समझता हूँ कि सोशल मीडिया की ताकत क्या है ? यद्यपि, मैंने अभी पूरी तरह से फेसबुक के ज़रिये पत्रकारिता शुरू नहीं की है लेकिन आज भी मात्र नेट के मामूली खर्चे से ही हज़ारों लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहता हूँ और तत्काल फीडबैक भी मिल जाती है जो सफल संचार की पहली शर्त है। फेसबुक के ज़रिये जो पहचान मुझे मिली, वह सेठों के अखबारों में काम करते हुए तमाम ज़िंदगी में भी सम्भव नहीं थी। अब जल्दी ही अगले चरण की शुरुआत होगी। उम्मीद है कि आप मित्रों का पाठक के रूप में सहयोग मिलता रहेगा। भरोसा रखिये आपका भरोसा कभी नहीं टूटेगा।”