आज माननीय सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेतन आयोग को लेकर फैसला आना है। इस वेतन आयोग के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी 2014 को अपना फैसला सुनाया था और अख़बार मालिकानों से स्पष्ट कहा था कि वर्कर की राशि एक साल में 4 किश्तों में दें, लेकिन मालिकान 20 जे का बहाना बनाते रहे और आज तक कर्मचारियों को फूटी कौड़ी भी नहीं दी। तरह तरह से परेशान किया सो अलग। जिन्होंने मजीठिया की मांग की, कंपनियों ने उनका तबादला किया। निलंबन और सेवा समाप्ति का फरमान सुना दिया सो अलग। बावजूद इसके वर्कर हारे नहीं और अपनी लड़ाई लड़ते रहे। इस लड़ाई का कल अंतिम दिन होगा, जब माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा।
कल दैनिक जागरण के वर्कर्स की मीटिंग नोएडा के सेक्टर 62 स्थित डी पार्क में हुई, जिसमे सैकड़ों वर्कर शामिल हुए। यह मीटिंग सुप्रीम कोर्ट में आने वाले फैसले को लेकर एकजुटता दिखाने के मकसद से थी। मीटिंग में कोर्ट के आने वाले फैसले को लेकर बहुत सी बातें हुईं। बैठक में श्री विवेक त्यागी, श्री पवन उप्रेती, श्री के के पाठक, श्री महेश कुमार, श्री राजेश निरंजन और रतन भूषण ने आशा, आशंका और अनुभूति के आधार पर इस बारे में बात कही।
पवन जी ने कहा कि एकता हमारी ताकत है और हम कंपनियों से इसी दम पर अपना पाई पाई का हिसाब लेंगे। फैसला निश्चित रूप से हमारे पक्ष में आएगा। विवेक त्यागी का कहना साफ था कि वर्करों के बुरे दिन आज से ख़त्म, मालिकानों के बुरे दिन शुरू।हमारे हक़ को अब कोई नहीं मार सकता। चूँकि कल फैसला सुनाया जायेगा, तो उसमें वकीलों की रहने की जरूरत तो है, पर वे वहाँ कुछ बोल नहीं सकते। अगर उन्हें ऑर्डर को लेकर कुछ कहना होगा, तो उसकी प्रक्रिया अलग है और वह बाद में अपनायी जाएगी। हम किसी भी सूरत में हार नहीं सकते। उन्होंने हमारे मार्गदर्शक आदरणीय श्री के के पुरवार की बात भी दोहरायी कि वर्कर चाहकर भी मजीठिया के केस को हार नहीं सकता।
केके पाठक ने साफ कहा कि रात में कंपनी के कुछ लोगों से बात हुयी है, वे सब परेशान हैं इस बात को लेकर कि अंदर वालों को बरगलाया जा रहा है कि जागरण मजीठिया जुलाई से लागू कर रहा है। लेकिन सच यही है कि यह सब मैनेजमेंट की मीठी गोली है। इस बात से पर्दा कल के बाद उठ जायेगा कि सही में जागरण क्या करने जा रहा है। राजेश निरंजन और महेश कुमार का कहना हुआ कि अगर कंपनी सभी को मजीठिया का लाभ देती है, तो अच्छी बात है लेकिन यह जागरण की सोच के हिसाब से सही नहीं लगता। अगर कंपनी अच्छी होती तो 4 वेतन आयोग को हड़प नहीं कर जाती।
रतन भूषण का कहना हुआ कि कल का दिन अख़बार के कर्मचारियों के लिए सुनहरा दिन होगा। वर्करों की सारी समस्या कल ख़त्म हो जायेगी। मालिकानों की नींद हराम होगी साथ ही उनके प्यादों की भी, क्योंकि मालिकान फ्लॉप प्यादों को अब नहीं रखने वाले। वर्करों के पास हारने के लिए है क्या? हारना तो मालिकों को है और उनकी हार सुनिश्चित है, क्योंकि एक्ट हमारे साथ है और एक्ट हमारा संविधान है, जिससे देश चलता है।
उन्होंने आगे कहा, इस केस के कई रंग दिखे और ये रंग दिखाने वाले थे कुछ वकील जो इस केश में थे। सभी को पता है कि वर्करों के वकीलों में श्री प्रशांत भूषण, श्री कोलिन घोंसाल्विस, श्री परमानंद पांडेय, श्री आश्विन वैश्य और श्री विनोद पांडेय मुख्य थे, लेकिन इस टीम में जब तक श्री प्रशांत भूषण की एंट्री नहीं हुई थी, केस को कॉलिन साब नाव की तरह मझधार में डगमगाते रहते थे। उनका रवैया कभी चित तो कभी पट वाला होता रहता था, जिसको लेकर हमारे मन में शंकाएं आती थीं। यहाँ हमारी मज़बूरी भी थी। दरअसल कॉलिन सीनियर थे तो कोर्ट उन्हें ही सुनती थी। किसी और को सुनती ही नहीं थी। ऐसी स्थिति में इन उपरोक्त वकीलों की टीम बेकार साबित होती थी। कुछ समय कॉलिन को झेलने के बाद हमने अपने साथियों के साथ निर्णय लिया कि अब प्रशांत भूषण जी को ही लाना होगा, नहीं तो कोर्ट की सुनवाई का यह सिलसिला पता नहीं और कितने साल चलेगा। कॉलिन साहब पता नहीं इसमें और क्या क्या मुद्दे उठवायेंगे। श्री प्रशांत सर का आभार की उनके दो बार कोर्ट में जाने और अपनी बात रखने के बाद हम इस मुकाम पर आ गए। कल आर्डर आएगा।
साथियों के मन में आर्डर को लेकर क्या चल रहा है मुझे नहीं मालूम, लेकिन मैं आश्वस्त हूँ कि फैसला हमारे पक्ष में आना है। कल 20 जे का अंत होना है। टाइम बाउन्ड भी हो सकता है और पिछले आर्डर में दिए गए समय से सब में कम होगा, जैसे एक साल को 6 माह, 4 किश्त को 2 या 10 दिन के अंदर सब ख़त्म करने की बात भी हो सकती है। अंत में आगे बड़ी तरक्की है, जीत हमारी पक्की है…. जय हो
मजीठिया क्रान्तिकारी और वरिष्ठ पत्रकार रतन भूषण के फेसबुक वॉल से.