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दैनिक जागरण, बनारस में संपादक बने ‘रेड स्‍टार’

दैनिक जागरण, वाराणसी के संपादकीय विभाग के कर्मचारी परेशान हैं. संपादकीय प्रभारी की कार्यप्रणाली उन पर भारी पड़ रही है. राघवेंद्र चड्ढा एवं आशुतोष शुक्‍ला के समय में बना बेहतरीन माहौल पूरी तरह खराब हो चुका है. संपादकीय विभाग के कर्मचारियों पर मैनेजमेंट हावी है. संपादक वहीं करते हैं, जो मैनेजमेंट चाहता है. लिहाजा बिना किसी योजना के काम कर रहे कर्मचारी बुरी तरह तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं और लगातार गलतियां हो रही हैं.

दैनिक जागरण, वाराणसी के संपादकीय विभाग के कर्मचारी परेशान हैं. संपादकीय प्रभारी की कार्यप्रणाली उन पर भारी पड़ रही है. राघवेंद्र चड्ढा एवं आशुतोष शुक्‍ला के समय में बना बेहतरीन माहौल पूरी तरह खराब हो चुका है. संपादकीय विभाग के कर्मचारियों पर मैनेजमेंट हावी है. संपादक वहीं करते हैं, जो मैनेजमेंट चाहता है. लिहाजा बिना किसी योजना के काम कर रहे कर्मचारी बुरी तरह तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं और लगातार गलतियां हो रही हैं.

संपादकीय प्रभारी आलोक मिश्रा ने आशुतोष शुक्‍ला के समय बनाई गई पूरी व्‍यवस्‍था को तहस-नहस करके रख दिया है. संपादकीय के लोगों से खबरें पढ़वाने की बजाय केवल उनसे पेज बनवाए जाने का काम लिया जा रहा है. केवल चुनिंदा लोगों के पास सिटी तथा सभी एडिशनों के खबरों को पढ़ने की जिम्‍मेदारी है. सूत्रों का कहना है कि सिटी में संपादकीय के सात लोगों को केवल पेज लगवाने की जिम्‍मेदारी दी गई है. इसके चलते सब एडिटर, सीनियर सब एडिटर केवल पेजीनेटर बनकर रह गए हैं.

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खबरों को पढ़ने का बोझ गिने-चुने लोगों पर आने के चलते सिटी तथा जिलों के एडिशनों में आए दिन ग‍लतियां हो रही हैं. संपादकीय प्रभारी अच्‍छे काम करने वालों को गोल्‍ड स्‍टार भले ना देते हों, ग‍लतियां करने वालों को लगातार रेड स्‍टार दिया जा रहा है. अगर डाइरेक्‍टर वीरेंद्र कुमार ने किसी गलती के बारे में डायरी पर लिखकर पूछ भर लिया तो संपादक संबंधित कर्मचारी को रेड स्‍टार थमा देते हैं. कर्मचारी अब उन्‍हें रेड स्‍टार संपादक के नाम से ही आपस में बुलाने लगे हैं.

आशुतोष शुक्‍ला ने काम को लेकर जो माहौल बनाया था, वह अब समाप्‍त हो चुका है. किसी विशेष पर्व त्‍योहार पर खबरों को लेकर कोई योजना नहीं बनाई जाती है. जबकि आशुतोष शुक्‍ला किसी भी पर्व त्‍योहार या विशेष आयोजनों को लेकर अपनी पूरी टीम के साथ रणनीति बनाते थे और उसपर अमल भी कराते थे. अच्‍छा काम करने वालों को प्रोत्‍साहित भी करते थे, लेकिन वर्तमान संपादकीय प्रभारी ऐसा कुछ भी नहीं करते. बस रेड स्‍टार बांटने में लगातार रिकार्ड बनाते जा रहे हैं. रात दस बजते ही कार्यालय से गायब हो जाते हैं.

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संपादकीय प्रभारी की कमजोरी के चलते मैनेजमेंट के लोग संपादकीय कर्मचारियों पर हावी होते जा रहे हैं. जिससे संपादकीय विभाग में तनाव की स्थिति है. लगातार गलतियां हो रही हैं. अभी हाल ही में चंदौली एडिशन में एक बड़ी तथ्‍यात्‍मक गलती देखने को मिली. सीएम अखिलेश यादव के भाषण को डीएम का भाषण बताकर छाप दिया गया. इससे जिले में अखबार की जमकर जगहंसाई हुई. इसी तरह अखबार ने मुगलसराय में कोतवाल को लेकर हुए बवाल पर भाजपा नेता हृदय नारायण दीक्षित के राज्‍यपाल से मिलने की गलत खबर प्रकाशित कर दी. जबकि खुद श्री दीक्षित ने राज्‍यपाल से मिलने की बात से इनकार किया था.

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