लाये गये अपने कर्मनगर कोलकाता… दो हफ्ते पहले शिरडी में घातक मस्तिष्काघात झेलने के बाद जनसत्ता-कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण प्रसाद अब धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं. नासिक अपोलो अस्पताल में हालत सुधरने के बाद उन्हें दो दिन पहले भतीजे फ्लाइट से कोलकाता ले आये. अब यहां न्यूरो सर्जन और फिजियोथेरपिस्ट की मदद से उन्हें सामान्य हालत में लाने की कोशिश हो रही है. रविवार (06.11.2016) शाम कोलकाता के खिदिरपुर बाबू बाज़ार स्थित उनके घर जाने पर हालचाल जाना. उनमें हो रहा सुधार देख कर तसल्ली हुई. उठ, बैठ व चल पा रहे, सबको पहचान रहे, नित्यक्रिया में समर्थ हो गये हैं, धीमी आवाज़ में बात कर पा रहे, लेकिन रह-रह कर इष्ट-मित्रों को पास देख सुबक पड़ते हैं, जैसे उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि नियति के क्रूर वार से वह साफ बच निकले हैं.
सारा कोलकाता जानता है कि व्यावहारिक ज़िंदगी में जयनारायण प्रसाद जी कितने ज़िंदादिल, वाचाल व चपल व्यक्तित्व हैं. उन्हें देख कर पता चलता है कि कितना सिवियर था ब्रेन-हैमरेज का अटैक. तन से कुछ, पर मन से बहुत कमज़ोर हो गये हैं जयनारायण सर. हंसते-दमकते-स्वाभिमानी चेहरे की आभा कहीं दब गयी है, पर आशा ही नहीं, विश्वास है कि वह अपनी रौ में उसी दमखम के साथ फिर लौटेंगे. मंद सही, पर हो रहा सुधार उत्साहजनक है. साईंबाबा के धाम में होने के चलते वह यह अटैक झेल गये. अटैक के वक्त से ही उनके साथ रहे उनके भतीजे अंजन ने बताया – साईंबाबा की कृपा ना होती, तो बड़े पापा को बचा पाना मुश्किल था.
एक डॉक्टर ने तो उन्हें … घोषित कर दिया था, पर ऐन वक्त पर उपलब्ध संपर्क व पुर्जे इस तरह जुड़े कि उपचार ने आपातकालिक गति पकड़ी और वह सुधरने लगे. फिर दूर से ब्रेन-हैमरेज के विशेषज्ञ डॉक्टर ने अस्पताल के डॉक्टर को खास तरीका बताया, जिसे मरीज पर आजमा कर पता लगाया गया कि वह बस अचेत हुए हैं, उनमें चेतनता लायी जा सकती है. बस यहीं से उपचार ने सकारात्मक मोड़ लिया और वह स्वास्थ्य-लाभ की डगर पर चल पड़े. परमपिता जयनारायण प्रसाद को यथाशीघ्र स्वस्थ करने की हम सब की प्रार्थना स्वीकार करें.बीमार जयनारायण प्रसाद के भतीजे अंजन रॉय का नंबर है : 08420890305
कोलाकात के पत्रकार रमेश द्विवेदी की रिपोर्ट. संपर्क : 9681846550
Comments on “ब्रेन-हैमरेज के अटैक से उबर रहे वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण प्रसाद”
Simply I am so shocked to news about Guriji Jainarayan after such a long time.Only Jainarayanji used to call me time to time after I retired.He is crazy about films and I thought he might be busy these days as he worked in Gautam Ghosh film SHANKHOCHIL!
We have been working since 1991 until I retired.
Bhadas is doing the excellent job to conenect us