कोबरा पोस्ट का ‘ऑपरेशन व्हाईट कोट’ : इलाज के दौरान मरीज भले मर जाए, रेफर करने वाले का कमीशन नहीं मरेगा!

गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज अपनी जिंदगी बचाने के लिए बड़े और नामी अस्पतालों का रुख करते हैं या फिर कहे उन्हे छोटे अस्पताल से बड़े सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है। लेकिन इन बड़े अस्पतालों में मरीजों को सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने का जरिया समझा जाता है। रेफर करने वाले छोटे अस्पतालों और डाक्टरों को कमीशन देकर ये बड़े अस्पताल मरीजों को अपने यहां रेफर कराते हैं और फिर इलाज, सर्जरी और ऑर्गन ट्रांसप्लांट के नाम पर उनसे भारी-भरकम कमाई करते हैं।

सिजेरियन का सच

Ila Joshi : जब तक सिजेरियन तरीके से प्रसव कराने की तकनीक हमारे देश में नहीं थी, या कहना चाहिए कि जब तक ये तरीका बेहद आम नहीं बना था तब तक नॉर्मल डिलीवरी को लेकर जितनी आशंकाएं डॉक्टर आज आपको गिनाते हैं ये लगभग नामौजूद ही थीं। सिजेरियन डिलीवरी से जुड़ी डिलीवरी के बाद की कॉम्प्लिकेशन के बारे में अगर आप अंजान हैं तो ज़रूर पढ़ लें क्योंकि ये फेहरिस्त बेहद लम्बी है।

किंगजार्ज मेडिकल कॉलेज के भ्रष्टाचारी कुलपति डा. रविकांत को हटना पड़ा

किंगजार्ज मेडिकल कॉलेज के निवर्तमान कुलपति डा0 रविकांत के खिलाफ चल रही मेरी भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में आखिरकार मुझे विजय प्राप्त हुई। राजनैतिक शक्तियों से समृद्ध कुलपति डा0 रविकांत ने सत्ता संरक्षण में केजीएमसी को जिस तरह से लूट का अड्डा बना दिया था, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। मरीजों की कैंटीन से लेकर दवाओं की खरीदी और उपकरणों व बेड की खरीदी से लेकर, कंप्यूटर खरीद और भर्तियों में जिस तरह से मनमानी व भ्रष्टाचार किया गया, वह डरावना है।

काक्रोच क्लब आफ इंडिया में तब्दील हो गया पीसीआई! (देखें वीडियो)

प्रेस क्लब आफ इंडिया को अगर काक्रोच क्लब आफ इंडिया भी कह लें तो कोई बुरा न मानेगा क्योंकि एक तो वैसे ही होली नजदीक है और दूजे प्रेस क्लब की टेबल पर सरेआम काक्रोच घूमते टहलते और आपके खाने में मुंह मारते मिल जाएंगे. सबकी दुर्व्यवस्था की खोज खबर रखने वाले पत्रकारों के अपने ही क्लब का क्या हाल है, इसे देखने लिखने वाला कोई नहीं.

बस्तर की बूटी से जर्मन कंपनी बनाएगी अल्जाइमर की दवा

बस्तर की रहस्यमयी बूटी से जर्मनी की कंपनी ऐसी दवा बनाएगी जिसे खाने के बाद आपका दिमाग आइंस्टाइन जैसा हो जाएगा। यानि, इसके बाद आप कभी कुछ भी जरूरी जानकारी नहीं भूलेंगे। हम जिन बूटियों की बात कर रहे हैं, इसका उपयोग लाइलाज बीमारी अल्जाइमर की दवा बनाने के लिए किया जाएगा। यह ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान उम्र बढऩे के साथ याददाश्त खोने लगता है। जर्मनी के वैज्ञानिकों को इस बीमारी के निरोधक तत्व की खोज जिन जड़ी-बूटियों में की वह उन्हें बस्तर में मिली है।

ब्रेन-हैमरेज के अटैक से उबर रहे वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण प्रसाद

लाये गये अपने कर्मनगर कोलकाता…  दो हफ्ते पहले शिरडी में घातक मस्तिष्काघात झेलने के बाद जनसत्ता-कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण प्रसाद अब धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं. नासिक अपोलो अस्पताल में हालत सुधरने के बाद उन्हें दो दिन पहले भतीजे फ्लाइट से कोलकाता ले आये. अब यहां न्यूरो सर्जन और फिजियोथेरपिस्ट की मदद से उन्हें सामान्य हालत में लाने की कोशिश हो रही है. रविवार (06.11.2016) शाम कोलकाता के खिदिरपुर बाबू बाज़ार स्थित उनके घर जाने पर हालचाल जाना. उनमें हो रहा सुधार देख कर तसल्ली हुई. उठ, बैठ व चल पा रहे, सबको पहचान रहे, नित्यक्रिया में समर्थ हो गये हैं, धीमी आवाज़ में बात कर पा रहे, लेकिन रह-रह कर इष्ट-मित्रों को पास देख सुबक पड़ते हैं, जैसे उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि नियति के क्रूर वार से वह साफ बच निकले हैं.

कैंसर की नई दवा के परीक्षण में जुटे गाजीपुर के डाक्टर एमडी सिंह का कवि रूप (देखें वीडियो इंटरव्यू)

Yashwant Singh : गाज़ीपुर जिले के मशहूर चिकित्सक डॉक्टर मुनि देवेंद्र सिंह उर्फ एमडी सिंह के कवि रूप को उनके ही जिले के बहुत कम लोग जानते होंगे। इस बार गाज़ीपुर प्रवास की उपलब्धि रहे DR. MD SINGH जी. आधे घंटे तक उनसे विस्तार से बातचीत हुई और पूरी बातचीत को मोबाइल में रिकार्ड किया. इस इंटरव्यू में एक डॉक्टर को कैसा होना चाहिए और संवेदनशीलता किस तरह शब्दों में ढलकर व्यक्ति को कवि बना देती है, इसके बारे में बताया डाक्टर एमडी सिंह ने.

यूपी में जंगलराज : जेल के चिकित्साधिकारी को क्यों है मौत का अंदेशा, पढ़िए पूरा पत्र

सेवा में
महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
महानिदेशालय स्वास्थ्य भवन लखनऊ उ.प्र.
विषय – हत्या से पूर्व का बयान
महोदय

सविनय निवेदन है कि मैं जिला कारागार फिरोजाबाद में चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात हूँ। मैं डायबिटीज का मरीज़ हूँ और सुबह-शाम इन्सुलिन लेता हूँ। जनवरी 2016 में जब मैं नवीन प्रा. स्वास्थ्य केंद्र इटौली पर तैनात था, तब मुझे पैनिक एंग्जायटी की समस्या हो गई थी। ढाई महीने तक नियमित दवा लेने और 21 फरवरी से 22 मार्च तक स्वास्थ्य लाभ हेतु अर्जित अवकाश लेने के बाद में पूरी तरह ठीक हो गया।

अपने बीमार पत्रकार को नौकरी से निकालने की तैयारी में दैनिक जागरण!

बामारी से जूझ रहे पत्रकार राकेश पठानिया

गेट वैल सून या गेट ऑऊट सून? : खुद को देश का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला हिंदी अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण के प्रबंधन की संवेदनहीनता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ओर उनके सबसे पुराने पत्रकारों में से एक और प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा (जहां जागरण का प्रिंटिंग यूनिट और हिमाचल संस्करण का मुख्य कार्यालय भी मौजूद है) के ब्यूरो प्रभारी गंभीर बीमारी से लड़ रहे हैं, वहीं प्रबधन ने उनको चलता करने के पैंतरे आजमाने शुरू कर दिए हैं। प्रबंधन उनको गेट वेल सून कहने की जगह गेट आऊट सून की तैयारियों में जुट गया है।

कोई पुरुष दिनभर में 5 बार से ज्यादा चाय पीता है तो उसे प्रोस्टेट कैंसर होने की आशंका!

Aaku Srivastava : कई लोग चाय को अपना लाइफ मान लेते हैं। उसके बिना वह अपने बेड से एक कदम बाहर नहीं रखते है। यहां तक कि अपनी आंखे भी नहीं खोलते हैं। इसका नाम सुनते ही हमारी आधी नींद खुल जाती है। सुबह-सुबह एक कप चाय मिल जाएं तो आपका पूरा दिन बन जाता है। दिन भर की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमें स्फूर्ति मिल जाती हैं। लेकिन शायद आपको यह बात नहीं पता है कि सुबह-सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से आपके शरीर के लिए कितना नुकसान दायक हैं। जानिए इसका सेवन करने से आपको क्या नुकसान हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अनूप भटनागर की किडनी ट्रांसप्लांट, एम्स में अब भी चल रहा इलाज

कई अखबारों में वरिष्ठ पद पर काम कर चुके दिल्ली के पत्रकार अनूप भटनागर की किडनी पिछले दिनों सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट कर दी गई. एम्स में भर्ती अनूप भटनागर हाल फिलहाल पीटीआई से जुड़े रहे. उनके इलाज में लगभग दस बारह लाख रुपये खर्च आए. पीटीआई भाषा के साथियों ने चंदा करके तीन चार लाख रुपये अनूप को दिए. प्रेस क्लब आफ इंडिया की तरफ से भी पच्चीस तीस हजार रुपये दिए गए. अनूप भटनागर अब भी एम्स में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है. 

Medanta- The Medicity or The Murdercity!

Today i would lyk to post on behalf of my DAD Jagjit Sandhu (who is no more with us) the reality of the so called Asia’s number 1 hospital Medanta- The Medicity, or The Murdercity. This post won’t bring my dad back, bt a lil relief to his soul. As a loving daughter it’s really hard to dictate what our family went through.

Interesting fact to prevent Dengue by using simple tips

: Dengue cases increasing day by day in Delhi : With alarming number reported in the month of August itself Dengue today is posing a huge threat. We all are aware that Dengue is caused by mosquitoes; we can surely take some corrective measures to stop them from breeding and safeguard our self. Also there are lot of repellents like coil, gel, cream, etc available in the market which we use regularly but its excess use can be harmful for us, especially for our children. Lets understand what makes an repellent and how we can avoid excess use of them….

कंपनियों के हवाले बीमार स्वास्थ्य सेवा : 86 फीसदी ग्रामीण और 82 फीसदी शहरी आबादी के पास इलाज का कोई इंतजाम नहीं

सस्ती दवाएँ बनने के बाद भारत को ‘गरीब देशों की दवा की दुकान’ कहा जाने लगा क्योंकि यहाँ से एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिकी देशों में सस्ती दवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। सबसे बड़ी त्रासदी है कि देश का 60 फीसदी तबका दवाओं से वंचित है। बदले हालातों में भारतीय कम्पनियाँ दवाओं के निर्माण की बजाय सिर्फ व्यापार में लिप्त हैं जिससे चीन का दवा बाजार पर कब्जा बढ़ा है। हाल में आयी एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक गाँवों की 86 फीसदी तथा 82 फीसदी शहरी आबादी के पास इलाज का कोई इन्तज़ाम नहीं होता है। इनके लिए न तो सरकारी योजना है और न ही कोई निजी स्वास्थ्य बीमा। पूरा जीवन भगवान भरोसे गुजरता है।

योग का नया तरीका “एरियल योग”

योगपैथी, योग मेडिटेशन “द योग चक्र’ सेंटर दिल्ली में पहली बार योग की नई तकनीक ‘एरियल योग हैं, जो स्वास्थ्य के साथ-साथ शरीर को सुंदरता भी प्रदान करती है। योग गुरु कविता और मनीषा ने कहा की हाल ही में प्रदर्शित हुई हिन्दी फिल्म ‘हैपी न्यू ईयर’ में दीपिका पादुकोण ने लवली गीत में एरियल योग का ही प्रदर्शन किया था। इससे शरीर में लचकता के साथ-साथ कई बीमारियों से छुटकारा भी मिलेगा। 

नई तकनीक से घुटने-कूल्हे के ट्रांसप्लांट की उम्र तीन गुना तक बढ़ाना संभव

घुटने और कूल्हे के ट्रांसप्लांट की एक नयी तकनीक आई है, जिसकी मदद से लगाये गए ट्रांसप्लांट की उम्र तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है. इस नयी टेक्नोलॉजी की जानकारी आर्थोपेडिक एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डा. रमणीक महाजन ने दी. डॉक्टर महाजन ने ये जानकारी नवीं एशिया पैसिफिक हिप और घुटना  संगोष्ठी “द ग्रेट एक्सपेक्टेशन २०१५” के दौरान दी. संगोष्टी के दौरान डॉक्टर महाजन ने लगभग ३०० डॉक्टरों को सम्बोधित करते हुए इस नयी तकनीक के बारे में विस्तार से बताया।

7 स्टार हास्पिटल Medanta Medicity में बहुत ही घटिया एकदम third class खाना मिलता है!

Ajit Singh :  अभी outlook पत्रिका के आखिरी पन्ने पे किन्ही भाईचंद पटेल साहब का संस्मरण पढ़ा जो उन्होंने Medanta Medicity में अपने knee replacement के बारे में लिखा है। देश का सबसे महंगा 7 star हॉस्पिटल है भाया। अच्छा होना ही चाहिए। पर उसके भोजन की बड़ी आलोचना की है उन्होंने। बहुत ही घटिया एकदम third class बताते हैं। लेख पढ़ते मुझे दिल्ली के सफदरजंग hospital का अपना अनुभव याद आ गया। मुझे लगा की उसे आपके साथ शेयर करना चाहिए। सफ़दर जंग हॉस्पिटल में ही है Sports injury centre, दिल्ली सरकार का उपक्रम जिसकी स्थापना दिल्ली के common wealth games के दौरान हुई।

अफॉर्डेबल कीमत पर दो-तीन महीनों में मिलेगी हेपेटाइटिस सी की नई दवा सॉवैल्डी!

(स्वामी मुकेश यादव)


Mukesh Yadav : सॉवैल्डी (Sovaldi) यानी Sofosbuvir (केमिकल नाम) को क्रोनिक हेपेटाइटिस सी (एचसीवी) के उपचार में चमत्कारिक दवा बताया जा रहा है। अमेरिका की दवा निर्माता कंपनी जिलैड साइंसेज ने यह दवा तैयार की है। इस दवा से एचसीवी (जेनोटाइप 1, 2, 3 और 4) पूरी तरह क्योरेबल बताया जा रहा है। एचसीवी का यह पहला, ऑरल ट्रीटमेंट रेजीम (सिर्फ खाने की दावा से इलाज) है; इंजेक्शन की ज़रूरत नहीं होगी! इसके तहत अमूमन रोगी को 12 सप्ताह (उपचार की अवधि इन्फेक्शन की इंटेंसिटी पर निर्भर करती है) तक बस एक टेबलेट रोज खानी होती है। अमेरिका में यह दवा पिछले साल ही बाजार में उपलब्ध हो गई थी। हालांकि दवा की कीमत वहां आश्चर्य जनक रूप से महंगी है। सॉवैल्डी की सिर्फ एक गोली $1000 यानी करीब 62 हजार की है! 12 सप्ताह का कोर्स $84000 है!

मुंह में रखा गुटखा, तंबाकू कहां गायब हो जाता है?

मैं ऐसे बहुत से लोगों से मिलता हूं जिन्हें लगता है कि अगर वे धूम्रपान नहीं कर रहे हैं, बीड़ी-सिगरेट को छू नहीं रहे हैं तो एक पुण्य का काम कर रहे हैं…फिर वे उसी वक्त यह कह देते हैं कि बस थोड़ा गुटखा, तंबाकू-चूना मुंह में रख लेते हैं…और उसे भी थूक देते हैं, अंदर नहीं लेते। यही सब से बड़ी भ्रांति है तंबाकू-गुटखा चबाने वालों में.. लेकिन वास्तविकता यह है कि तंबाकू किसी भी रूप में कहर तो बरपाएगा ही। जो तंबाकू-गुटखा लोग मुंह में होठों या गाल के अंदर दबा कर रख लेते हैं और धीरे धीरे चूसते रहते हैं, इस माध्यम से भी तंबाकू में मौजूद निकोटीन एवं अन्य हानिकारक तत्व मुंह की झिल्ली के रास्ते (through oral mucous membrane)शरीर में निरंतर प्रवेश करते ही रहते हैं।