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उसके बाद संजय गुप्ता बेईमानी पर उतर आया….

गुजरात के अहमदाबाद से अप्रैल 2013 में शुरू हुआ हिंदी न्यूज़ चैनल ‘जानो दुनिया’ आखिरकार बंद हो गया। करीब 250 लोगों की जिंदगी लगभग बर्बाद कर गया। इस चैनल के मालिक और गुजरात सरकार में आईएएस रह चुके संजय गुप्ता एशो आराम की जिंदगी बिता रहे हैं। चैनल बहुत ही शोर शराबे के साथ शुरू हुआ लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, संजय गुप्ता के इरादे सबके सामने आने लगे। शुरुआत के दो तीन महीने तक तो सबको हर महीने वेतन दिया गया। उसके बाद संजय गुप्ता बेईमानी पर उतर आया।

<p>गुजरात के अहमदाबाद से अप्रैल 2013 में शुरू हुआ हिंदी न्यूज़ चैनल 'जानो दुनिया' आखिरकार बंद हो गया। करीब 250 लोगों की जिंदगी लगभग बर्बाद कर गया। इस चैनल के मालिक और गुजरात सरकार में आईएएस रह चुके संजय गुप्ता एशो आराम की जिंदगी बिता रहे हैं। चैनल बहुत ही शोर शराबे के साथ शुरू हुआ लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, संजय गुप्ता के इरादे सबके सामने आने लगे। शुरुआत के दो तीन महीने तक तो सबको हर महीने वेतन दिया गया। उसके बाद संजय गुप्ता बेईमानी पर उतर आया।</p>

गुजरात के अहमदाबाद से अप्रैल 2013 में शुरू हुआ हिंदी न्यूज़ चैनल ‘जानो दुनिया’ आखिरकार बंद हो गया। करीब 250 लोगों की जिंदगी लगभग बर्बाद कर गया। इस चैनल के मालिक और गुजरात सरकार में आईएएस रह चुके संजय गुप्ता एशो आराम की जिंदगी बिता रहे हैं। चैनल बहुत ही शोर शराबे के साथ शुरू हुआ लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, संजय गुप्ता के इरादे सबके सामने आने लगे। शुरुआत के दो तीन महीने तक तो सबको हर महीने वेतन दिया गया। उसके बाद संजय गुप्ता बेईमानी पर उतर आया।

चैनल में काम कर रहे लोगों से कहा गया कि बिज़नेस नहीं आ रहा है, इसलिए वेतन मिलने में देरी हो जाएगी। बेचारे पत्रकार, खबरे लाते रहे, दिखाते रहे लेकिन संजय गुप्ता न्यूज़ चैनल को भी अपने होटल के व्यापार की तरह देख रहे थे। उन्हें सिर्फ मुनाफा चाहिए था। समझदर पत्रकारों ने चार से पांच महीने में ही संजय गुप्ता और उनके चैनल से किनारा कर लिया। लेकिन कुछ पत्रकार साथी सब कुछ सही होने की उम्मीद में वहां टिके रहे।

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धीरे धीरे चैनल प्रबंधन और भी घटिया तरीके पर उतर आया। पत्रकारों को दो से तीन महीने का वेतन नहीं दिया गया। पैसे मांगने पर त्यागपत्र मांग लिया जाता।  आखिर में तीस लोग मिल कर चैनल चलते रहे। आखिरी दो महीनो में चैनल की लाइट भी काट दी गई क्योंकि हजारों करोड़ की संपत्ति का मालिक संजय गुप्ता बिजली बिल भी नहीं चुकाना चाहता था। चैनल की इस मनमानी से परेशान होकर जब बचे हुए कर्मचारियों ने पैसे मांगे तो संजय गुप्ता ने कर्मचारियों को बहार निकलवाकर तालाबंदी कर दी। संजय गुप्ता सभी  कर्मचारियों का तीन से चार महीने का वेतन हजम कर गया। इतना ही नहीं, बिना कुछ नोटिस दिए चैनल बंद कर दिया। एक तो चार महीने की पगार पहले से ही संजय गुप्ता दबा के बैठा था, ऊपर से बेरोजगारी।

आज आलम ये है कि एक महीने में पंद्रह मीडिया दफ्तरों के चक्कर काट आया हूं लेकिन कहीं भी नौकरी नहीं मिली। उल्टा ‘जानो दुनिया’ के नाम से उंचे पदों पर बैठे लोग व्यंग्य करते। जानो दुनिया ने पत्रकारों से पैसा और रोजगार तो छीन ही लिया, कितने ही परिवारों में कलह तक करा दिया। मेरे एक मित्र का रिश्ता तक टूट गया क्योंकि बेरोजगार पत्रकार को कौन लड़की देगा। इस सबके बावजूद भी संजय गुप्ता खुलेआम पूरे देश में अपना कारोबार चला रहा है। मानसिक तौर पर हम जो दंश झेल रहे है उसका हर्जाना कौन देगा। सरकार कब तक ऐसे लोगो को चैनल चलाने के लायसेंस देती रहेगी। फिलहाल तो यही कहूंगा कि हे मोदी जी, आपके गुजरात में आकर बहुत दुख पाया।

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अहमदाबाद से पत्रकार सीजे की रिपोर्ट.

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