Yashwant Singh : यूपी में क्या हो रहा है भाई. लगता है योगी बाबा पूरी मीडिया को ही जेल में डाल देंगे… ये तो वाकई आपातकाल का बाप है… जो कोई आपके बारे में लिखे, बोले, उसे पकड़ कर जेल में डाल दो.. हद है… इशिका सिंह और अनुज शुक्ला नामक दो पत्रकार भी गिरफ्तार…
इससे पहले, एक ट्वीट पर योगी जी की पुलिस ने पत्रकार प्रशांत को अरेस्ट कर लिया। पहले वाले राम राज में एक तो मीडिया का कॉन्सेप्ट नहीं था, दूसरे प्रजा चुप्प रहती थी। कलयुगी रामराज में भी लगता है ऐसा ही होकर रहेगा। मीडिया खत्म कर दिया जाएगा। बाकी, जो बोलेगा, हंसेगा, वो फंसेगा। इसलिए योगी राज में हंसना लिखना बोलना स्थगित करिए!
Mahendra Singh : एक राम राज्य वह था कि धोबी के व्यंग्य करने पर सीता को वनवास भेज दिया. दूसरा रामराज्य यह है कि व्यंग्य करने वाले धोबी को ही वन यानी जेल भेज दिया। अब भक्तगण बताएं कि यह कैसा रामराज्य है?
Wasim Akram Tyagi : जब योगी पर टिप्पणी करने के ‘जुर्म’ में Zakir Ali Tyagi जेल गए तो जेल से बाहर आने पर Prashant Kanojia ने ज़ाकिर का इंटरव्यू किया, तब उन्होंने सोचा भी नही होगा कि एक रोज़ वह खुद भाजपा सरकार में असहमती के लिए कोई जगह नही होती। बीते रोज़ योगी पर टिप्पणी करने के ‘जुर्म’ में प्रशांत कन्नौजिया को लखनऊ पुलिस दिल्ली से गिरफ्तार करके ले गई। यह दर्शा रहा है कि योगी आदित्यनाथ किसी राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि कोई ‘अवतार’ हैं जो आलोचना से परे हैं। लेकिन सवाल है कि जब आलोचना से इतना ही डर लगता है राजनीति में आए सिर्फ मठ ही चलाते रहते? लोकतंत्र में सहमती/सहमती की बराबर गुंजाईश है, जब असहमत होने पर लोगों को जेल में डाला जाने लगे तो उसे लोकतंत्र का नाम देने का कष्ट न करें उसे राजशाही ही कहें।
भड़ास संपादक यशवंत सिंह, महेंद्र सिंह और वसीम अकरम त्यागी की एफबी वॉल से.
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