राजू सजवान-
जोशीमठ की बात
1- जोशीमठ से कैमरे लौट आये हैं। शायद उन्हें वहां शिकार नहीं मिला। न तो होटल भरभराकर गिरे, न उन्हें ब्लास्ट करके उड़ाया गया। न ही घर-मकान भरभराकर गिरे हैं। ये मकान धीरे-धीरे अपनी गति को प्राप्त हो रहे हैं। चैनलों को विधंसव पसंद है, वो भी तत्काल। लेकिन जोशीमठ धीरे-धीरे समा रहा है।
2- जोशीमठ से लौटने के बाद स्टोरी की तैयारी के सिलसिले में कई रिसर्च पेपर पढ़ रहा हूँ। इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि अंधे विकास की सनक में विज्ञान को दरकिनार किया जा रहा है।
3- मैं पहाड़ी हूँ, मेरे पूर्वजों ने केवल लोहे के संभलो से पत्थर तोड़कर कई-कई दशकों तक मेहनत कर अपने लिए उड़्यार(घर), पुंगड़े (खेत), पंगडंडियां बनाई। तुम एक दिन में विस्फोट, जेसीबी, पोकलैंड की मदद से कई-कई किलोमीटर सड़कें बनाना चाहते हो।
4- कर्णप्रयाग में भी दरारें आनी की वजह ड्रेनेज न होना है। खबरदार जो किसी ने चार धाम मार्ग को दोषी ठहराया!!