Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

न्यूज चैनलों के जमाने में सिर्फ बयानों पर ही पत्रकारिता और राजनीति

आज-कल एक नई किस्म की राजनीति देश में नजर आ रही है। हालांकि पहले भी होती थी, लेकिन अब मीडिया और खासकर न्यूज चैनलों के जमाने में सिर्फ बयानों और आरोपों पर ही पत्रकारिता के साथ-साथ ये राजनीति भी चल रही है। कांग्रेस के राज में भाजपा भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए संसद से सड़क तक हल्ला मचाती रही और तबकी नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज से लेकर अरुण जेटली प्रधानमंत्री के साथ-साथ आरोपों में घिरे मंत्रियों से इस्तीफा मांगते रहे और सदन की कार्रवाई चलने ही नहीं दी और तब ये भी कहा था कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की ही है। 

<p>आज-कल एक नई किस्म की राजनीति देश में नजर आ रही है। हालांकि पहले भी होती थी, लेकिन अब मीडिया और खासकर न्यूज चैनलों के जमाने में सिर्फ बयानों और आरोपों पर ही पत्रकारिता के साथ-साथ ये राजनीति भी चल रही है। कांग्रेस के राज में भाजपा भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए संसद से सड़क तक हल्ला मचाती रही और तबकी नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज से लेकर अरुण जेटली प्रधानमंत्री के साथ-साथ आरोपों में घिरे मंत्रियों से इस्तीफा मांगते रहे और सदन की कार्रवाई चलने ही नहीं दी और तब ये भी कहा था कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की ही है। </p>

आज-कल एक नई किस्म की राजनीति देश में नजर आ रही है। हालांकि पहले भी होती थी, लेकिन अब मीडिया और खासकर न्यूज चैनलों के जमाने में सिर्फ बयानों और आरोपों पर ही पत्रकारिता के साथ-साथ ये राजनीति भी चल रही है। कांग्रेस के राज में भाजपा भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए संसद से सड़क तक हल्ला मचाती रही और तबकी नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज से लेकर अरुण जेटली प्रधानमंत्री के साथ-साथ आरोपों में घिरे मंत्रियों से इस्तीफा मांगते रहे और सदन की कार्रवाई चलने ही नहीं दी और तब ये भी कहा था कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की ही है। 

अब ये बयान देने वाले सत्ता में बैठ गए, तो कह रहे हैं कि सदन चलाने की जिम्मेदारी विपक्ष की है और हमारा कोई भी मंत्री या मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देगा। सिर्फ बहस कर लो। ललित गेट और व्यापमं महाघोटाले में फंसी भाजपा इतना बेशर्म रुख अख्तियार करेगी इसकी कल्पना इसलिए नहीं थी, क्योंकि वह खुद को ‘पार्टी विथ डिफरेंसÓ बताती आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो इन घोटालों पर मौनी बाबा बने ही हुए हैं और मीडिया द्वारा पूछे गए तमाम सवालों पर वे ऐसे खामोश रहे मानों उन्हें कुछ पता ही ना हो। चुनाव प्रचार अभियानों और उसके बाद पद संभालने पर भी मोदीजी ने खुद को देश का ऐसा चौकीदार बताया  जो छोटे से लेकर बड़े चोरों पर ना सिर्फ निगाह रखेगा, बल्कि चोरी पकड़े जाने पर सख्त से सख्त सजा भी देगा। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा जैसा लोक-लुभावना नारा भी दिया मगर अब जब ललित मोदी का प्रकरण उजागर हुआ, जिसमें आरोप नहीं बल्कि राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधराराजे सिंधिया और केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सीधी-सीधी संलिप्तता पकड़ा गई, उसके बाद भी पूरी भाजपा बेशर्मी से इसे घोटाला मानने को ही तैयार नहीं है और मध्यप्रदेश का व्यापमं महाघोटाला भी दस्तावेजों के साथ साबित हो चुका है, जिसके चलते दो साल से एसटीएफ-एसआईटी और अब सीबीआई उसकी जांच कर रही है और दो हजार गिरफ्तारियां अभी तक हो चुकी है और साथ ही कई संदिग्ध मौतें भी। 

इस महाघोटाले की जिम्मेदारी सीधे-सीधे मुख्यमंत्री की बनती है और ऐसी ही जिम्मेदारियों को तय करवाते हुए भाजपा विपक्ष में रहते प्रधानमंत्री और मंत्रियों से इस्तीफे मांगती रही है। आज सुषमा स्वराज ट्वीट करके यह खुलासा करती है कि कोयला घोटाले के एक आरोपी के डिप्लोमेटिक पासपोर्ट के लिए कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने उन पर दबाव डाला। अब सवाल यह है कि सुषमा स्वराज अभी तक इस राज को क्यों छुपाए हुए थी और क्या वे महाभ्रष्ट कांग्रेस के ऐसे उदाहरणों को देकर खुद के साथ-साथ भाजपा के अन्य नेताओं द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को सही ठहराना चाहती है? दूसरों के पाप गिनाने से खुद के पाप भला कैसे स्वीकार्य हो सकते हैं, क्योंकि भाजपा तो ईमानदारी, पारदर्शिता, राष्ट्रभक्ति, नैतिकता से लेकर स्वच्छ शासन-प्रशासन और शुचिता के ढोल पीटती आई है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

कांग्रेस अगर महाभ्रष्ट नहीं होती तो जनता भाजपा को सत्ता सौंपती ही नहीं। कांग्रेस के पाप तो जनता के सामने आ गए और जो बचे हैं उसे भी भाजपा उजागर करे और दोषियों को जेल भिजवाए, उसे किसने रोका है? मगर सवाल यह है कि भाजपा खुद भी तो आइना देखे और अपने जो दागी चेहरे हैं उनको हटाए या देश की जनता के सामने यह स्वीकार कर ले कि हम भी सभी दलों की तरह देश को लूटने के लिए ही कुर्सी पर बैठे हैं।

लेखक-पत्रकार राजेश ज्वेल से संपर्क 9827020830, [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement